सिंजारा आज
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सिंधारा दूज का महत्व सुहागिनों के लिए बहुत मायने रखता है।
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19 अगस्त 2023 को हरियाली तीज का पर्व है। हिंदू धर्म में हरियाली तीज से एक दिन पहले सिंधारा दूज मनाई जाती है। सावन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाने वाली सिंधारा दूज और हरियाली तीज का गहरा संबंध है।
इसे सिंजारा भी कहते हैं। हरियाली तीज के एक दिन पहले सिंधारे में मायके से बेटी के लिए कुछ विशेष सामान भेजा जाता है। सिंधारा दूज का महत्व सुहागिनों के लिए बहुत मायने रखता है।
सिंधारा दूज की तिथि
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इस साल हरियाली तीज से एक दिन पहले 18 अगस्त 2023 को सिंधारा दूज का पर्व मनाया जाएगा। इसमें अगर बेटी ससुराल में होती है तो मायके से सिंधारा भेजा जाता है और यदि बहू मायके गई हो तो ससुराल से सिंधारा जाता है।
हरियाली तीज पर सिंधारा दूज का महत्व
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सिंधारे की परंपरा खासतौर पर पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में निभाई जाती है। हरियाली तीज के एक दिन पहले शादीशुदा महिलाएं के मायके या ससुराल से सोलह श्रृंगार का सामान भेजा जाता है, इसे सिंधारा कहते हैं। इसमें कपड़े, सिंगार का सामान, मिठाइयां भेजी जाती हैं। मान्यता है कि सिंधारे की परंपरा निभाते हुए बहू-बेटी को सदा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया जाता है।
कैसे मनाई जाती है सिंधारा दूज
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सिंधारा दूज नई नवेली दुल्हन के लिए बहुत खास पर्व होता है। कई जगहों पर शादी के बाद नवविवाहिता पहली हरियाली तीज मायके में मनाती हैं। इसमें ससुराल से उनके लिए सिंधारा आता है जिसमें सुहाग का सामान, कपड़े, गहनें होते हैं। इन्हीं को पहनकर वह हरियाली तीज की पूजा करती हैं। सिंधोरे में आए उपहार आपस में बांटे भी जाते हैं। फल-मिठाईयां, उपहार, कपड़े और सुहाग के सामान को बांटने का भी रिवाज होता है।
सिंजारे में होता है ये खास सामान
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हरी चूड़ी, बिंदी, सिंदुर, काजल , मेहंदी , नथ, गजरा ,
मांग टीका, कमरबंद, बिछिया, पायल, झुमके , बाजूबंद,
अंगूठी, कंघा, आदि दिए जाते हैं। सोने के आभूषण
मिठाई - घेवर, रसगुल्ला, मावे की बर्फी भी भेज सकते हैं।
बहू-बेटी के अलावा परिवार के लिए कपड़े।
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