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शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री प्रवीण बॉबी की बंद कमरे में दर्दनाक तरीके से हुयी मौत का रहस्य क्या आप जानते हैं?


हिंदी सिनेमा की सबसे खूबसूरत और बोल्ड ऐक्ट्रेसेस में से एक और टाइम मैगजीन पर फीचर होने वालीं पहली बॉलिवुड ऐक्ट्रेस परवीन बॉबी की जिंदगी के राज इतने दर्दनाक हैं, जो शायद ही आप जानते हों।

प्रवीण बॉबी ने देखते ही देखते ही फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाली और हिंदी सिनेमा की सबसे खूबसूरत और बोल्ड ऐक्ट्रेसेस में वो शुमार हो गई। परवीन बॉबी ने करीब दो दशकों तक हिंदी सिनेमा पर राज किया

टाइम मैगजीन पर नजर आने वालीं पहली हिरोइन

बॉलीवूड मे डेब्यू के 2-3 साल के अंदर ही उन्होंने इतनी ख्याति पा ली कि वह टाइम मैगजीन के कवर पर फीचर हुईं। टाइम मैगजीन के कवर पर नजर आने वाली वह बॉलिवुड की पहली स्टार रहीं। परवीन बॉबी का स्टारडम और जादू हर निर्माता-निर्देशक से लेकर हर हीरो के सिर चढ़कर बोल रहा था। अब हर कोई उनके साथ काम करने कि इच्छा रखता था।

हर टॉप हीरो के साथ काम

परवीन एक ऐसी ऐक्ट्रेस रहीं, जिन्होंने अमिताभ के अलावा उस वक्त के सभी लीड हीरो जैसे कि शशि कपूर, धर्मेंद्र, राजेश खन्ना, विनोद खन्ना और ऋषि कपूर और फिरोज खान के साथ काम किया।

बिना बताए गायब हो गईं परवीन बॉबी

80 के दशक तक सबकुछ ठीक चल रहा था। लेकिन 1983 में परवीन को न जाने क्या हुआ कि वह किसी को बताए बिना ही फिल्मों और इंडस्ट्री की चकाचौंध से गायब हो गईं। किसी को भी पता नहीं था कि परवीन आखिर अचानक क्यों और कहां चली गईं? उनकी कई फिल्में उनकी अनुपस्थिति में ही रिलीज की गईं।

अध्यात्म के चक्कर मे छोडी फिल्म इंडस्ट्री

बाद में पता चला कि परवीन बॉबी ने 1983 में ही भारत छोड़ दिया और आध्यात्म की तलाश में अपने दोस्तों के साथ अमेरिका चली गईं। उस वक्त परवीन बॉबी का करियर ऊंचाइयों पर था। इस दौरान उन्होंने कई देशों की यात्रा की। 1984 में जब परवीन को न्यू यॉर्क के एक एयरपोर्ट पर रोका गया तो उस वक्त उनका बर्ताव बदला-बदला सा महसूस हुआ। कुछ पहचान पत्र न दिखा पाने की वजह से परवीन बॉबी को कई दिनों तक मानसिक रूप से बीमार लोगों के साथ एक अस्पताल में रखा गया था।

1989 में मुंबई वापसी और मानसिक भीमारी

1989 में परवीन वापस मुंबई आ गईं। लेकिन तब तक वह पूरी तरह से बदल चुकी थीं। उनका वजन काफी बढ़ गया था और वह पहले के मुकाबले मोटी भी हो गई थीं। ऐसा कहा जाता है कि परवीन को सिजोफ्रेनिया था। अब इस मानसिक रोग की शिकार कब और कैसे हुईं, यह आज तक नहीं मालूम। पर ऐसा कहा जाता है कि दौलत और शोहरत के बावजूद परवीन अंदर से काफी अकेली थीं और शायद यही उनके मानसिक रोग की वजह बनी। हालांकि परवीन ने कभी भी इसे स्वीकार नहीं किया और वह फिल्म इंडस्ट्री पर ही आरोप लगाती रहीं कि उनके साथ इंडस्ट्री से जुड़े लोग षड्यंत्र रचा रहे हैं और उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।

मानसिक भीमारी बढणे लगी

वक्त के साथ परवीन बॉबी की हालत ऐसी हो गई थी कि अगर कोई पत्रकार या मीडियाकर्मी उनका इंटरव्यू लेने जाता तो वह दूर भागतीं या फिर उनसे अपना खाना और पानी टेस्ट करने के लिए कहतीं। परवीन के मन में यह शक बैठ गया था कि कोई उन्हें जान से मारना चाहता है। उन्हें यह तक शक बैठ गया कि उनके मेकअप में भी जहर है और इससे उनकी स्किन छिल जाएगी, खूबसूरती चली जाएगी। परवीन के अंदर मारे जाने का डर इस कदर बैठ गया था कि अपने आखिरी 4 सालों में परवीन बॉबी लगभग हर फोन कॉल को रेकॉर्ड करने लगी थीं। जो भी उन्हें फोन करता उसे पहले वह बताती हैं कि उसके फोन को सर्विलांस पर रखा गया है।

प्रवीण बॉबी कि मौत

परवीन बॉबी की जिंदगी में अब अकेलापन और भी बढ़ता जा रहा था। फिल्म इंडस्ट्री से उन्होंने खुद को काट लिया था लेकिन 1973 से 1992 के बीच वह अखबारों से लेकर मैगजीन तक के लिए लिखती रहीं। मुंबई के अपने घर में वह अकेली रहती थीं। किसी का कोई आना-जाना नहीं था। जो उनके अपने थे उन्होंने भी परवीन बॉबी से दुरिया बनाना शुरू कर दी। शायद यही वजह थी कि जब 20 जनवरी 2005 को वह अपने फ्लैट में मृत मिलीं तो किसी को कुछ पता ही नहीं चला। जिस सोसाइटी में परवीन रहती थीं वहां के सिक्यॉरिटी गार्ड ने जब देखा कि परवीन ने तीन दिनों से घर के बाहर रखा दूध और अखबार नहीं लिया है, तो उसने पुलिस को खबर दी।

कमरे कि हालत

कमरे में कुछ बिखरे हुए अखबार थे, शराब की कुछ बोतल और सिगरेट के कुछ टुकड़े थे। कहा जाता है कि परवीन बाबी की मौत दो दिन पहले गई थी। लेकिन दो दिन तक किसी को कानों-कान खबर ही नहीं हुई थी। पोस्टमार्टम में भी यही आया था कि उनकी मौत 72 घंटे पहले हो चुकी थी। अपने जुहू स्थित बंगले में उन्होंने खुद को बंद कर लिया था। मौत से 10 दिन पहले तक उनकी किसी पड़ोसी से बात भी नहीं हुई थी। खाना ऑर्डर करके मंगाती थीं और कमरे में बंद रहती थीं। इस दौरान सिगरेट और शराब ही उनके साथी थी।

गरिबो के नाम वसिहत छोड दि

आखिरी वक्त में जब परवीन को अपनी जायदाद का वारिस तलाश करना था तो उन्हें दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आया। हर रिश्ते से चोट खा चुकी परवीन अपनी जायदाद का 80 फीसदी हिस्सा गरीबों के नाम कर गीं। इसका खुलासा परवीन की मौत के 11 साल बाद हुआ। 11 साल तक परवीन बाबी की वसीयत की जांच चलती रही 14 अक्टूबर 2016 को इस बात की पुष्टि हो गई कि ये वसीयत सही है और परवीन ने ही अपनी दौलत गरीबों के नाम कर दी थी।

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