ऑनलाइन सट्टेबाजी के शिकारी खुलेआम घूम रहे हैं, मासूम युवाओं को अपने जाल में फंसा रहे हैं, उनकी उम्मीदों को कुचल रहे हैं और उन्हें अंधेरी खाई में धकेल रहे हैं। राहुल, सीमा, विकास और अंजलि... ये सिर्फ नाम नहीं, भीलवाड़ा के अनगिनत युवाओं की चीखती हुई कहानियाँ हैं, जिनकी ज़िंदगी सट्टेबाजी के दलदल में फंसकर नशे के अंधेरे में गुम होती जा रही है।
इन ऑनलाइन सट्टेबाजी के आईडी गिरोहों का दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि वे खुलेआम युवाओं को लालच देकर फंसाते हैं, उनसे उनकी गाढ़ी कमाई, उनकी कीमती चीजें गिरवी रखवाते हैं। हारने पर उन्हें ब्लैकमेल करते हैं, धमकाते हैं और जब ये युवा तनाव और डर से जूझते हैं, तो उन्हें नशे की अंधेरी खाई में धकेल दिया जाता है। क्या पुलिस और नारकोटिक्स विभाग गहरी नींद में सो रहे हैं? क्या उन्हें इन युवाओं की बर्बादी और उनके परिवारों का टूटना दिखाई नहीं दे रहा? क्या उन्हें इन पीड़ितों की चीखें सुनाई नहीं देतीं?
यह सिर्फ कुछ युवाओं की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक चेतावनी है कि कैसे एक नासूर समाज में फैल रहा है और हमारी युवा शक्ति को खोखला कर रहा है। यह वक्त है कि पुलिस और नारकोटिक्स विभाग अपनी गहरी नींद से जागें और इन अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। उन्हें न केवल इन सट्टेबाजी के आईडी गिरोहों को पकड़ना होगा, बल्कि नशे के कारोबार की जड़ों तक पहुंचना होगा। यह सिर्फ कानून व्यवस्था का मामला नहीं है, बल्कि हमारे युवाओं के भविष्य और हमारे समाज की नींव को बचाने का मामला है। अगर अब भी कार्रवाई नहीं की गई, तो यह कलंक कभी नहीं मिटेगा और इसके जिम्मेदार लोगों को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा। यह एक तमाचा है उन सभी के मुंह पर जो अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं और युवाओं की जिंदगी को बर्बाद होते हुए चुपचाप देख रहे हैं।
मामला 1:
बदला हुआ नाम: राहुल
कहानी: 20 वर्षीय राहुल को उसके एक दोस्त ने ऑनलाइन सट्टेबाजी के बारे में बताया। शुरुआत में उसे थोड़ा मजा आया और उसने कुछ छोटे-मोटे पैसे भी जीते। धीरे-धीरे उसकी लालच बढ़ती गई और उसने ज्यादा पैसे लगाने शुरू कर दिए। आईडी खरीदने के लिए उसने अपना मोटरसाइकिल गिरवी रख दिया। जब वह सट्टे में सारे पैसे हार गया, तो आईडी देने वाले उस पर चेक लगाने का दबाव बनाने लगे। इस तनाव से बचने के लिए उसने एमडी ड्रग्स लेना शुरू कर दिया और अब वह नशे का आदी हो गया है। उसके परिवार वाले बहुत परेशान हैं और उसकी पढ़ाई भी छूट गई है।
मामला 2:
बदला हुआ नाम: सीमा
कहानी: 22 वर्षीय सीमा कॉलेज छात्रा है। सोशल मीडिया पर उसे ऑनलाइन सट्टेबाजी की एक आईडी का विज्ञापन दिखा। कुछ आसान पैसे कमाने के लालच में उसने अपनी मां के कुछ गहने गिरवी रखकर आईडी खरीदी। सट्टे में हारने के बाद आईडी देने वालों ने उसे धमकाना शुरू कर दिया। डर और शर्म के कारण उसने घर पर बताना भी बंद कर दिया। धीरे-धीरे वह डिप्रेशन में चली गई और नींद न आने की समस्या के कारण उसने नींद की गोलियां लेना शुरू कर दिया, जो कि नशे की शुरुआत थी।
मामला 3:
बदला हुआ नाम: विकास
कहानी: 19 वर्षीय विकास एक फैक्ट्री में काम करता है। उसके साथ काम करने वाले कुछ लड़कों ने उसे ऑनलाइन सट्टेबाजी के बारे में बताया। उसने अपनी पहली सैलरी से ही आईडी खरीद ली। कुछ दिन जीतने के बाद वह बुरी तरह हार गया। आईडी देने वालों ने उस पर पैसों के लिए दबाव बनाया और उसके साथ मारपीट भी की। डर के मारे उसने अपने घर से पैसे चुराने शुरू कर दिए। जब घर पर पता चला तो बहुत झगड़ा हुआ। इस तनाव से मुक्ति पाने के लिए उसने शराब और गांजे का सेवन शुरू कर दिया।
मामला 4
बदला हुआ नाम: अंजलि
कहानी: 21 वर्षीय अंजलि ब्यूटी पार्लर में काम करती है। उसे एक ग्राहक ने ऑनलाइन सट्टेबाजी की आईडी के बारे में बताया। उसने सोचा कि यह जल्दी पैसे कमाने का अच्छा तरीका है। उसने अपने छोटे भाई की पढ़ाई के लिए रखे कुछ पैसे से आईडी खरीद ली। सट्टे में हारने के बाद आईडी देने वाले उसे बदनाम करने की धमकी देने लगे। बदनामी के डर से और पैसे चुकाने के दबाव में उसने एक दोस्त से एमडी ड्रग्स उधार लिया और धीरे-धीरे वह इसकी आदी हो गई। अब वह न केवल कर्ज में डूबी है, बल्कि उसकी सेहत भी खराब हो रही है।
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