मक्खन के हनुमान
मक्खन के हनुमान के रूप में मौजूद है जलगांव में ऐतिहासिक हनुमान मंदिर
जलगांव शहरसे लगभग १५ किलोमीटर की दूरी पर रिधूर गांवमें हनुमानजी का ऐतिहासिक मंदिर देशभरमें अपने चमत्कार के रूपमे जाना जाता है।
रिधूर गांवके अवचित हनुमान मंदिर के रूपमे पेहचाने जानेवाले हनुमानजीके इस पुरातन मंदिर की यह विशेषता है की मंदिर मे आठ फु ट उची हनुमानजी
की मूर्ती किसी पाषाण या धातू से नही बनाई गयी । इस पुरातन मंदिर की ऐतिहासिक विशेषता ये है की आठ फुट उचे हनुमानजीको मख्खन व सिंदूरसे मूर्ती के रूपमे ढाला गया है। खास बात ये है की जलगांव जिलेकी ४५ डिग्री सेल्सीयस वाली गर्मीमे भी इस मूर्तीपर पिघलनेका कोइ परिणाम नही होता। जलगांव तहसीलके इस चम्तकारी देवस्थान को देखनेके लिए देशभरसे श्रध्दालूओका आगमन होता है। तापी नदी के किनारे बसे इस अवचित हनुमान मंदिर को स्थानिय मराठी भाषामे लोण्याचा मारोती के रुपमे उल्लेखीत किया जाता है। लगभग ९ हेक्टरके परिसर मे अवचित हनुमान मंदिर को सुशोभित किया गया है। मंदिर के निकटही एकादशी के मंदिर की भी स्थापना की गयी है।
अवचत हनुमान मंदिर के उपर श्रीराम, लक्ष्मण, व सीताजी का मंदिर भी बनाया गया है। इसके पीछेकी भावनाए है की हनुमानजी व्दारा राम, लक्ष्मण सीता को अपने कंधेपर बिठा रखा है।
अवचित हनुमान मंदिर के जिर्णोध्दार के समय बताये जाता है की एक श्रध्दालू २० फुट की उचाईसे निचे गिरगया ओैर बजरंग बलीके आर्शीवाद से उसे खरोच तक नही आयी।
मंदिर की विशेषताये बताते हुऐ जानकारी दि गयी की प्रति वर्ष हनुमान जयंती के अवसर पर मूर्तीको मख्खन व सिंदूर का लेप चढाते हुए भजन किर्तन , भंडारा आदी किया जाता है।
तदोप्रान्त हनुमान जयंतीके दिवस मूर्ती का साज सिंगार करते हुए पूजन किया जाता है। इस सारे अनुष्ठान को मंदिर के पूज्य माधवदास स्वामी व मतोश्री कौषल्यामाता व्दारा
पूर्ण किया जाता है।
मक्खन के हनुमान के रूप में मौजूद है जलगांव में ऐतिहासिक हनुमान मंदिर
जलगांव शहरसे लगभग १५ किलोमीटर की दूरी पर रिधूर गांवमें हनुमानजी का ऐतिहासिक मंदिर देशभरमें अपने चमत्कार के रूपमे जाना जाता है।
रिधूर गांवके अवचित हनुमान मंदिर के रूपमे पेहचाने जानेवाले हनुमानजीके इस पुरातन मंदिर की यह विशेषता है की मंदिर मे आठ फु ट उची हनुमानजी
की मूर्ती किसी पाषाण या धातू से नही बनाई गयी । इस पुरातन मंदिर की ऐतिहासिक विशेषता ये है की आठ फुट उचे हनुमानजीको मख्खन व सिंदूरसे मूर्ती के रूपमे ढाला गया है। खास बात ये है की जलगांव जिलेकी ४५ डिग्री सेल्सीयस वाली गर्मीमे भी इस मूर्तीपर पिघलनेका कोइ परिणाम नही होता। जलगांव तहसीलके इस चम्तकारी देवस्थान को देखनेके लिए देशभरसे श्रध्दालूओका आगमन होता है। तापी नदी के किनारे बसे इस अवचित हनुमान मंदिर को स्थानिय मराठी भाषामे लोण्याचा मारोती के रुपमे उल्लेखीत किया जाता है। लगभग ९ हेक्टरके परिसर मे अवचित हनुमान मंदिर को सुशोभित किया गया है। मंदिर के निकटही एकादशी के मंदिर की भी स्थापना की गयी है।
अवचत हनुमान मंदिर के उपर श्रीराम, लक्ष्मण, व सीताजी का मंदिर भी बनाया गया है। इसके पीछेकी भावनाए है की हनुमानजी व्दारा राम, लक्ष्मण सीता को अपने कंधेपर बिठा रखा है।
अवचित हनुमान मंदिर के जिर्णोध्दार के समय बताये जाता है की एक श्रध्दालू २० फुट की उचाईसे निचे गिरगया ओैर बजरंग बलीके आर्शीवाद से उसे खरोच तक नही आयी।
मंदिर की विशेषताये बताते हुऐ जानकारी दि गयी की प्रति वर्ष हनुमान जयंती के अवसर पर मूर्तीको मख्खन व सिंदूर का लेप चढाते हुए भजन किर्तन , भंडारा आदी किया जाता है।
तदोप्रान्त हनुमान जयंतीके दिवस मूर्ती का साज सिंगार करते हुए पूजन किया जाता है। इस सारे अनुष्ठान को मंदिर के पूज्य माधवदास स्वामी व मतोश्री कौषल्यामाता व्दारा
पूर्ण किया जाता है।
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