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शनिवार, 13 अक्तूबर 2012

इस्लाम में गाय का महत्व

सच्चा मुसलमान अपने-आप में देखे क्या वो अपऩे मजहब के उसूलों को मानता है ?


इस्लाम में गाय का महत्व
1. “गाय चौपायों की सरदार है” – कुरान
2. ” गाय का दूध-घी शिफा (दवा) है और गौमांस बीमारी है” मोहम्मद साहब
3. “खुदा के पास खून और गोश्त नहीं पहुँचता – त्याग की भावना पहुँचती है”
4. एक धार्मिक महिला को बिल्ली को मारने के कारण दोजख मिला, एक बदनाम महिला को कुत्ते को पानी पिलाने के कारण जन्नत मिली.
5. जिस देश में रहते हो उसके कानून का पालन करो.
6. पडोसी को दुःख पहुँचाना पाप है.
7. बाबर से बहादुर शाह जफ़र तक के शासन काल में गोहत्या प्रतिबंधित थी.
8. बहादुर शाह जफर ने स्वयं मुनादी फिरवाई थी कि बकरीद पर गाय की कुर्बानी करने वाले को तोप से उड़ा दिया जायेगा
9. “गो हत्या करने वाले के विरुद्ध, क़यामत के दिन, मोहम्मद साहब गवाही देंगे” – देव बंद के फतवे का सार,
राष्ट्रीय मुस्लिम मंच
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 16-11-94 का सारांश
1. पश्चिम बंगाल पशु हत्या नियंत्रण अधिनियम 1950-गाय-भैंस सहित पशुओं की हत्या रोकने के उद्देश्य से बना है.
2. राज्य सरकार वैकल्पिक धार्मिक कृत्य हेतु धारा 12 के अंतर्गत छूट नहीं दे सकती.
3. धारा 5 के अनुसार - प्रमाण पत्र मिलने के बाद भी, केवल निर्धारित स्थान (कत्लखाने) के आलावा किसी अन्य स्थान पर पशु का वध नहीं हो सकता.
4. धारा 7 के अनुसार दोषी व्यक्ति को 6 माह का कारावास या 1000 का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.
5. धारा 9 के अनुसार अपराध करने का प्रयास करने या प्रोत्साहित करने पर भी दण्डित किया जा सकता है.
6. चूँकि बकरीद पर गाय की कुर्बानी आवश्यक धार्मिक कृत्य नहीं है अतः बकरीद समेत सभी दिनों के लिए गायों की हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध, संविधान के अनुछेद 25 (1) के विरुद्ध नहीं है.
7, मुग़ल बादशाह बाबर, हुमायूं, अकबर, जहाँगीर एवं अहमद शाह ने भी गोहत्या पर प्रतिबन्ध लगाया था.
8. कानून की चर्चा से स्थिर हो जाता है कि मुसलमानों को बकरीद पर स्वस्थ गायों की कुर्बानी हेतु आग्रह करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है.
9. चूँकि गायों की कुर्बानी एक आवश्यक धार्मिक कृत्य नहीं अतः राज्य सरकार के पास भी यह अधिकार नहीं कि वह धारा 12 के अंतर्गत छूट दे सके.
By: वन्दे गौमातरम
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