देख
रहा हु बहोत वक्त से .... कुछ नव बौद्ध … और divide and rule राजनीती के
शिकार हमारे दलित भाई .... एक ही राग आलाप रहे है .… कि पुरातन काल में
शुद्रो को विद्या का अधिकार नहीं था … मनु स्मृति में है कि शुद्रो को वेद
मंत्र का उच्चारण नहीं करना । वगेरह वगेरह …
तो भाई सुनो … पहले तो ब्राह्मण, राजपूत और शुद्र कोई जाती का नाम था वोह
कचरा दिमाग से हटाओ …
फिर बात आती है कि क्यों अधिकार नहीं था … तो भाई सीधी सीधी भाषा में यह
समजो कि फाइनली शुद्रा वोह कहलाता था जिस ने विद्या प्राप्त न करी हो … और
जिस ने विद्या प्राप्त न करी हो … वोह वेद मंत्रो रामायण गीता के अर्थ का
अनर्थ कर सकते है … ( जैसे आज कल फेसबुक पर कुछ लोग लगे हुए है .। रामायण
और गीता कि बाल कि खाल निकलने वोह भी बिना कुछ जाने समजे … जैसे चाचा चौधरी
या संजय लीला भंसाली कि फिल्मो कि स्टोरी कि चर्चा कर रहे हो ) .... तभी
ऐसी व्यवस्था राखी गयी होगी कि जिस बारे में जानकारी व्यक्ति न रखता हो उस
कि या तो जानकारी प्राप्त करे या उस के बारे में बात ही न करे ।
यह ठीक इसी तरह है कि .
अगर मुझे एकाउंटेंसी नहीं आती तो मुझे कोई कंपनी में अकाउंट मेनेजर कि
नौकरी न दी जाए । नहीं तो खाता वाही तहस नहस हो जायेगी … पहले चार्टर्ड
अकाउंटंट (ब्राह्मण) बनो फिर अधिकार मिलेगा किसी कि ऑडिट फ़ाइल साइन करने का
…
अगर मुझे ट्रक चलना नहीं आता तो मेरे हाथ में ट्रक न पकड़ाई जाए । लायसंस ही
न दिया जाए .। पहले लायसन्स लिया जाए उस के बाद ही ट्रक चलने का मौका दिया
जाए …
अगर मुझे दुकानदारी नहीं आती तो पहले व्यापर सिखा जाए (बनिया) । उस के बाद
ही आप कि दुकान चलेगी . नहीं तो अर्थ व्यवस्था खड्डे में जायेगी
अगर मुझे राजनीती / अश्त्र शाश्त्र नहीं आते तो (राजपूत) फिर कही जा कर
ब्राह्मण, वैश्य या शुद्र का कार्य किया जाए । न कि सेना में भर्ती हो कर
लड़ाई कि बात कि जाए …
इस से आसान भाषा नहीं है अपने पास दोस्तों
अब यह न पूछना कि पढ़ने नहीं दिया … यह ऐसा ही सवाल होगा कि पहले मुर्गी आयी
या अंडा … शुद्र या क्षत्रिय हो कर भी ब्राह्मण . या ब्राह्मण हो कर भी
शुद्र लोग हुए है इतिहास में । अब सब का नाम नहीं टाइप करता । सब जानते ही
हो …
तो भैया . अगली बार मनुस्मृति पढ़ो … तो पहले थोडा बहोत ज्ञान ले लो और वेदो
और उपनिषदो का … नहीं तो सच में मनुस्मृति का यह सिद्धांत मान ने को दिल
करता है कि ब्रह्मणो (जानकार व्यक्ति जाती नहीं ) के सिवा किसी को अधिकार
नहीं है वेद, रामायण, गीता पढ़ने का …
"जन-जागरण लाना है तो पोस्ट को Share करना है।"
जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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