*Kiss Day (व्यंग्य)*
बीते कल (12-02-22) की लेखनी के आगे...
*उन लड़कों के चले जाने के बाद ....श्रीमती जी ने मुझे समझाया , क्यों व्यर्थ में इन युवाओं के पीछे तुम अपनी बीपी बढ़ाते हो ... मैं बोला, तुम ठीक ही बोल रही हो । इन युवाओं को भविष्य में जब ठोकर लगेगी तब इनको समझ आएगी...*
*श्रीमतीजी के साथ हुई बातो ही बातो में समय कैसे निकल गया पता ही नहीं चला ... अगले दिन सुबह रेडियो में आज के दिन के बारे में पता चला कि आज का दिन किस डे वाला है .... श्रीमती से किया वादा मुझे याद आ गया , आज मुझे इस युवाओ के विषय पर कुछ नही बोलना लेकिन मन में उठने वाले भाव को मैं रोक नही पाया ... पास पड़ी अपनी डॉयरी व कलम उठाई व लिखना शुरू कर दिया..*
*....वर्तमान परिपेक्ष्य को देखकर मैं दंग हू, मै दंग हू इस बात पर हु कि मैं किस - किस पर क्या क्या व्यंग्य करू, मैं जानता हॅूं कि भारत में हर किसी को अभिव्यक्ति की आजादी है ओर इस आजादी के माहोल में नेता, अभिनेता ओर सन्त #किस के कारण न जाने किस -किस जेल में बंद है ..... मैं यह भी जानता हूँ कि ये किस, किसी जमाने मे पवित्र हुवा करता था और कई मायने में आज भी उतना ही पवित्र है जैसे कि एक किस (चुम्बन) मंगल, भगत, राजगुरु, सुखदेव, खुदीराम, राजेन्द्र लाहिड़ी, बिशमिल, अशफाक , खुदीराम, तिलका माझी व अनगिनत क्रांतिकारियों ने अपने फाँसी के फंदे को #किस देकर देश के लिए फाँसी पर झूल गए थे और एक किस आसाराम, रामपाल, रामरहीम ने भी दिया नतीजन वो किसी जेल में बंद है ..इसी एक किस के कारण शिल्पा शेटी दीदी के पतिदेव राज कुंदा भाईसाहब को कई तकलीफ झेलनी पडी..ओर न जाने ऐसे कितने गुमनाम लोग है जिनके किस के बहुत से किस्से हुए .. . आज भी अनेक किस्से सफेद पोश में चांद के काले धब्बे की तरह चोली दामन के साथ की तरह साथ रहते है... ओर भी किस के अनगिनत किस्से है, ओर हमारे मारवाड़ की ये कहावत भी सही है, हर कुवे में भांग गुली है .....*
*लेकिन माँ द्वारा अपनी संतान को वात्सल्य, प्रेम, अपनापन व निश्छल भाव के साथ दिया जाने वाला किस, जिसकी पवित्रता की मिसाल संत दिया करते है ।*
*मुझे ये तो नही पता किस के लिए आज का युवा किस ड़े मना रहा है लेकिन मां की ममता को किस डे मनाने के लिए कैलेंडर में 13 फरवरी का इंतज़ार नही करना पड़ता ।*
*आज मैं वास्तव में दंग हूँ कि किस - किस पर क्या क्या क्या व्यंग्य करू ......*
*....लिख ही रहा था, इतने में श्रीमती जी पास आई... ओर बोली....तुम नही सुधरोगे....बोलने का मना किया तो मन की बात लिख डाली .... मैं बोला लिखी तो अपने मन की बात है ना, टेलीप्रॉम्पटर पर देख कर बोली तो नही ना...... थोड़ा मुस्कुरा कर रसोई में चली गई.... पीछे से मैंने धीरे से चुटकी ली और बोला.... आज डे ....किस का है, मोहतरमा.... इतने में रसोई से बेलन घुमते हुवे धड़ाम से मेरे पास आकर गिरी😊...... शुक्र है बाल बाल बच गया..... वरना किस डे के चक्कर मे सर के बचे केशो को किस किस जगह पर थे ढूंढना पड़ता😄*
(इस सीरीज का अंतिम व्यंग्य कल, अगर समय मिला तो लिखने का प्रयास करूंगा)
*✒️आनन्द जोशी, जोधपुर*
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