कोई
पागल पिता का है ,
कोई पागल है माई का
कोई पागल बहन का
है ,
कोई पागल है भाई का
कोई पागल है बेटी का ,
कोई पागल
है जमाई का
कोई पागल है इज्ज़त का ,
कोई पागल है कमाई
का
कोई पागल है शोहरत का ,
कोई पागल है नारी
का
कोई पागल है दौलत का ,
कोई पागल गाड़ी
का
है पागलपन में ये दुनिया ,
की दुःख सुख की पिटारी
का
असल में है वही पागल ,
जो पागल है बिहारी का
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