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मंगलवार, 6 मई 2025

पहलगाम आतंकवादी घटना वह नहीं है जो दिखाई दे रही है बल्कि यह एक “चीन पाकिस्तान और कांग्रेस का बुना हुआ जाल" लगता है। यह भारत को अनंत छद्म युद्ध में फंसाने के लिए एक षड्यंत्र लगता है।

मुझे ऐसा लगता है पहलगाम आतंकवादी घटना वह नहीं है जो दिखाई दे रही है बल्कि यह एक “चीन पाकिस्तान और कांग्रेस का बुना हुआ जाल" लगता है। यह भारत को अनंत छद्म युद्ध में फंसाने के लिए एक षड्यंत्र लगता है।


आइए इसे थोड़ा समझने की कोशिश करते है…..

भारत में कांग्रेस का अचानक राष्ट्रवाद का उभार और पाकिस्तान पर तत्काल कार्रवाई की मांग करना इसी योजना का हिस्सा है। जबकि कांग्रेस में स्वयं कभी आतंकवादी घटना पर कभी कुछ नहीं किया है।

और मुझे लगता है मोदी जी इस षड्यंत्र को पूरी तरह समझ चुके है।

पहलगाम हमला सिर्फ़ आतंकवाद नहीं था - यह एक चारा था भारत को तुरंत फ़साने के लिए।

क्यूँकि चीन पाकिस्तान और कांग्रेस की दुश्मन तिकड़ी जानती है की यदि आतंकवादी घटना में निर्दोष लोगों की जान जाएगी तो जनता तुरंत बदला लेने की माँग करेगी। 
लेकिन मोदी सरकार लगता है इस षड्यंत्र में नहीं फंस रही है, बावजूद इसके की उनकी और पार्टी की साख पर प्रश्न उठ रहे हैं।

पाकिस्तान की भूमिका सिर्फ वैश्विक मंचों पर पीड़ित की भूमिका निभाने की है  ताकि अन्य देशों से कर्ज और अनुदान लिया जा सके और देश में  बढ़ती महंगाई, पानी की कमी और बेरोजगारी से अपने लोगों का ध्यान हटा सके और अपने देश में राष्ट्रवाद की भावना को भड़का सके।

इस घटना में पाकिस्तान का एक मूक साथी है किंतु भारत के विचलित और अति-विस्तारित रहने पर सबसे अधिक लाभ उठाता है वो है *चीन।*

चीन की भूमिका शांत लेकिन कूटनीतिक है।
*यह हमला ऐसे समय हुआ है जब अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध और चीन से कंपनियों का भारत में विनिर्माण के जाने के कारण चीन की अर्थव्यवस्था तेज़ी से ख़राब हो रही है*

विदेशी निवेशक किसी भी युद्धरत देश निवेश करना पसंद नहीं करते है और इसका फ़ायदा चीन को होगा।

इसलिए चीन चाहता है  कि भारत अपने पश्चिमी मोर्चे पर निरंतर संघर्ष में उलझा रहे। ताकि नया निवेश चीन से भारत में नहीं आने पाए। और कांग्रेस जो की चीन के हुक्म की ग़ुलामी करती है अचानक से पाकिस्तान पर हमले के लिए तीव्रता दिखाती है।

यदि भारत पाकिस्तान पर ध्यान केंद्रित करता है, तो वह इंडो-पैसिफिक, एलएसी, वैश्विक व्यापार साझेदारी और तकनीकी नवाचार से ध्यान हटाता है।

चीन का पाकिस्तान को समर्थन केवल रणनीतिक नहीं है - यह भौतिक है।

पाकिस्तान को पहले से ही चीनी ड्रोन, लड़ाकू विमान तकनीक और निगरानी उपकरण मिल रहे हैं।

बदले में, पाकिस्तान चीन का छद्म योद्धा बन जाता है जो अराजकता पैदा करता है जबकि बीजिंग सीधे टकराव से बचता है।

यह चीन पाकिस्तान और कांग्रेस की मिलीभगत से एक अलग  रणनीति है "तुम खून बहाओ, हम पीछे से समर्थन देंगे” ताकि भारत कमजोर हो और कांग्रेस कमजोर भारत पर फिर से आक्रमण करके सत्ता हासिल करले।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिग को अपने देश में इस वक्त हर मोर्चे पर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध। जनसंख्या वृद्धि में कमी। आर्थिक विकास में कमी। सीपीसी के भीतर असंतोष आदि।

इसलिए चीन और  पाकिस्तान के लिए सैन्य संघर्ष अपने देश की  जनता का ध्यान सभी समस्याओं से हटाने का एक मात्र सफल तरीका है।

चीन भारत के साथ सीधे ऐसा नहीं कर सकता। क्यूंकि पूरा पश्चिम और अमेरिका भारत के साथ खड़ा होगा लेकिन पाकिस्तान के ज़रिए, एक मोर्चे पर भारत को तोड़ना और दूसरे मोर्चे पर चुनौती देना आसान होगा।

पाकिस्तान के लिए इसमें क्या फ़ायदा है?
अरबों का कर्ज (दिवालिया होने के बावजूद)
भारत से लड़ने के लिए सैन्य उपकरण
अपनी जनता का मनोबल बढ़ाना
"आर्थिक संकट" से "राष्ट्रीय प्रतिरोध" की ओर देश की जनता का मन बदलना।
यह संघर्ष के ज़रिए अस्तित्व बनाए रखने की कोशिश है, जिसका वित्तपोषण चीन कर रहा है।

इसलिए आप भारत में विपक्ष से असामान्य व्यवहार देख सकते हैं, सैन्य कार्रवाई के सबूत मांगने से लेकर तत्काल कार्रवाई की मांग तक का रुख बदल रहा है। 
लेकिन ऐसा लगता है कि भारत सरकार जाति जनगणना का दाँव खेलकर इस जाल से बचने के लिए जनता और विपक्ष का ध्यान भटका रही है। क्योंकि एक त्वरित, भावनात्मक प्रतिक्रिया सीधे चीन-पाकिस्तान और कांग्रेस के जाल में फँसना है । 
*इसलिए भारत सरकार , सरकार घुटने के बल पर प्रतिक्रिया करने के बजाय खुफिया-आधारित जवाबी कार्रवाई, वैश्विक कूटनीतिक दबाव, साइबर युद्ध और निगरानी, ​​सटीक हमले, पूर्ण पैमाने पर युद्ध नहीं करने का विकल्प चुन सकती है।*
यह एक सोच वाले व्यक्ति का युद्ध है, सुर्खियों में रहने वाला युद्ध नहीं। 

मोदी जानते हैं कि हर मिसाइल लॉन्च करने पर करोड़ों खर्च होंगे और संघर्ष का हर दिन भारत की अर्थव्यवस्था को धीमा कर देगा है। इस बीच, चीन एक भी गोली चलाए बिना आगे बढ़ता रहेगा। 

तो स्थिति यह है: पाकिस्तान अराजकता फैलाता रहेगा। चीन इसे चुपचाप प्रायोजित करवायेगा और कांग्रेस देशके चीनी एजेंडे पर कार्य करेगी । 

*अब भारत पर दबाव है कि वह बिना किसी जाल में फंसे जवाब दे।* 

यह सीमा का मुद्दा नहीं है। यह एक भू-राजनीतिक शतरंज का खेल है। पर्दे के पीछे, मोदी सरकार सक्रिय है: अमेरिका, यूएई, ईरान के साथ बैकचैनल कूटनीति पाकिस्तान पर एफएटीएफ का दबाव और सेनाओं को खुली छूट। 

*मोदी जी डर के कारण नहीं बल्कि दूरदर्शिता के कारण घुटने के बल पर प्रतिक्रिया करने से बच रहे हैं। वह जानते हैं कि असली ताकत तेजी से प्रतिक्रिया करने के बारे में नहीं है। यह सही तरीके से प्रतिक्रिया करने के बारे में है।*

भारत सिर्फ़ अपनी सीमाओं की रक्षा नहीं कर रहा है। यह अपनी अर्थव्यवस्था, स्थिरता और वैश्विक प्रतिष्ठा की रक्षा कर रहा है। दुनिया को आतंकी हमला दिख रहा है। मोदी को जाल दिख रहा है। भारत का अगला कदम सिर्फ़ पहलगाम के बारे में नहीं होगा, यह क्षेत्रीय संतुलन को फिर से आकार देने के बारे में होगा। 
*और भू-राजनीति में, धैर्य कमज़ोरी नहीं है। यह एक रणनीति है।*

इसलिए देश वासियो हमे युद्ध करना है किंतु परम्परागत युद्ध नहीं करना है क्यूंकि परम्परागत युद्ध में जीत आसान नहीं होने वाली है क्यूंकि पीछे चीन है। अमेरिका जैसा देश भी सीधे युद्ध में आजतक नहीं जीत पाया है।
रशिया और इजरायलभी इतने समय से युद्धरत हैं किंतु लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए इसलिए मोदी जी ऐसी गलती नहीं करेंगे। 
*हमे मोदी जी पर विश्वास करना होगा इसीलिए उन्होंने कहा था की भारत का जवाब दुश्मन की कल्पना से परे होगा*
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