ऎ मेरे मन,
अंधेरे से निकलकर चांदनी में नहाकर तो देख।
जिन्दगी क्या है कभी आवरण हटाकर तो देख॥
कौन है अपना कृष्णा से दिल लगाकर तो देख॥
उपवन महकता है जैसे जीवन भी महक उठेगा।
कन्हैया का नाम दिल से पुकार कर तो देख॥
कौन है अपना कृष्णा से दिल लगाकर तो देख॥
कृष्ण सितारा है चमकता रहेगा सदा आँखों में।
दिखलाई देगा तन से खुद को हटाकर तो देख॥
कौन है अपना कृष्णा से दिल लगाकर तो देख॥
आँखों के रास्ते किस पल दिल में उतर जायेगा।
सांवरे की छवि को दिल में निहार कर तो देख॥
कौन है अपना कृष्णा से दिल लगाकर तो देख॥
दीवारों की भी भाषा होती है आवाज भी होती हैं।
अपने मन्दिर की दीवार को सजाकर तो देख॥
कौन है अपना कृष्णा से दिल लगाकर तो देख॥
दूरियाँ नज़रों की इस जहाँ में सिर्फ़ एक धोखा है।
कान्हा मिलेगा उसकी ओर हाथ बढ़ाकर तो दे
कौन है अपना कृष्णा से दिल लगाकर तो देख॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.