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गुरुवार, 30 अक्टूबर 2025
अपने दो कौड़ी के राजनैतिक एजेंडे के चलते अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बर्बाद ना करें।
रविवार, 26 अक्टूबर 2025
छॅंठ पूजा की संपूर्ण कथा
आर्यभट्ट ने शून्य की खोज की तो रामायण में रावण के दस सिर की गणना कैसे की गयी...🚩👇👆
आप शुरुआत में जीते, आप अंत में जीते, आप बीच में भी जीतेंगे।
शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2025
रामायण में छुपे दस रहस्य,जिनसे हम अपरिचित हैं...अंत तक जरुर पढें🧵
गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025
कभी सोचा है कि धर्म भी अब ‘पैकेज’ में मिलने लगा है
गोवर्धन पूजा पर श्री स्वामीनारायण अक्षरधाम, काली बेरी जोधपुर में भव्य अन्नकूट महोत्सव का आयोजन।
बुधवार, 22 अक्टूबर 2025
20 अक्तूबर को क्यों मनाई जाएगी दिवाली
दिवाली पूजा के बाद धन वृद्धि और सुख-समृद्धि के लिए करें ये उपाय, दिवाली 2025
- कार्तिक अमावस्या की तिथि 20 अक्तूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से प्रारंभ होगी।
- तिथि का समापन अगले दिन यानी 21 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 54 मिनट पर है।
- 20 अक्तूबर 2025 को दिवाली का पर्व मान्य होगा।
इस वर्ष 20 अक्तूबर को शुभ दीपावली का त्योहार है। दिवाली की रात प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रात 07 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस तरह के लक्ष्मी पूजन के लिए करीब 01 घंटा 11 मिनट का समय मिलेगा।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। लक्ष्मी पूजन के साथ-साथ इस दिन भगवान गणेश, माता सरस्वती और भगवान कुबेर की पूजा करने का विधान होता है। हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन प्रदोष काल में महालक्ष्मी पूजन का खास महत्व होता है। प्रदोष काल वह समय होता है जब सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त। यह समय लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है। लक्ष्मी पूजन के लिए स्थिर लग्न भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यानी प्रदोष काल और स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करना शुभ लाभों में वृद्धि और सर्वोत्तम माना जाता है। वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ लग्न स्थिर लग्न लग्न माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि दिवाली की रात को अमावस्या तिथि, प्रदोष काल और स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करने पर माता लक्ष्मी घर में अंश रूप में वास करने लगती हैं।
प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व इसलिए माना गया है क्योंकि यह समय आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शक्तिशाली और शुभफलदायी होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्यास्त के बाद का लगभग दो घंटे का समय प्रदोष काल कहलाता है, जो दिन और रात के मिलन का संधिकाल होता है। इस समय ब्रह्मांड में सात्विक और दिव्य ऊर्जा का प्रवाह अपने उच्चतम स्तर पर होता है, जिससे की गई पूजा अत्यधिक प्रभावशाली और फलदायी मानी जाती है। विशेष रूप से दीपावली के दिन यह काल और भी शुभ हो जाता है, क्योंकि मान्यता है कि इसी समय मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर भ्रमण करती हैं और उन घरों में प्रवेश करती हैं जहाँ स्वच्छता, दीपों की रौशनी, भक्ति और श्रद्धा से युक्त वातावरण होता है। जो व्यक्ति प्रदोष काल में विधिपूर्वक लक्ष्मी पूजन करता है, उसके घर में मां लक्ष्मी की कृपा से स्थायी रूप से धन, सुख और समृद्धि का वास होता है। अतः यह काल केवल पूजा का नहीं, बल्कि ईश्वर से जुड़ने और जीवन में सौभाग्य को आमंत्रित करने का सर्वोत्तम अवसर माना गया है।
- पूजा के लिए मां लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा और कलावा अवश्य रखें।
- भगवानों के वस्त्र और शहद शामिल करें।
- गंगाजल, फूल, फूल माला, सिंदूर और पंचामृत।
- बताशे, इत्र, चौकी और लाल वस्त्र के साथ कलश।
- शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का।
- कमल का फूल और हवन कुंड।
- हवन सामग्री, आम के पत्ते और प्रसाद
- रोली, कुमकुम, अक्षत (चावल), पान।
- इस दौरान सुपारी, नारियल और मिट्टी के दीए संग रुई भी शामिल करें।
- लक्ष्मी पूजन से पहले घर की साफ-सफाई का खास महत्व है, इसलिए सभी जगह गंगाजल का छिड़काव करें।
- घर के मुख्य दरवाजे पर रंगोली और तोरण द्वार बनाएं।
- अब लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वप्रथम एक साफ चौकी पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछाएं।
- अब चौकी पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित करें और सजावट का सामान से चौकी सजाएं।
- माता लक्ष्मी और गणेश भगवान की मूर्ति को वस्त्र पहनाएं और इस दौरान देवी को चुनरी अवश्य अर्पित करें।
- अब साफ कलश में जल भरें और चौकी के पास रखें दें।
- प्रथम पूज्य देवता का नाम लेते हुए भगवानों को तिलक लगाएं ।
- लक्ष्मी-गणेश को फूल माला पहनाएं और ताजे फूल देवी को अर्पित करें। इस दौरान कमल का फूल चढ़ाना न भूलें।
- अब अक्षत, चांदी का सिक्का, फल और सभी मिठाई संग भोग अर्पित करें।
- यदि आपने किसी वस्तु या सोना-चांदी की खरीदारी की है, तो देवी लक्ष्मी के पास उसे रख दें।
- शुद्ध देसी घी से दीपक जलाएं और इसके साथ ही घर के कोने में रखने के लिए कम से कम 21 दिए भी इसके साथ जलाएं।
- अब भगवान गणेश जी आरती करें और गणेश चालीसा का पाठ भी करें
- देवी लक्ष्मी की आरती और मंत्रों का जाप करें।
- अब घर के सभी कोनों में दीपक रखें और तिजोरी में माता की पूजा में उपयोग किए फूल को रख दें।
- अंत में सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पूजा में हुई भूल की क्षमा मांगे।
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः
ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः
दुकान-ऑफिस, गृहस्थों और व्यापारियों के लिए लक्ष्मी पूजन मुहूर्त
ऑफिस के लिए (लाभ)- दोपहर 3:30 मिनट से शाम 5:00 बजे तक
छात्रों के लिए (अमृत)- शाम 5:00 मिनट से लेकर 6:30 मिनट तक
प्रदोष काल- 05:46 से 08:18 तक
वृषभ काल- 07:08 से 09 :03 तक
गृहस्थ, किसान, व्यापारी और विद्यार्थी के लिए- शाम 7: 32 मिनट से लेकर रात 9: 28 मिनट तक
नए व्यापारियों के लिए (चंचल)- शाम 5:55 मिनट से लेकर 7:25 मिनट तक।
परंपरागत व्यापारियों के लिए (शुभ)- रात 3:25 मिनट से लेकर 4:55 मिनट तक।
साधको के लिए (लाभ)- रात 12: 25 से 01:55 मिनट तक।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (प्रदोष काल)- शाम 07:08 से 08:18 तक।
ब्रह्रा मुहूर्त ( 21 अक्टूबर 2025 सभी के लिए)- सुबह 3:55 से 5:25 तक।
दीपावली 2025- निशिता काल पूजा मुहूर्त
निशिता काल- रात्रि 11:41 से 12:31 तक
सिंह लग्न काल- सुबह 01:38 से 03:56 तक
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। लक्ष्मी पूजन के साथ-साथ इस दिन भगवान गणेश, माता सरस्वती और भगवान कुबेर की पूजा करने का विधान होता है। हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन प्रदोष काल में महालक्ष्मी पूजन का खास महत्व होता है। प्रदोष काल वह समय होता है जब सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त। यह समय लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है। लक्ष्मी पूजन के लिए स्थिर लग्न भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यानी प्रदोष काल और स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करना शुभ लाभों में वृद्धि और सर्वोत्तम माना जाता है। वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ लग्न स्थिर लग्न लग्न माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि दिवाली की रात को अमावस्या तिथि, प्रदोष काल और स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करने पर माता लक्ष्मी घर में अंश रूप में वास करने लगती हैं।
इस वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर लोगों के बीच भ्रम बना हुआ है। दीपावली सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का शुभ अवसर है. सही समय पर पूजा करने से समृद्धि, शांति और कल्याण की प्राप्ति होती है। दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को मनाया जाता है. श्री शुभ सम्वत् 2082 शाके 1947 कार्तिक कृष्ण अमावस्या (प्रदोष-कालीन) 20 अक्तूबर 2025 सोमवार को है। इस दिन चतुर्दशी तिथि सूर्योदय से लेकर दोपहर 03 बजकर 44 मिनट तक रहेगी, तत्पश्चात् अमावस्या तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। दीपावली के पूजन हेतु धर्मशास्त्रोक्त प्रदोष काल एवं महानिशीथ काल मुख्य हैं
- लक्ष्मी पूजन दीपावली के सबसे प्रमुख अनुष्ठानों में से एक है, जो केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि मानसिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। मां लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनकी पूजा करने से जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती और आर्थिक स्थिति में निरंतर सुधार होता है।
- इस दिन भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है, जो बुद्धि, विवेक और शुभता के देवता हैं। लक्ष्मी और गणेश की संयुक्त आराधना से न केवल धन प्राप्त होता है, बल्कि सही निर्णय लेने की क्षमता, शांति और संतुलन भी जीवन में आता है, जिससे घर में सौहार्द और सुख-शांति बनी रहती है।
- व्यापारी वर्ग के लिए दिवाली विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है। इस दिन वे अपने नए खाता-बही (लेजर) की पूजा करते हैं और व्यापार में उन्नति की प्रार्थना करते हैं। यह परंपरा नए आर्थिक वर्ष की शुरुआत के रूप में देखी जाती है।
- इसके अलावा, अमावस्या की अंधेरी रात में दीप जलाकर की गई लक्ष्मी पूजा जीवन से नकारात्मकता और अज्ञान के अंधकार को दूर करती है। यह पवित्र अनुष्ठान न केवल भौतिक सुख देता है, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धता और मानसिक सुकून भी प्रदान करता है। इस प्रकार लक्ष्मी पूजन जीवन के हर पहलू में शुभता और समृद्धि लाने का माध्यम है।
इस वर्ष दिवाली के दिन एक विशेष और शुभ योग बन रहा है जिसे हंस महापुरुष राजयोग कहा जाता है। यह योग तब बनता है जब गुरु ग्रह (बृहस्पति) अपनी उच्च राशि कर्क में स्थित होता है। गुरु का यह संयोग बेहद शुभ माना जाता है और यह योग व्यक्ति के जीवन में वैभव, बुद्धि, सम्मान और समृद्धि लाने वाला होता है। दिवाली जैसे पावन पर्व पर इस राजयोग का बनना इस दिन की धार्मिक और ज्योतिषीय महत्ता को और अधिक बढ़ा देता है।
- धनतेरस - 18 अक्तूबर 2025, शनिवार
- छोटी दिवाली -19 अक्तूबर 2025, रविवार
- दिवाली- 20 अक्तूबर 2025, सोमवार
- गोवर्धन पूजा- 22 अक्तूबर 2025, बुधवार
- भाईदूज- 23 अक्तूबर 2025, गुरुवार
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों को इस दिवाली करियर में अच्छी सफलता मिल सकती है। कार्यक्षेत्र में आपका प्रदर्शन सराहा जाएगा और प्रमोशन के योग भी बन सकते हैं। धन से जुड़ी समस्याएं दूर होंगी और निवेश से लाभ मिलने के संकेत हैं। यदि आप किसी नई योजना पर कार्य करना चाहते हैं, तो यह समय आपके लिए अनुकूल रहेगा। साथ ही दांपत्य जीवन में भी मिठास बनी रहेगी।
कर्क राशि
गुरु ग्रह की उच्च स्थिति आपकी राशि में ही हंस महापुरुष राजयोग का निर्माण कर रही है, जिससे आपको सबसे अधिक लाभ मिल सकता है। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और आय के नए स्रोत बन सकते हैं। नौकरी और व्यापार दोनों में सफलता मिलेगी। यदि आप किसी नए प्रोजेक्ट या निवेश की योजना बना रहे हैं तो यह समय आपके लिए अनुकूल है। साथ ही पारिवारिक और वैवाहिक जीवन भी खुशहाल रहेगा।
तुला राशि
तुला राशि वालों के लिए यह दिवाली आर्थिक रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकती है। कोई रुका हुआ भुगतान प्राप्त हो सकता है या अचानक से लाभ का योग बन सकता है। व्यापार में नई डील होने से बड़ा मुनाफा हो सकता है। नौकरी करने वालों को नई जिम्मेदारी के साथ प्रमोशन भी मिल सकता है। इस दौरान आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी और निजी जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस बार वृषभ लग्न, जो लक्ष्मी पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, रात 7:18 से 9:15 बजे तक रहेगा। वहीं, सिंह लग्न, जो रात्रिकालीन या मध्यरात्रि पूजन के लिए उपयुक्त है, रात 1:48 से सुबह 4:05 तक प्रभावी रहेगा। पंडित शास्त्री ने बताया कि जो लोग प्रदोष काल में पूजन नहीं कर पाते, वे सिंह लग्न में भी पूजा कर सकते हैं। मध्यरात्रि में लक्ष्मी पूजन करने से भी समान फल प्राप्त होता है।
20 अक्तूबर 2025 को दीपावली के दिन धर्मशास्त्रोक्त प्रदोष काल शाम 05 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। इसमें स्थिर लग्न वृष का समावेश 06 बजकर 59 मिनट से लेकर 08 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।
चौघड़िया मुहूर्त
चर चौघड़िया घं.05 मि.36 से घं.07 मि.10 तक, तत्पश्चात् लाभ चौघड़िया की वेला घं.10 मि.19 से घं.11 मि.53 तक रहेगी। तथा शुभ,अमृत, चर चौघड़िया की संयुक्त वेला रात्रि घं.01 मि.28 से घं.06 मि.11 तक रहेगी।
20 अक्तूबर को अमावस्या, प्रदोष काल, वृष लग्न और चर चौघड़िया का पूर्ण शुभ संयोग रहेगा।
भगवान कुबेर को दिवाली पर अर्पित करें ये विशेष वस्तुएं
- धनिया को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। पूजा में सूखा धनिया या धनिया पंजीरी अर्पित करने से आर्थिक संकट कम होते हैं और घर में स्थिर धन आगमन बना रहता है।
- कमलगट्टा लक्ष्मी माता और भगवान कुबेर दोनों को प्रिय है। इसे पूजा में शामिल करने से घर में धन की स्थिरता आती है और समृद्धि बनी रहती है।
- भगवान कुबेर को सुगंध बेहद प्रिय है। पूजा में इत्र अर्पित करने से वातावरण पवित्र और सकारात्मक बनता है। साथ ही यह ऐश्वर्य और आनंद का प्रतीक भी है।
- सुपारी को शक्ति और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है, जबकि लौंग पवित्रता और सुरक्षा का। इन दोनों वस्तुओं को अर्पित करने से घर में शुभता बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- गेंदे के फूल भगवान कुबेर को अत्यंत प्रिय हैं। रोज़ाना या विशेष रूप से दिवाली पर इन्हें अर्पित करने से घर में सुख-शांति और धन-संपत्ति का वास होता है।
- इलायची शुभता और सौभाग्य का प्रतीक है। इसकी मिठास और खुशबू घर में सुख-समृद्धि लाने में सहायक होती है। वहीं दूर्वा घास (हरी घास) वातावरण को पवित्र बनाती है और नकारात्मक ऊर्जा को हटाकर सकारात्मकता बढ़ाती है।
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का खास उपाय (Lakshmi Mata Ko Prasann Karne Ke Upay)
- सनातन धर्म में जलता हुआ दीपक अग्नि देव का प्रतीक है। जिस प्रकार किसी भी देवता को आदरपूर्वक ऊँचे स्थान पर स्थापित किया जाता है, उसी तरह दीए को भी सम्मानपूर्वक रखना चाहिए। दीए के नीचे चावल, हल्दी या अनाज जैसी शुभ वस्तुएं रखना मंगलकारी माना गया है।
- हिंदू रीति-रिवाजों में अक्षत (चावल) को पूर्णता, शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। हर पूजा में इसका उपयोग आवश्यक होता है। ज्योतिषीय दृष्टि से चावल का संबंध शुक्र ग्रह से बताया गया है, जो धन और ऐश्वर्य के कारक हैं। दीपक के नीचे थोड़ी सी अक्षत रखने से शुक्र का सकारात्मक प्रभाव बढ़ता है, जिससे आर्थिक प्रगति और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
- हल्दी को अत्यंत पवित्र माना गया है और इसमें स्वयं मां लक्ष्मी का वास बताया गया है। यह सौभाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रतीक है। विशेष रूप से साबुत हल्दी की गांठ शुभ मानी जाती है। दीपक जलाने से पहले यदि चावल के ऊपर थोड़ी हल्दी रखी जाए, तो यह घर से नकारात्मकता दूर करके समृद्धि को आकर्षित करती है।
- ऑफिस के लिए (लाभ)- दोपहर 3:30 मिनट से शाम 5:00 बजे तक
- छात्रों के लिए (अमृत)- शाम 5:00 मिनट से लेकर 6:30 मिनट तक
- प्रदोष काल- 05:46 से 08:18 तक
- वृषभ काल- 07:08 से 09 :03 तक
- गृहस्थ, किसान, व्यापारी और विद्यार्थी के लिए- शाम 7: 32 मिनट से लेकर रात 9: 28 मिनट तक
- नए व्यापारियों के लिए (चंचल)- शाम 5:55 मिनट से लेकर 7:25 मिनट तक।
- परंपरागत व्यापारियों के लिए (शुभ)- रात 3:25 मिनट से लेकर 4:55 मिनट तक।
- साधकों के लिए (लाभ)- रात 12: 25 से 01:55 मिनट तक।
दुकान, ऑफिस और प्रतिष्ठानों में कैसे करें लक्ष्मी पूजा
- दिवाली की सुबह ऑफिस और दुकान में अच्छी तरह के साफ-सफाई करें, फिर पूजा स्थल समेत कार्यस्थल पर फूलों, रंगोली और लाइटों से सजावट करें।
- दुकान और ऑफिस में पूजा स्थल पर माता लक्ष्मी, भववान गणेश और कुबेर देवता की मूर्ति को स्थापित करते हुए विधि-विधान के साथ पूजा करें।
- इसके बाद अष्टगंध, फूल, अक्षत, फल, खील, बताशे, मिठाई का भोग लगाएं और फिर बही खातों की पूजा करें।
- वहीं बही खातों पर स्वास्तिक और शुभ-लाभ का निशान बनाकर अक्षत और पुष्प अर्पित करते हुए धन की देवी माता लक्ष्मी से व्यापार में तरक्की और समृद्धइ की कामना करते हुए आरती करें।
दिवाली पर प्रदोष काल पूजा का महत्व
स्वागत के लिए हो जाएं सभी तैयार।
दीप जलाकर मनाओ दिवाली का त्योहार
क्योंकि 14 वर्ष का वनवास काटकर लौटे हैं श्रीराम।
दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं
Diwali 2025 Laxmi Pujan Time: इतने बजे से शुरू होगा लक्ष्मी पूजन मुहूर्त
Today Laxmi Puja Muhurat: क्या है प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन का महत्व
Diwali 2025 Laxmi Puja Muhurat: जानें महानिशीथ काल में लक्ष्मी पूजा का महत्व
Diwali Puja Time For Office: ऑफिस में आज लक्ष्मी पूजा का समय
Maa Lakshmi Ji ki Aarti Lyrics in Hindi :लक्ष्मी पूजन में जरूर पढ़ें ये आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निस दिन सेवत हर-विष्णु-धाता ॥ॐ जय...
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ॐ जय...
तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥ॐ जय...
जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥ॐ जय...
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता ।
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता ॥ॐ जय...
शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥ॐ जय...
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता ॥ॐ जय...
दिवाली पर मां लक्ष्मी का षोडशोपचार पूजा का महत्व
1- ध्यान-प्रार्थना
2- आसन
3- पाद्य
4- अर्घ्य
5- आचमन
6- स्नान
7- वस्त्र
8- यज्ञोपवीत
9- गंक्षाक्षत
10- पुष्प
11- धूप
12- दीप
13- नैवेद्य
14- ताम्बूल
15- मंज्ञ
16- नमस्कार और स्तुति
Laxmi Puja Muhurat Ka Time: दिवाली लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 20 अक्तूबर को शाम 03:44
अमावस्या तिथि समाप्त - 21 अक्टूबर को शाम 05:54
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (प्रदोष काल)
शाम 07:08 से 08:18 तक
अवधि- 1 घंटे 11 मिनटप्रदोष काल- 05:46 से 08:18 तक
वृषभ काल- 07:08 से 09 :03 तक
Diwali 2025 Laxmi Pujan Vidhi: लक्ष्मी पूजन की संपूर्ण विधि
- लक्ष्मी पूजन से पहले घर की साफ-सफाई का खास महत्व है, इसलिए सभी जगह गंगाजल का छिड़काव करें।
- घर के मुख्य दरवाजे पर रंगोली और तोरण द्वार बनाएं।
- अब लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वप्रथम एक साफ चौकी पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछाएं।
- अब चौकी पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित करें और सजावट का सामान से चौकी सजाएं।
- माता लक्ष्मी और गणेश भगवान की मूर्ति को वस्त्र पहनाएं और इस दौरान देवी को चुनरी अवश्य अर्पित करें।
- अब साफ कलश में जल भरें और चौकी के पास रखें दें।
- प्रथम पूज्य देवता का नाम लेते हुए भगवानों को तिलक लगाएं ।
- लक्ष्मी-गणेश को फूल माला पहनाएं और ताजे फूल देवी को अर्पित करें। इस दौरान कमल का फूल चढ़ाना न भूलें।
- अब अक्षत, चांदी का सिक्का, फल और सभी मिठाई संग भोग अर्पित करें।
- यदि आपने किसी वस्तु या सोना-चांदी की खरीदारी की है, तो देवी लक्ष्मी के पास उसे रख दें।
- शुद्ध देसी घी से दीपक जलाएं और इसके साथ ही घर के कोने में रखने के लिए कम से कम 21 दिए भी इसके साथ जलाएं।
- अब भगवान गणेश जी आरती करें और गणेश चालीसा का पाठ भी करें
- देवी लक्ष्मी की आरती और मंत्रों का जाप करें।
- अब घर के सभी कोनों में दीपक रखें और तिजोरी में माता की पूजा में उपयोग किए फूल को रख दें।
- अंत में सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पूजा में हुई भूल की क्षमा मांगे।
Diwali 2025: मुख्य द्वार के बाहर दीपक जलाने का महत्व
Diwali 2025: घर के चारों कोनों पर दीपक जलाने का महत्व
Diwali 2025: तुलसी के नीचे या बगीचे में दीपक
Diwali Puja Ka time: कब है दिवाली का लक्ष्मी पूजा का समय
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (प्रदोष काल)
शाम 07:08 से 08:18 तक
अवधि- 1 घंटे 11 मिनटप्रदोष काल- 05:46 से 08:18 तक
वृषभ काल- 07:08 से 09 :03 तक
Diwali Puja Time 2025 20 Oct: जानें दिवाली लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (प्रदोष काल)
शाम 07:08 से 08:18 तक
pooja time for diwali 2025 in india: दिवाली पर लक्ष्मी गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त कितने बजे से होगा शुरू
pooja time for diwali 2025: लक्ष्मी गणेश पूजन के लिए मुहूर्त का समय
Diwali Katha: पढ़ें दिवाली की कथा
पुराने समय की बात है, एक नगर में एक साहूकार रहता था जिसकी एक अत्यंत सुशील और धार्मिक प्रवृत्ति की बेटी थी। वह रोज़ अपने घर के सामने खड़े पीपल के पेड़ को जल अर्पित करती थी। उस पीपल वृक्ष में स्वयं मां लक्ष्मी का वास था, और उसकी भक्ति से लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न थीं।
एक दिन जब वह कन्या पीपल को जल चढ़ा रही थी, तभी मां लक्ष्मी प्रकट हुईं और बोलीं, "बेटी, मैं तुझसे प्रसन्न हूं, तुझे अपनी सहेली बनाना चाहती हूं।" यह सुनकर लड़की विनम्रता से बोली, "माताजी, पहले मुझे अपने माता-पिता से पूछने दीजिए।" घर जाकर उसने सब कुछ बताया, और माता-पिता की आज्ञा मिलने के बाद उसने लक्ष्मीजी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इसके बाद लक्ष्मीजी और साहूकार की बेटी में गहरा स्नेहभाव बन गया।
एक दिन लक्ष्मीजी ने उसे अपने घर भोजन पर बुलाया। जब वह वहां पहुंची, तो लक्ष्मीजी ने उसे सोने की चौकी पर बैठाकर सोने-चांदी के बर्तनों में भोजन कराया और रेशमी वस्त्रों से उसे सुसज्जित किया। विदा करते समय लक्ष्मी जी ने कहा, "कुछ समय बाद मैं तुम्हारे घर आऊंगी।" यह सुनकर साहूकार की बेटी घर लौट गई और सब कुछ अपने माता-पिता को बताया। माता-पिता तो खुश हुए, लेकिन बेटी चिंतित हो गई। उसने कहा, "लक्ष्मी जी के पास इतना वैभव है, मैं उन्हें क्या दे सकूंगी?"
पिता ने समझाया, “बेटी, श्रद्धा सबसे बड़ा उपहार होती है। घर को अच्छे से लीप-पोत कर साफ-सुथरा रखना और जितना भी बन सके, प्रेम से भोजन बनाना।” तभी, जैसे ईश्वर की कृपा हुई एक चील उड़ती हुई आई और एक नौलखा हार आंगन में गिराकर चली गई। उस हार को बेचकर बेटी ने अच्छे से घर सजाया, रेशमी वस्त्र, स्वादिष्ट भोजन और सोने की चौकी की व्यवस्था की।
जब लक्ष्मी जी उनके घर आईं, तो बेटी ने उन्हें सोने की चौकी पर बैठने को कहा। पर लक्ष्मी जी मुस्कुरा कर बोलीं, “इस पर तो राजा-रानी बैठते हैं।” और वे साधारण ज़मीन पर आसन बिछाकर बैठ गईं। उन्होंने प्रेम से बना भोजन ग्रहण किया और साहूकार के परिवार के आतिथ्य से अत्यंत प्रसन्न हुईं। जाते-जाते उन्होंने उस घर को सुख, शांति और समृद्धि से भर दिया।
हे मां लक्ष्मी! जिस प्रकार आपने साहूकार की बेटी की भक्ति और निष्ठा से प्रसन्न होकर उसके घर को धन-धान्य से भर दिया, वैसे ही कृपा सभी भक्तों पर भी बरसाइए और हर घर में सुख-समृद्धि का वास हो।
Diwali Aarti: दिवाली लक्ष्मी पूजन आरती
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
भगवान गणेश की आरती
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
Diwali Aarti Time: दिवाली पर मां लक्ष्मी पूजन और आरती का महत्व और समय
Diwali Puja Ka Time: दिवाली लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त
Laxmi Mantra For Diwali: दिवाली पूजन में जरूर जाप करें ये लक्ष्मी मंत्र
दिवाली लक्ष्मी- गणेश आरती और पूजा मंत्र:
मां लक्ष्मी मंत्र-
ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
सौभाग्य प्राप्ति मंत्र-
ऊं श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
कुबेर मंत्र-
ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दा
Diwali Aarti: बिना लक्ष्मी-गणेश आरती के बिना पूरा नहीं होती दिवाली पूजन, पढ़ें आरती
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
भगवान गणेश की आरती
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
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रविवार, 19 अक्टूबर 2025
Driving License कैसे बनाएँ: पूरी जानकारी
Driving License कैसे बनाएँ: पूरी जानकारी

परिचय
भारत में Driving License बनवाना एक जरूरी कदम है—कानूनी और सुरक्षित ड्राइविंग के लिए। चाहे आप पहली बार Driving License बनवाना चाह रहे हैं या renewal कर रहे हैं, यह गाइड आपको पूरी प्रक्रिया—eligibility से लेकर प्राप्ति तक—विस्तार से बताएगी।
1. Driving License के प्रकार
Learner’s License (LL): 6 महीने के लिए वैध, आरंभिक चरण।
Permanent Driving License (DL): टेस्ट पास करने के बाद जारी, 20 वर्ष या 50 साल की उम्र तक वैध।
Renewal / Duplicate DL: वे चलन में लाना या खो जाने पर दोबारा बनवाना।
2. योग्यता (Eligibility)
Light Motor Vehicle (LMV): न्यूनतम 18 वर्ष।
Motorcycle with Gear: न्यूनतम 18 वर्ष; बिना गियर के 16 वर्ष।
Heavy Vehicle (Bus/Truck): कम से कम 20 वर्ष, और पहले से DL होना चाहिए।
शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए।
3. आवश्यक दस्तावेज
उम्र का प्रमाण: आधार, जन्म प्रमाण-पत्र, पासपोर्ट।
पते का प्रमाण: आधार, वोटर आईडी, utility बिल आदि।
पासपोर्ट साइज फोटो (2–3)।
मेडिकल सर्टिफिकेट (Form CMV-1) यदि आवश्यक।
Learner’s License (Permanent DL के लिए)।
4. पूरी प्रक्रिया (Step-by-step)
4.1 Learner’s License बनवाना
Parivahan Sewa पोर्टल पर जाएँ (parivahan.gov.in)।
"Apply Online" → "Driving License" चुनें।
व्यक्तिगत और वाहन विवरण भरें।
दस्तावेज़ और फोटो अपलोड करें।
शुल्क (~₹150) जमा करें।
टेस्ट का समय (slot) चुनें।
Multiple-choice टेस्ट पास करें।
तब आपको Learner’s License मिल जाता है—तुरंत या कुछ दिनों में।
4.2 Permanent Driving License बनवाना
Learner’s License कम से कम 30 दिन रखना आवश्यक।
फिर से पोर्टल या RTO में आवेदन करें।
आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड या दिखाएँ।
शुल्क (~₹200–₹300) जमा करें।
Driving Test (road test) के लिए समय लें।
पास करने पर DL जारी—laminated जारी या पोस्ट से प्राप्त।
5. Driving Test के टिप्स
पहले खाली जगह पर अभ्यास करें।
नियमों का पालन करें: मिरर चेक, संकेत, मोड़, पार्किंग, रिवर्स।
आत्मविश्वासी और सतर्क रहें।
6. License का स्टेटस कैसे देखें & प्राप्त करें
Parivahan पोर्टल में: “Check Application Status” → License Reference Number दर्ज करें।
DL डाक से आता है या RTO से कलेक्ट किया जा सकता है।
7. अतिरिक्त सुझाव
DigiLocker या Parivahan App में Digital DL रखें।
वैधता से पहले Renewal कर लें।
पता बदलने पर DL-5 फॉर्म भरकर अपडेट करें।
निष्कर्ष
Driving License बनवाने में दो चरण होते हैं— Learner’s License और Permanent DL—दोनों में दस्तावेज, टेस्ट और शुल्क शामिल हैं। सही तैयारी और जानकारी से यह प्रक्रिया सरल है।
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