यह तथा कथित खान सर किसी बहुत
बड़े षड्यंत्र का सूत्रपात कर रहा है।
इसे रोकिए यह बहुत दिमाग से खेल रहा है।
इस पर अंकुश लगाना बेहद आवश्यक है।
खान सर की ऑनलाइन टीचरी में करोड़ों
की कमाई।
कुछ महीने पहले उन्होंने तापमान नापने के
लिए मोदी जी के विरोध में कुछ बोला था।
सब्सक्रिप्शन तेजी से कम होने लगा तो
पैंतरा बदला।
राम,महाभारत भी पढ़ाने लगे और बड़ी
चलाकी से हिन्दुओं में हजारों वर्षों का
जातिवाद भी पढ़ाने लगे।
मोमिनों से गाली भी सुन ली,पढ़ाने की
चालाकी तो आती ही है और छात्र असली
मंशा कहां तक समझ पाएंगे ?
.......
किसान कानूनों का विरोध तो खुलकर किया
अब फिर पैंतरा बदला मौका मिला आरआरबी
के किसी परीक्षा का जिसमें पहले एक परीक्षा
होनी थी अब दो परीक्षा का नोटिफिकेशन
निकल गया तो हंगामा करवा दिया।
कल खानसर की वीडियो देख रहा था,
बोल रहे थे किसान आंदोलन में सरकार झुकी है।
तो इसमें भी झुकेगी,और बड़े अंदाज से बता रहे
थे कि 1857 के विद्रोह और जलियावाला बाग
के बाद क्या आंदोलन रुका ?
एक तरफ वे छात्रों से कह रहे हैं कि अराजक
न हों,दूसरी तरफ बोल रहे हैं कि छात्र अब हमारे
हाथ में नहीं हैं।
एक तरफ बोल रहे हैं पूरे देश के टीचर इनके
संपर्क में हैं तो दूसरी तरफ कह रहे हैं कि सबसे
कहा है कि खुद सामने न आएं।
छात्रों को सामने रखें...
बोल रहे हैं पुलिस वाले पत्थर फेंक रहे थे,
यह नहीं बोल रहे कि रेल की पटरियों पर
बड़े-बड़े बोल्डर रख कर छात्र उन्हें हटाने
नहीं दे रहे।
अराजक छात्रों पर पुलिस नियंत्रण कर रही है,
तो कह रहे हैं कि 8.30 बजे रात में छात्रों पर
लाठी चला रही है।
कह रहे हैं कि पुलिस चाहे तो अभी हमको
गिरफ्तार कर ले।
......
पूरी तरह से छात्रों को भड़का दिया है,
28 तारीख को दिल्ली से सहित कई जगहों
पर रेल रोका जाएगा और इसमें वामपंथी
समेत तमाम छात्र संगठन जमकर हिंसा करेंगे।
यदि सरकार बल प्रयोग करती है तो तुरंत
सरकार को फासीवादी घोषित कर दिया
जाएगा।
यदि गलती से कुछ छात्रों की हत्या
(उकसा कर मरवा देना हत्या ही होगी)
हो जाती है तब तो पूरे देश में छात्र आंदोलन
शुरु हो जाएगा फिर दंगा और गृहयुद्ध।
.....
आरआरबी में कौन बैठा है
जो इनके खेल में शामिल है?
लखीमपुर खीरी में भी भीतरघात ही हुआ था,
नहीं तो कार लेकर हिंसक आंदोलन के बीच
नेता पुत्र नहीं पहुंचता और न ही 8 लोग मरते
न किसान कानून वापस होता।
क्या सरकार को दिखाई नहीं दे रहा है कि हर
तीसरे महीनें किसी न किसी बहाने से कोई न
कोई हिंसक आंदोलन शुरु कर दिया जाता है।
यह सरकार की सबसे बड़ी कमी है या अपने
यहाँ गद्दारों की संख्या अधिक हो गई है एक
से निपटे तो दूसरा शुरु हो जाता है।
वैसे खान सर वाला वीडियो देख लीजिए,
मक्कारी साफ नजर आ जाएगी और खेल भी,
यह पढ़ाते पढ़ाते छात्रों को चराने लगा,
इसे लग रहा है कि यदि यह नहीं पढ़ाता
तो न किसी को नौकरी मिलती न किसी
का भाग्य खुलता।
न तो इसके पढ़ाने से पहले किसी की नौकरी
लगी न तब लगेगी जब पढ़ाना बंद कर देगा।
इसे लगने लगा है कि अब बहुत पढ़ा लिए,
बहुत पैसा कमा लिए,अब राजनीति में घुसा जाए।
मोमिनों का एक ही उद्देश्य है (जे हाद)
चाहे जहां रहे जिस रुप में रहे अंत में जाकर
एक ही काम करेगा।
जिसे लोग सम्मान देने लगते हैं वह कुछ दिन
बाद अपने असली रूप में आ जाता है।
देखिए सोचिए और समझिए।
💐#साभार;
विश्व गुरु💐
जयतु भारतं💐
जयश्रीराम💐
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