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शनिवार, 13 अक्तूबर 2012

परंतु तुम्हारा शोषण कौन करेगा ये चुनना अब तुम लोगों के हाथ में हैं।

एक बहुत ही सम्पन्न जंगल था। नियम के अनुसार उस जंगल का कोई भी जानवर जंगल के किसी दुसरे जानवर को परेशान व उसका शिकार नहीं कर सकता था व बड़े व ताकतवर जानवरो को छोटे व कमजोर जानवरों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी दी गई थी। नियम तोड़ते हुए पकड़े जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान था। उसी जंगल मे चूहों का बड़ा विशाल व धनी समूह भी रहता हैं। उनकी सुरक्षा के लिए एक बिल्ली को नियुक्त किया गया। सभी चूहे मिलकर उसे थोड़ा थोड़ा राशन पानी दिया करते थे। चूंकि प्राकर्तिक हैं कि बिल्ली चूहे का शिकार करती हैं सो वो भी कभी कभी चोरी छिपे 1-2 चूहों को खा जाती। बाद में चूहों ने सोचा कि यदि कभी इस बिल्ली का ईमान बदला तो ये हम सभी को खा जाएगी और हम इसका कुछ भी नहीं बिगड़ सकते, सो उन्होने राजा से कहा कि हमें एक और पहरेदार बिल्ली दीजिये ताकि एक का ईमान बिगड़ने पर दूसरा हमारी रक्षा कर सके। राजा ने कहा कि क्या तुम लोग दोनों को दाना-पानी दे सकते हो, तो चूहों ने कहा नहीं- हम बारी बारी से केवल एक को चुनेंगे और उसी को भोजन देंगे दूसरे को तो ऐसे ही रहना होगा। अब दोनों बिल्लियाँ वहाँ रहने लगी और बारी
बारी से चूहों के द्वारा दिये जा रहे भोजन के साथ साथ चोरी छिपे चूहों को भी खा रही थी। कुछ दिनों बाद एक तीसरी बिल्ली की नजर भी इस खजाने पर पड़ी, पर उसे पता था कि नियम के अनुसार मुझे चूहों की रखवाली करने को नहीं मिलेगी सो उसने उनसे सहानुभूति का नाटक प्रारम्भ कर दिया और बाकी की दोनों बिल्लियों पर जंगल का कानून तोड़ने का, चूहों का शोषण करने का और उन्हे मारने, ठगने जैसे कई आरोप लगाने शुरू कर दिये। चूहों को भी लगा की तीसरी बिल्ली सही कह रही हैं सो कुछ चूहें उसके साथ हो लिये। अब यहाँ 3 ग्रुप बन गए और रोज इसी तरह के आरोप प्रत्यारोप होने लगे, जिसके कारण चूहों के काम काज के साथ इनकी प्रगति भी रुकने लगी। किसे अपना रक्षक बनाए कुछ समझ मे नहीं आ रहा था सो समस्या बढ़ती देख चूहे राजा के पास गए और सब हाल बता दिया। राजा ने तीनों बिल्लियों को बुला कर पूछा तो पहली ने कहा जब में अकेली भी थी तो मैं सोचती थी मुझे ही खाना हैं सो थोड़ा थोड़ा खाती थी। मैंने तो दूसरे के आने के बाद ज्यादा खाना शुरू किया। दूसरी ने कहा कि पहली ने काफी कुछ खा रखा था इसलिए मैंने बराबर करने के लिय ज्यादा खाना शुरू कर दिया। तीसरी ने कहा कि जिस तरह से ये दोनों खा रही थी तो हमारे लिये कुछ बचता ही नहीं इसलिए मैंने ये सब बवाल किया। राजा ने इनकी दलीले सुन कर इन्हे वापस भेज दिया और चूहों को बुला कर कहा- चूंकि जंगल का नियम हैं इसलिए तुम्हें एक रक्षक तो रखना ही पड़ेगा, ये तुम्हारा शोषण भी करेंगे और तुम्हें खाएँगे भी क्योंकि ये इनका प्राकर्तिक स्वभाव हैं जो जाने वाला नहीं हैं। परंतु तुम्हारा शोषण कौन करेगा ये चुनना अब तुम लोगों के हाथ में हैं।

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