अपेंडिक्स के लक्षण, कारण, बचाव
तथा अपेंडिक्स में क्या खाएं
छोटी आंत (Appendix) अर्थात एक मुंह वाली आंत-10 से 15 सेंटीमीटर तक लम्बी होती है। यह बड़ी आंत के साथ मिली होती है। इसमें सूजन हो जाती है। जब अपेंडिक्स में पुराना संक्रमण हो तो यह रोग और भी गंभीर रूप धारण कर लेता है। ऐसी स्थिति में थोड़े समय में ही आंत में छेद हो सकता है और इसका विषैला तरल पेट की भीतरी झिल्ली (पेरीटोनियम) में पहुंचकर वहां सूजन पैदा कर सकता है। प्रायः युवावस्था और मध्य आयु में यह रोग अधिकता से होता है।
छोटी आंत (SMALL INTESTINE) और बड़ी आंत (COLON) के जोड़ (CAECUM) के निचले भाग में हम लोगों की आंत की पूंछ (अपेंडिक्स ) इसका एक मुंह, एक पतली छोटी थैली के समान है। यह लम्बाई में लगभग 3 या साढ़े तीन इंच होती है, परंतु इसकी लम्बाई कभी-कभी 9 इंच तक हो जाती है। यह केवल एक-चौथाई इंच मोटी होती है। इसी आंत की पूंछ में जो सूजन होती है उसे ही अपेंडिसाइटिस कहते हैं। बहुत-सी अवस्थाओं में अपेंडिक्स में ही सूजन होती है, जो दवाई के उपचार द्वारा आसानी से ठीक हो जाती है, किंतु कभी-कभी आंत के तमाम तंतुओं में ही सूजन फैल जाती है। ऐसे हालात में सर्जरी ही एकमात्र उपचार है, वरना यह फट सकती है और जानलेवा साबित हो सकती है। क्या होती है अपेंडिक्स ?- पहले डॉक्टर्स का मानना था कि अपेंडिक्स शरीर में फालतू अंग होता है और इसका कोई उपयोग नहीं है। लेकिन बाद में हुई रिसर्च में पाया गया कि एक स्वस्थ शरीर के लिए अपेंडिक्स भी जरूरी अंग होता है। इसमें भोजन पचाने के लिए गुड बैक्टीरिया जमा होते हैं जो पाचन में मदद करते हैं। जब शरीर में किसी लंबी बीमारी के कारण बैक्टीरिया की कमी हो जाती है तो अपेंडिक्स का काम पाचन तन्त्र को ठीक रखना होता है।
अपेंडिक्स के लक्षण
अपेंडिक्स के प्रमुख लक्षणों में शामिल है – बुखार होना, जी मिचलना, उलटी, पीठ में दर्द, अत्यधिक मात्रा में गैस बनना, भूख कम लगना, पेशाब करते समय दर्द, गंभीर संक्रमण जैसे अपेंडिक्स के लक्षण हो सकते हैं। इसमें पेट में अधिक मात्रा में गैस तो बनती ही है, लेकिन उसे बाहर निकालने में समस्या आती है। इसके अलावा कब्ज़ और डायरिया के लक्षण भी दिखाई देते हैं।
अपेंडिक्स की बीमारी में पहले पेट में नाभि के नीचे और आस-पास बहुत तेज दर्द होता है, जिसके कारण रोगी तड़पने लगता है। यह दर्द अपना स्थान बदलता रहता है और अंत में नाभि के दाईं ओर कुछ नीचे दक्षिण में दर्द आकर ठहर जाता है।
इस रोग में पेट के इंफैक्शन वजह से जीभ पर सफेद परत सी जम जाती है |
इस रोग में रोगी को तेज़ दर्द के साथ मितली और उलटी भी आती है तथा कम्पन होकर 101 से 102 फॉरेनहाइट तक बुखार भी हो जाता है।
रोगी की नाड़ी की गति 120 बार प्रति मिनट तक पहुंच जाती है। रोगी अपनी दाईं टांग खींचकर रखता है क्योंकि ऐसा करने से उसे दर्द से कुछ राहत महसूस होती है। पेट को दबाने पर उस स्थान पर दर्द अधिक होता है और सूजन के कारण उभार-सा दिखाई देने लगता है।
अपेंडिक्स के मरीज को उठने-बैठने पर या दाईं टांग सिकोड़ने और फैलाने में बहुत तकलीफ का अनुभव होता है। इसी कारण प्रायः रोगी हिलता-डुलता तक नहीं है।
दाएं तरफ का पेट और पेट की पेशी अकड़कर सख्त हो जाती है। इसके अतिरिक्त रोगी को कब्ज की शिकायत हो सकती है और कई रोगियों को दस्त भी होते हैं।
अपेंडिक्स से पीड़ित रोगी के रक्त के श्वेत कण (B.C.) बढ़ जाते हैं।
अपेंडिक्स भोजन करने अथवा न करने से संबंध नहीं रखता और हर समय दर्द होता रहता है। यह दर्द व्यायाम और परिश्रम करने पर बढ़ जाता है।
एक्स-रे कराने अथवा बेरियम के एनिमा से इस रोग से पीड़ित 80% रोगियों में इस रोग की जाँच द्वारा पता लगाया जा सकता है।
गर्भावस्था में अपेंडिसाइटिस के लक्षण
गर्भावस्था में इस बीमारी की पहचान देर से हो पाती है, क्योंकि अपेंडिक्स इस समय गर्भाशय से ढंका रहता है। अपेंडिक्स का दर्द पेट के दाई भाग में नीचे की ओर या पेट के बीच में होता है, साथ में बुखार और उल्टियाँ हो सकती हैं। यदि जल्दी ही इसका ऑपरेशन नहीं किया जाए तो अपेंडिक्स के फटने का डर गर्भावस्था में अधिक रहता है। अपेंडिसाइटिस की पहचान होते ही उसका ऑपरेशन जल्दी ही करवा लेना सही कदम होता है। पहचान के लिए कभी-कभी एम.आर.आई. की जरूरत भी पड़ सकती है। गर्भ के पहले छह महीने में अपेंडिक्स का ऑपरेशन लैप्रोस्कॉपी द्वारा किया जा सकता है; पर इसके बाद पेट खोलकर ऑपरेशन करने की जरूरत होती है। साथ में एंटीबायोटिक्स देना जरूरी है, ताकि संक्रमण फैल न सके। अपेंडिसाइटिस के कारण गर्भपात एवं समय पहले बच्चा होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे हालात में नवजात का वजन भी कम होता है।
अपेंडिक्स के कारण
जो लोग मांसाहारी नहीं हैं, उनमें यह रोग बहुत ही कम देखा जाता है।
इस रोग का प्रमुख कारण कब्ज होता है।
अपेंडिक्स आंत में रुकावट आने से |
हालाँकि, आधुनिक चिकित्सा पद्धति के मतानुसार जिन जीवाणुओं को अपेंडिक्स का कारण कहा जाता है, वे सभी स्वस्थ व्यक्तियों की आंतों के भीतर दिखाई पड़ते हैं। इसके साथ ही हम यह भी बता दें कि कब्जियत होने से ही यह रोग हो जाता है, ऐसी भी बात नहीं है, बल्कि जिनका शरीर पहले से विजातीय द्रव्यों से भरा होता है, केवल उन्हीं को यह रोग होता है।
अपेंडिक्स की बीमारी से बचाव
अपेंडिक्स जैसी अंदरूनी बिमारियों से बचाव का सबसे प्रभावकारी उपाय नियमित स्वस्थ्य जाँच और स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना होता है इस विषय पर हमने कई आर्टिकल लिखे है | यह पढ़ें – जानिए क्यों जरुरी है फुल बॉडी चेकअप तथा Full Body Checkup List
अपेंडिक्स की बीमारी से बचने के लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा फाइबर्स वाले भोजन, ग्रीन वेजिटेबल्स, सलाद वगैरह खाएं। पानी भरपूर पिएं। जंक फूड, स्मोकिंग ड्रिंकिंग का सेवन ना करें।
अपेंडिक्स के रोगी को राहत देने वाले कुछ कदम
गर्म पानी की बोतल से दर्द के स्थान पर सिंकाई करें।
रोगी को तकिए के सहारे बैठा देने से रोगी को दर्द थोडा कम होता है।
रिलैक्सिल ऑयंटमेंट (RELAXYL) निर्माता—फ्रेंको इंडियन : इस मरहम की पीड़ित स्थान पर दिन में 2-3 बार हल्के हाथ से मालिश करें। सावधानी—इस मरहम के लगाने के बाद पट्टी न करें।
मेडीक्रीम (MEDI CREAM) निर्माता रैलीज : इस क्रीम को भी लगाने से मरीज को कुछ राहत मिलती है ।
अपेंडिक्स के मरीज यदि ऊपरी इलाज यानि दवाइयों द्वारा उपचार करवा चुके है और फिर भी आराम न मिले तो किसी अच्छे से हॉस्पिटल में ऑपरेशन कराना ही एकमात्र सफल चिकित्सा है। ऑपरेशन न कराने पर और सूजन दूर हो जाने पर भी यह रोग दोबारा हो सकता है या यह फोड़ा बनकर फट जाता है और पूरे पेट में पीप (Pus) फैलकर संक्रमण (इंफेक्शन) फैला सकता है तथा रोग और भी खतरनाक स्टेज में पहुँच सकता है।
लेप्रोस्कोपी (दूरबीन द्वारा) भी इसका उपचार उपलब्ध है इस तरीके मे 3-5 मिलीमीटर तक के छेद किये जाते है और शरीर के भीतर एक दूरबीन के जरिये देखा जाता है यह लगभग दर्द रहित इलाज की प्रक्रिया है |
अपेंडिक्स के इलाज हेतु कुछ घरेलू आयुर्वेदिक उपाय
सोए के हरे पत्तों का रस आग पर पकाएं। रस फट जाने पर उसको छानकर 100 मि. ली. में शर्बत दीनार 50 मि. ली. मिलाकर दिन में 2 बार (प्रातः व सायं) पिलाएं।
अपेंडिक्स के दर्द और सूजन से राहत के लिए रोजाना 2 बार अदरक की चाय पियें |
काला नमक आग पर गर्म करके अर्क गुलाब में बुझाएं और 60 मि. ग्रा. हींग के साथ (मिलाकर) रोगी को पिलाएं।
बकरी के दूध में उड़द का आटा 250 ग्राम की मात्रा में लेकर और गंधकर उसमें सोंठ, हींग, नमक और सोए के बीज (प्रत्येक 5-5 ग्राम मिलाकर) तवे पर इसकी एक मोटी रोटी एक तरफ से पकाकर और दूसरी तरफ से कच्ची ही रखकर उस पर एरण्ड का तेल (केस्टर ऑयल) चुपड़कर गर्म-गर्म दर्द के स्थान पर बांध दें |
अपेंडिक्स में क्या खाएं
अपेंडिक्स के मरीज को दर्द के समय उपवास कराना ठीक रहता है। रोगी को प्यास लगने पर थोड़ा-थोड़ा पानी पिलाएं। दर्द दूर हो जाने पर कुछ दिन तक संतरे, माल्टे का रस, दूध, सोडा, ग्लूकोज और तरल पेय पदार्थ ही दें और ठोस भोजन रोगी को बिलकुल न दें।
बीमारी दूर हो जाने के बाद भी रोगी के खाने-पीने के संबंध में सावधानी रखी जानी आवश्यक है। रोगी को चाहिए कि मांस आदि कब्ज पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन हमेशा के लिए छोड़ दें । इस आर्टिकल को पढ़ें इसमें कब्ज से बचाव के लिए खानपान की जानकारी दी गई है
मरीज को हल्का खाना खाना चाहिए |
अधिक मिर्च मसाले या घी तेल में बने चटपटे पकवानों से परहेज रखना चाहिए और कठिनाई व देर से पचने वाले खाद्य पदार्थों तथा जल्दबाजी से खाने की आदत को भी सदैव के लिए त्याग देना चाहिए, क्योंकि खान-पान की गड़बड़ी से यह बीमारी फिर से उभर सकती है। रोगी को प्रतिदिन मौसम के उपलब्ध व रुचिकर ताजा फल, सलाद और उबली हुई सब्जी खानी चाहिए।
अपेंडिक्स का ऑपरेशन - Appendectomy
अपेंडिक्स का ऑपरेशन क्या होता है? - Appendectomy kya hai in hindi?
अपेंडिक्स का ऑपरेशन (अपेन्डेक्टमी/ एपेन्डेक्टमी; Appendectomy) एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसके ज़रिये संक्रमित अपेंडिक्स (Appendix) को हटाया जाता है। इस स्थिति को अपेंडिसाइटिस (Appendicitis) कहा जाता है। अपेन्डेक्टमी, जिसे अपेंडिसेक्टोमी (Appendisectomy or Appendicectomy) भी कहा जाता है, एक आम आपातकालीन सर्जरी है।
अपेंडिक्स बड़ी आंत से जुड़ा एक छोटा पाउच है। यह पेट की निचिले हिस्से में दाँई ओर होता है। अगर आपको अपेंडिसाइटिस है तो आपके अपेंडिक्स को तुरंत निकालने के ज़रूरत होती है। अगर इसका उपचार न किया जाये तो अपेंडिक्स फट सकता है। यह एक मेडिकल एमर्जेन्सी (Emergency; आपातकालीन स्थिति) है।
अपेंडिक्स का ऑपरेशन क्यों किया जाता है? - Appendectomy kab kiya jata hai?
अपेंडिसाइटिस का निदान होने पर आपको इस सर्जरी की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में आपका अपेंडिक्स पीड़ादायक, सूजा हुआ और संक्रमित हो जाता है। आगरा आपको अपेंडिसाइटिस है तो, अपेंडिक्स के फटने का गंभीर जोखिम रहता है और ये लक्षण दिखने के 48 से 72 घंटों में हो सकता है। इस स्थिति में आपके पेट में पेरिटोनाइटिस नामक एक गंभीर जानलेवा संक्रमण हो सकता है।
अपेंडिसाइटिस के लक्षण पाए जाने पर तुरंत अपने चिकत्सक को बताएं और मेडिकल सहायता प्राप्त करें:
नाभी के पास अचानक दर्द शुरू होना जो पेट के दाहिने निचले हिस्से तक हो
पेट में सूजन
पेट की मांसपेशियों में अनम्यता (Rigid Abdominal Muscles)
दस्त
मतली (Nausea)
उलटी
भूख कम लगना
लो-ग्रेड बुखार (Low Grade Fever- 98.6° F से ज़्यादा लेकिन 100.4° F से कम)
हालांकि अपेंडिसाइटिस का दर्द पेट के दाहिने निचले भाग में होता है लेकिन क्योंकि गर्भावस्था में अपेंडिक्स ऊपर हो जाता है इसलिए गर्भवती महिलाओं में इस स्थिति में दर्द पेट के दाहिने ऊपरी भाग में होता है।
अपेंडिक्स का ऑपरेशन होने से पहले की तैयारी - Appendectomy ki taiyari
सर्जरी की तैयारी के लिए आपको निम्न कुछ बातों का ध्यान रखना होगा और जैसा आपका डॉक्टर कहे उन सभी सलाहों का पालन करना होगा:
सर्जरी से पहले किये जाने वाले टेस्ट्स/ जांच (Tests Before Surgery)
सर्जरी से पहले एनेस्थीसिया की जांच (Anesthesia Testing Before Surgery)
सर्जरी की योजना (Surgery Planning)
सर्जरी से पहले निर्धारित की गयी दवाइयाँ (Medication Before Surgery)
सर्जरी से पहले फास्टिंग खाली पेट रहना (Fasting Before Surgery)
सर्जरी का दिन (Day Of Surgery)
सामान्य सलाह (General Advice Before Surgery)
इन सभी के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लिंक पर जाएँ - सर्जरी से पहले की तैयारी
अपेंडिक्स का ऑपरेशन कैसे होता है? - Appendectomy kaise hota hai?
अपेंडिक्स को हटाने की सर्जरी को करने के दो तरीके हैं:
ओपन अपेन्डेक्टमी (Open Appendectomy) - यह इस सर्जरी को करने का मानक तरीका है
लैप्रोस्कोपिक अपेन्डेक्टमी (Laparoscopic Appendectomy) - यह कम काटकर या चीरकर की जाने वाली प्रक्रिया है
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान, सर्जन ओपन सर्जरी करने का निर्णय ले सकते हैं। अगर मरीज़ का अपेंडिक्स फट गया है, तो ऐसे में ओपन सर्जरी की ज़रुरत होती है।
हाल में, अध्ययनों में कहा जा रहा है कि इंट्रावेनस (नसों में) एंटीबायोटिक्स दिए जाने से भी इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। हालांकि यह अभी भी विवादास्पद है और अपेन्डेक्टमी को अभी भी उपचार की मानक प्रक्रिया माना जाता है।
ओपन अपेन्डेक्टमी (Open Appendectomy)
पेट के निचले भाग में दांयी तरफ एक चीरा काटा जायेगा, जिसकी लम्बाई दो से चार इंच तक होगी।
पेट की मांसपेशियों को हटाया जायेगा और फिर सर्जिकल धागों से बांधकर अपेंडिक्स को निकाला जायेगा।
अगर रोगी का अपेंडिक्स फट गया है तो आपके उदर को सेलाइन से धोया जायेगा।
फिर पेट की लाइनिंग और मांसपेशियों को सिला जायेगा और घाव को पट्टियों से ढका जायेगा। चीरे के अंदर द्रव निकालने के लिए एक छोटी ट्यूब लगाई जा सकती है।
लैप्रोस्कोपिक अपेन्डेक्टमी (Laparoscopic Appendectomy)
इस प्रक्रिया में ओपन सर्जरी की तुलना में छोटे चीरे किये जाते हैं। हालांकि चीरों की संख्या ज़्यादा होती है। इस प्रक्रिया में एक से तीन तक चीरे काटे जा सकते हैं।
एक चीरे से लैप्रोस्कोप (Laparascope), एक लम्बी पतली ट्यूब, डाला जाता है जिससे एक छोटा वीडियो कैमरा और अन्य सर्जिकल उपकरण जुड़े होते हैं। कैमरा की मदद से सर्जन को पेट के अंदरूनी हिस्सों को देखने और उपकरणों का प्रयोग करने में मदद मिलेगी।
पेट में कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) डालकर पेट को फुलाया जाता है ताकि अंदरूनी हिस्से आसानी से देखे जा सकें।
अपेंडिक्स को सर्जिकल धागों से बाँध कर बाहर निकाला जाएगा।
सर्जरी के समाप्त होने पर लैप्रोस्कोप और अन्य उपकरणों को निकला जायेगा और कार्बन डाइऑक्साइड को चीरों से बहार निकलने दिया जायेगा। द्रव निकालने के लिए चीरे के अंदर एक ट्यूब लगायी जा सकती है।
अंत में चीरे को सिल दिया जायेगा और घाव को पट्टियों से ढक दिया जायेगा।
अपेंडिक्स का ऑपरेशन होने के बाद देखभाल - Appendectomy hone ke baad dekhbhal
अस्पताल में देखभाल (Hospital Care)
सर्जरी के बाद मरीज़ को रिकवरी रूम में ले जाया जायेगा। चिकत्सकों और नर्सों द्वारा मरीज़ की ह्रदय गति, श्वास, रक्त चाप, नब्ज आदि की जांच की जाएगी और स्थिति नियंत्रण में आते ही मरीज़ को अस्पताल के कमरे में शिफ्ट किया जायेगा।
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी आउट-पेशेंट (Out Patient; जिसमें मरीज़ को सर्जरी के बाद अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती) आधार पर भी की जा सकती है।
रिकवरी में कितना समय लगेगा यह इस पर निर्भर करता है की सर्जरी किस प्रक्रिया से की गयी है और प्रक्रिया के दौरान एनेस्थीसिया का कौनसा प्रकार दिया गया था।
सर्जरी के अंत में चीरे के अंदर लगायी गयी ट्यूब को तब निकाला जायेगा जब आँतों की कार्यवाही सामान्य हो जाएगी। जब तक उस ट्यूब को निकाल नहीं दिया जाता तब तक मरीज़ कुछ खा या पी नहीं पाएंगे।
आपको आपकी स्थिति के अनुसार दर्द निवारक दवाएं दी जा सकती हैं।
घर में देखभाल (Recovery At Home)
जब आपको अस्पताल से छुट्टी मिल जाये तो ध्यान रखें कि आप घाव को साफ़ और सूखा रखते हैं। आपको किस प्रकार नहाना है इसके निर्देश डॉक्टर द्वारा दिए जायेंगे। डॉक्टर द्वारा कुछ समय में टाँके खोल दिए जायेंगे।
घर आने के बाद भी नियमित रूप से डॉक्टर से चेक-अप करवाते रहें।
ज़्यादा देर तक खड़े रहने पर चीरे की जगह और पेट की मांसपेशियों में दर्द हो सकता है। डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं का नियमित रूप से सेवन करें।
अगर आपका उपचार लैप्रोस्कोपिक प्रक्रिया से हुआ है तो आपको यह लग सकता है कि कार्बन डाइऑक्साइड अभी भी आपके पेट में है। यह समस्या कुछ दिनों में ठीक हो जाएगी।
सर्जरी के बाद हर वक़्त बिस्तर पर न रहकर, इधर उधर टहलना रोगी के लिए अच्छा होगा। लेकिन थकाने वाले कार्य न करें। डॉक्टर से पूछें कि आप कबसे काम पर वापिस जा सकते हैं।
निम्न परेशानियां होने पर अपने चिकित्सक को सूचित करें:
बुखार या ठंड लगना (और पढ़ें – बुखार के घरेलू उपचार)
चीरे की जगह पर सूजन, रक्तस्त्राव, लाल होना या अन्य किसी प्रकाव का स्त्राव
चीरे की जगह पर दर्द
उलटी
भूख कम लगना
लगातार खांसी होना, सांस लेने में तकलीफ या सांस फूलना
पेट में दर्द, अकड़न या सूजन
दो दिन या उससे ज़्यादा समय तक मलत्याग न होना
तीन दिन से ज़्यादा समय से पानी वाले दस्त होना
अपेंडिक्स के ऑपरेशन की जटिलताएं - Appendectomy me jatiltaye
दोनों प्रक्रियाओं में जटिलताएं और जोखिम कम हैं। लैप्रोस्कोपिक प्रक्रिया में अस्पताल में कम समय तक रहने की आवश्यकता होती है, रिकवरी में कम समय लगता है और संक्रमण का जोखिम भी कम होता है।
अपेन्डेक्टमी से होने वाले कुछ जोखिम निम्न हैं:
रक्तस्त्राव
घाव पर संक्रमण
पेट में सूजन, संक्रमण या पेट का लाल होना (अगर अपेंडिक्स सर्जरी के दौरान फट जाए तो)
आँतों का अवरुद्ध हो जाना
आसपास के अंगों में चोट लग जाना
किसी भी तरह की परेशानी होने पर (उपर्लिखित या कोई अन्य समस्या भी) अपने चिकित्सक से परामर्श ज़रूर
तथा अपेंडिक्स में क्या खाएं
छोटी आंत (Appendix) अर्थात एक मुंह वाली आंत-10 से 15 सेंटीमीटर तक लम्बी होती है। यह बड़ी आंत के साथ मिली होती है। इसमें सूजन हो जाती है। जब अपेंडिक्स में पुराना संक्रमण हो तो यह रोग और भी गंभीर रूप धारण कर लेता है। ऐसी स्थिति में थोड़े समय में ही आंत में छेद हो सकता है और इसका विषैला तरल पेट की भीतरी झिल्ली (पेरीटोनियम) में पहुंचकर वहां सूजन पैदा कर सकता है। प्रायः युवावस्था और मध्य आयु में यह रोग अधिकता से होता है।
छोटी आंत (SMALL INTESTINE) और बड़ी आंत (COLON) के जोड़ (CAECUM) के निचले भाग में हम लोगों की आंत की पूंछ (अपेंडिक्स ) इसका एक मुंह, एक पतली छोटी थैली के समान है। यह लम्बाई में लगभग 3 या साढ़े तीन इंच होती है, परंतु इसकी लम्बाई कभी-कभी 9 इंच तक हो जाती है। यह केवल एक-चौथाई इंच मोटी होती है। इसी आंत की पूंछ में जो सूजन होती है उसे ही अपेंडिसाइटिस कहते हैं। बहुत-सी अवस्थाओं में अपेंडिक्स में ही सूजन होती है, जो दवाई के उपचार द्वारा आसानी से ठीक हो जाती है, किंतु कभी-कभी आंत के तमाम तंतुओं में ही सूजन फैल जाती है। ऐसे हालात में सर्जरी ही एकमात्र उपचार है, वरना यह फट सकती है और जानलेवा साबित हो सकती है। क्या होती है अपेंडिक्स ?- पहले डॉक्टर्स का मानना था कि अपेंडिक्स शरीर में फालतू अंग होता है और इसका कोई उपयोग नहीं है। लेकिन बाद में हुई रिसर्च में पाया गया कि एक स्वस्थ शरीर के लिए अपेंडिक्स भी जरूरी अंग होता है। इसमें भोजन पचाने के लिए गुड बैक्टीरिया जमा होते हैं जो पाचन में मदद करते हैं। जब शरीर में किसी लंबी बीमारी के कारण बैक्टीरिया की कमी हो जाती है तो अपेंडिक्स का काम पाचन तन्त्र को ठीक रखना होता है।
अपेंडिक्स के लक्षण
अपेंडिक्स के प्रमुख लक्षणों में शामिल है – बुखार होना, जी मिचलना, उलटी, पीठ में दर्द, अत्यधिक मात्रा में गैस बनना, भूख कम लगना, पेशाब करते समय दर्द, गंभीर संक्रमण जैसे अपेंडिक्स के लक्षण हो सकते हैं। इसमें पेट में अधिक मात्रा में गैस तो बनती ही है, लेकिन उसे बाहर निकालने में समस्या आती है। इसके अलावा कब्ज़ और डायरिया के लक्षण भी दिखाई देते हैं।
अपेंडिक्स की बीमारी में पहले पेट में नाभि के नीचे और आस-पास बहुत तेज दर्द होता है, जिसके कारण रोगी तड़पने लगता है। यह दर्द अपना स्थान बदलता रहता है और अंत में नाभि के दाईं ओर कुछ नीचे दक्षिण में दर्द आकर ठहर जाता है।
इस रोग में पेट के इंफैक्शन वजह से जीभ पर सफेद परत सी जम जाती है |
इस रोग में रोगी को तेज़ दर्द के साथ मितली और उलटी भी आती है तथा कम्पन होकर 101 से 102 फॉरेनहाइट तक बुखार भी हो जाता है।
रोगी की नाड़ी की गति 120 बार प्रति मिनट तक पहुंच जाती है। रोगी अपनी दाईं टांग खींचकर रखता है क्योंकि ऐसा करने से उसे दर्द से कुछ राहत महसूस होती है। पेट को दबाने पर उस स्थान पर दर्द अधिक होता है और सूजन के कारण उभार-सा दिखाई देने लगता है।
अपेंडिक्स के मरीज को उठने-बैठने पर या दाईं टांग सिकोड़ने और फैलाने में बहुत तकलीफ का अनुभव होता है। इसी कारण प्रायः रोगी हिलता-डुलता तक नहीं है।
दाएं तरफ का पेट और पेट की पेशी अकड़कर सख्त हो जाती है। इसके अतिरिक्त रोगी को कब्ज की शिकायत हो सकती है और कई रोगियों को दस्त भी होते हैं।
अपेंडिक्स से पीड़ित रोगी के रक्त के श्वेत कण (B.C.) बढ़ जाते हैं।
अपेंडिक्स भोजन करने अथवा न करने से संबंध नहीं रखता और हर समय दर्द होता रहता है। यह दर्द व्यायाम और परिश्रम करने पर बढ़ जाता है।
एक्स-रे कराने अथवा बेरियम के एनिमा से इस रोग से पीड़ित 80% रोगियों में इस रोग की जाँच द्वारा पता लगाया जा सकता है।
गर्भावस्था में अपेंडिसाइटिस के लक्षण
गर्भावस्था में इस बीमारी की पहचान देर से हो पाती है, क्योंकि अपेंडिक्स इस समय गर्भाशय से ढंका रहता है। अपेंडिक्स का दर्द पेट के दाई भाग में नीचे की ओर या पेट के बीच में होता है, साथ में बुखार और उल्टियाँ हो सकती हैं। यदि जल्दी ही इसका ऑपरेशन नहीं किया जाए तो अपेंडिक्स के फटने का डर गर्भावस्था में अधिक रहता है। अपेंडिसाइटिस की पहचान होते ही उसका ऑपरेशन जल्दी ही करवा लेना सही कदम होता है। पहचान के लिए कभी-कभी एम.आर.आई. की जरूरत भी पड़ सकती है। गर्भ के पहले छह महीने में अपेंडिक्स का ऑपरेशन लैप्रोस्कॉपी द्वारा किया जा सकता है; पर इसके बाद पेट खोलकर ऑपरेशन करने की जरूरत होती है। साथ में एंटीबायोटिक्स देना जरूरी है, ताकि संक्रमण फैल न सके। अपेंडिसाइटिस के कारण गर्भपात एवं समय पहले बच्चा होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे हालात में नवजात का वजन भी कम होता है।
अपेंडिक्स के कारण
जो लोग मांसाहारी नहीं हैं, उनमें यह रोग बहुत ही कम देखा जाता है।
इस रोग का प्रमुख कारण कब्ज होता है।
अपेंडिक्स आंत में रुकावट आने से |
हालाँकि, आधुनिक चिकित्सा पद्धति के मतानुसार जिन जीवाणुओं को अपेंडिक्स का कारण कहा जाता है, वे सभी स्वस्थ व्यक्तियों की आंतों के भीतर दिखाई पड़ते हैं। इसके साथ ही हम यह भी बता दें कि कब्जियत होने से ही यह रोग हो जाता है, ऐसी भी बात नहीं है, बल्कि जिनका शरीर पहले से विजातीय द्रव्यों से भरा होता है, केवल उन्हीं को यह रोग होता है।
अपेंडिक्स की बीमारी से बचाव
अपेंडिक्स जैसी अंदरूनी बिमारियों से बचाव का सबसे प्रभावकारी उपाय नियमित स्वस्थ्य जाँच और स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना होता है इस विषय पर हमने कई आर्टिकल लिखे है | यह पढ़ें – जानिए क्यों जरुरी है फुल बॉडी चेकअप तथा Full Body Checkup List
अपेंडिक्स की बीमारी से बचने के लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा फाइबर्स वाले भोजन, ग्रीन वेजिटेबल्स, सलाद वगैरह खाएं। पानी भरपूर पिएं। जंक फूड, स्मोकिंग ड्रिंकिंग का सेवन ना करें।
अपेंडिक्स के रोगी को राहत देने वाले कुछ कदम
गर्म पानी की बोतल से दर्द के स्थान पर सिंकाई करें।
रोगी को तकिए के सहारे बैठा देने से रोगी को दर्द थोडा कम होता है।
रिलैक्सिल ऑयंटमेंट (RELAXYL) निर्माता—फ्रेंको इंडियन : इस मरहम की पीड़ित स्थान पर दिन में 2-3 बार हल्के हाथ से मालिश करें। सावधानी—इस मरहम के लगाने के बाद पट्टी न करें।
मेडीक्रीम (MEDI CREAM) निर्माता रैलीज : इस क्रीम को भी लगाने से मरीज को कुछ राहत मिलती है ।
अपेंडिक्स के मरीज यदि ऊपरी इलाज यानि दवाइयों द्वारा उपचार करवा चुके है और फिर भी आराम न मिले तो किसी अच्छे से हॉस्पिटल में ऑपरेशन कराना ही एकमात्र सफल चिकित्सा है। ऑपरेशन न कराने पर और सूजन दूर हो जाने पर भी यह रोग दोबारा हो सकता है या यह फोड़ा बनकर फट जाता है और पूरे पेट में पीप (Pus) फैलकर संक्रमण (इंफेक्शन) फैला सकता है तथा रोग और भी खतरनाक स्टेज में पहुँच सकता है।
लेप्रोस्कोपी (दूरबीन द्वारा) भी इसका उपचार उपलब्ध है इस तरीके मे 3-5 मिलीमीटर तक के छेद किये जाते है और शरीर के भीतर एक दूरबीन के जरिये देखा जाता है यह लगभग दर्द रहित इलाज की प्रक्रिया है |
अपेंडिक्स के इलाज हेतु कुछ घरेलू आयुर्वेदिक उपाय
सोए के हरे पत्तों का रस आग पर पकाएं। रस फट जाने पर उसको छानकर 100 मि. ली. में शर्बत दीनार 50 मि. ली. मिलाकर दिन में 2 बार (प्रातः व सायं) पिलाएं।
अपेंडिक्स के दर्द और सूजन से राहत के लिए रोजाना 2 बार अदरक की चाय पियें |
काला नमक आग पर गर्म करके अर्क गुलाब में बुझाएं और 60 मि. ग्रा. हींग के साथ (मिलाकर) रोगी को पिलाएं।
बकरी के दूध में उड़द का आटा 250 ग्राम की मात्रा में लेकर और गंधकर उसमें सोंठ, हींग, नमक और सोए के बीज (प्रत्येक 5-5 ग्राम मिलाकर) तवे पर इसकी एक मोटी रोटी एक तरफ से पकाकर और दूसरी तरफ से कच्ची ही रखकर उस पर एरण्ड का तेल (केस्टर ऑयल) चुपड़कर गर्म-गर्म दर्द के स्थान पर बांध दें |
अपेंडिक्स में क्या खाएं
अपेंडिक्स के मरीज को दर्द के समय उपवास कराना ठीक रहता है। रोगी को प्यास लगने पर थोड़ा-थोड़ा पानी पिलाएं। दर्द दूर हो जाने पर कुछ दिन तक संतरे, माल्टे का रस, दूध, सोडा, ग्लूकोज और तरल पेय पदार्थ ही दें और ठोस भोजन रोगी को बिलकुल न दें।
बीमारी दूर हो जाने के बाद भी रोगी के खाने-पीने के संबंध में सावधानी रखी जानी आवश्यक है। रोगी को चाहिए कि मांस आदि कब्ज पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन हमेशा के लिए छोड़ दें । इस आर्टिकल को पढ़ें इसमें कब्ज से बचाव के लिए खानपान की जानकारी दी गई है
मरीज को हल्का खाना खाना चाहिए |
अधिक मिर्च मसाले या घी तेल में बने चटपटे पकवानों से परहेज रखना चाहिए और कठिनाई व देर से पचने वाले खाद्य पदार्थों तथा जल्दबाजी से खाने की आदत को भी सदैव के लिए त्याग देना चाहिए, क्योंकि खान-पान की गड़बड़ी से यह बीमारी फिर से उभर सकती है। रोगी को प्रतिदिन मौसम के उपलब्ध व रुचिकर ताजा फल, सलाद और उबली हुई सब्जी खानी चाहिए।
अपेंडिक्स का ऑपरेशन - Appendectomy
अपेंडिक्स का ऑपरेशन क्या होता है? - Appendectomy kya hai in hindi?
अपेंडिक्स का ऑपरेशन (अपेन्डेक्टमी/ एपेन्डेक्टमी; Appendectomy) एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसके ज़रिये संक्रमित अपेंडिक्स (Appendix) को हटाया जाता है। इस स्थिति को अपेंडिसाइटिस (Appendicitis) कहा जाता है। अपेन्डेक्टमी, जिसे अपेंडिसेक्टोमी (Appendisectomy or Appendicectomy) भी कहा जाता है, एक आम आपातकालीन सर्जरी है।
अपेंडिक्स बड़ी आंत से जुड़ा एक छोटा पाउच है। यह पेट की निचिले हिस्से में दाँई ओर होता है। अगर आपको अपेंडिसाइटिस है तो आपके अपेंडिक्स को तुरंत निकालने के ज़रूरत होती है। अगर इसका उपचार न किया जाये तो अपेंडिक्स फट सकता है। यह एक मेडिकल एमर्जेन्सी (Emergency; आपातकालीन स्थिति) है।
अपेंडिक्स का ऑपरेशन क्यों किया जाता है? - Appendectomy kab kiya jata hai?
अपेंडिसाइटिस का निदान होने पर आपको इस सर्जरी की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में आपका अपेंडिक्स पीड़ादायक, सूजा हुआ और संक्रमित हो जाता है। आगरा आपको अपेंडिसाइटिस है तो, अपेंडिक्स के फटने का गंभीर जोखिम रहता है और ये लक्षण दिखने के 48 से 72 घंटों में हो सकता है। इस स्थिति में आपके पेट में पेरिटोनाइटिस नामक एक गंभीर जानलेवा संक्रमण हो सकता है।
अपेंडिसाइटिस के लक्षण पाए जाने पर तुरंत अपने चिकत्सक को बताएं और मेडिकल सहायता प्राप्त करें:
नाभी के पास अचानक दर्द शुरू होना जो पेट के दाहिने निचले हिस्से तक हो
पेट में सूजन
पेट की मांसपेशियों में अनम्यता (Rigid Abdominal Muscles)
दस्त
मतली (Nausea)
उलटी
भूख कम लगना
लो-ग्रेड बुखार (Low Grade Fever- 98.6° F से ज़्यादा लेकिन 100.4° F से कम)
हालांकि अपेंडिसाइटिस का दर्द पेट के दाहिने निचले भाग में होता है लेकिन क्योंकि गर्भावस्था में अपेंडिक्स ऊपर हो जाता है इसलिए गर्भवती महिलाओं में इस स्थिति में दर्द पेट के दाहिने ऊपरी भाग में होता है।
अपेंडिक्स का ऑपरेशन होने से पहले की तैयारी - Appendectomy ki taiyari
सर्जरी की तैयारी के लिए आपको निम्न कुछ बातों का ध्यान रखना होगा और जैसा आपका डॉक्टर कहे उन सभी सलाहों का पालन करना होगा:
सर्जरी से पहले किये जाने वाले टेस्ट्स/ जांच (Tests Before Surgery)
सर्जरी से पहले एनेस्थीसिया की जांच (Anesthesia Testing Before Surgery)
सर्जरी की योजना (Surgery Planning)
सर्जरी से पहले निर्धारित की गयी दवाइयाँ (Medication Before Surgery)
सर्जरी से पहले फास्टिंग खाली पेट रहना (Fasting Before Surgery)
सर्जरी का दिन (Day Of Surgery)
सामान्य सलाह (General Advice Before Surgery)
इन सभी के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लिंक पर जाएँ - सर्जरी से पहले की तैयारी
अपेंडिक्स का ऑपरेशन कैसे होता है? - Appendectomy kaise hota hai?
अपेंडिक्स को हटाने की सर्जरी को करने के दो तरीके हैं:
ओपन अपेन्डेक्टमी (Open Appendectomy) - यह इस सर्जरी को करने का मानक तरीका है
लैप्रोस्कोपिक अपेन्डेक्टमी (Laparoscopic Appendectomy) - यह कम काटकर या चीरकर की जाने वाली प्रक्रिया है
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान, सर्जन ओपन सर्जरी करने का निर्णय ले सकते हैं। अगर मरीज़ का अपेंडिक्स फट गया है, तो ऐसे में ओपन सर्जरी की ज़रुरत होती है।
हाल में, अध्ययनों में कहा जा रहा है कि इंट्रावेनस (नसों में) एंटीबायोटिक्स दिए जाने से भी इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। हालांकि यह अभी भी विवादास्पद है और अपेन्डेक्टमी को अभी भी उपचार की मानक प्रक्रिया माना जाता है।
ओपन अपेन्डेक्टमी (Open Appendectomy)
पेट के निचले भाग में दांयी तरफ एक चीरा काटा जायेगा, जिसकी लम्बाई दो से चार इंच तक होगी।
पेट की मांसपेशियों को हटाया जायेगा और फिर सर्जिकल धागों से बांधकर अपेंडिक्स को निकाला जायेगा।
अगर रोगी का अपेंडिक्स फट गया है तो आपके उदर को सेलाइन से धोया जायेगा।
फिर पेट की लाइनिंग और मांसपेशियों को सिला जायेगा और घाव को पट्टियों से ढका जायेगा। चीरे के अंदर द्रव निकालने के लिए एक छोटी ट्यूब लगाई जा सकती है।
लैप्रोस्कोपिक अपेन्डेक्टमी (Laparoscopic Appendectomy)
इस प्रक्रिया में ओपन सर्जरी की तुलना में छोटे चीरे किये जाते हैं। हालांकि चीरों की संख्या ज़्यादा होती है। इस प्रक्रिया में एक से तीन तक चीरे काटे जा सकते हैं।
एक चीरे से लैप्रोस्कोप (Laparascope), एक लम्बी पतली ट्यूब, डाला जाता है जिससे एक छोटा वीडियो कैमरा और अन्य सर्जिकल उपकरण जुड़े होते हैं। कैमरा की मदद से सर्जन को पेट के अंदरूनी हिस्सों को देखने और उपकरणों का प्रयोग करने में मदद मिलेगी।
पेट में कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) डालकर पेट को फुलाया जाता है ताकि अंदरूनी हिस्से आसानी से देखे जा सकें।
अपेंडिक्स को सर्जिकल धागों से बाँध कर बाहर निकाला जाएगा।
सर्जरी के समाप्त होने पर लैप्रोस्कोप और अन्य उपकरणों को निकला जायेगा और कार्बन डाइऑक्साइड को चीरों से बहार निकलने दिया जायेगा। द्रव निकालने के लिए चीरे के अंदर एक ट्यूब लगायी जा सकती है।
अंत में चीरे को सिल दिया जायेगा और घाव को पट्टियों से ढक दिया जायेगा।
अपेंडिक्स का ऑपरेशन होने के बाद देखभाल - Appendectomy hone ke baad dekhbhal
अस्पताल में देखभाल (Hospital Care)
सर्जरी के बाद मरीज़ को रिकवरी रूम में ले जाया जायेगा। चिकत्सकों और नर्सों द्वारा मरीज़ की ह्रदय गति, श्वास, रक्त चाप, नब्ज आदि की जांच की जाएगी और स्थिति नियंत्रण में आते ही मरीज़ को अस्पताल के कमरे में शिफ्ट किया जायेगा।
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी आउट-पेशेंट (Out Patient; जिसमें मरीज़ को सर्जरी के बाद अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती) आधार पर भी की जा सकती है।
रिकवरी में कितना समय लगेगा यह इस पर निर्भर करता है की सर्जरी किस प्रक्रिया से की गयी है और प्रक्रिया के दौरान एनेस्थीसिया का कौनसा प्रकार दिया गया था।
सर्जरी के अंत में चीरे के अंदर लगायी गयी ट्यूब को तब निकाला जायेगा जब आँतों की कार्यवाही सामान्य हो जाएगी। जब तक उस ट्यूब को निकाल नहीं दिया जाता तब तक मरीज़ कुछ खा या पी नहीं पाएंगे।
आपको आपकी स्थिति के अनुसार दर्द निवारक दवाएं दी जा सकती हैं।
घर में देखभाल (Recovery At Home)
जब आपको अस्पताल से छुट्टी मिल जाये तो ध्यान रखें कि आप घाव को साफ़ और सूखा रखते हैं। आपको किस प्रकार नहाना है इसके निर्देश डॉक्टर द्वारा दिए जायेंगे। डॉक्टर द्वारा कुछ समय में टाँके खोल दिए जायेंगे।
घर आने के बाद भी नियमित रूप से डॉक्टर से चेक-अप करवाते रहें।
ज़्यादा देर तक खड़े रहने पर चीरे की जगह और पेट की मांसपेशियों में दर्द हो सकता है। डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं का नियमित रूप से सेवन करें।
अगर आपका उपचार लैप्रोस्कोपिक प्रक्रिया से हुआ है तो आपको यह लग सकता है कि कार्बन डाइऑक्साइड अभी भी आपके पेट में है। यह समस्या कुछ दिनों में ठीक हो जाएगी।
सर्जरी के बाद हर वक़्त बिस्तर पर न रहकर, इधर उधर टहलना रोगी के लिए अच्छा होगा। लेकिन थकाने वाले कार्य न करें। डॉक्टर से पूछें कि आप कबसे काम पर वापिस जा सकते हैं।
निम्न परेशानियां होने पर अपने चिकित्सक को सूचित करें:
बुखार या ठंड लगना (और पढ़ें – बुखार के घरेलू उपचार)
चीरे की जगह पर सूजन, रक्तस्त्राव, लाल होना या अन्य किसी प्रकाव का स्त्राव
चीरे की जगह पर दर्द
उलटी
भूख कम लगना
लगातार खांसी होना, सांस लेने में तकलीफ या सांस फूलना
पेट में दर्द, अकड़न या सूजन
दो दिन या उससे ज़्यादा समय तक मलत्याग न होना
तीन दिन से ज़्यादा समय से पानी वाले दस्त होना
अपेंडिक्स के ऑपरेशन की जटिलताएं - Appendectomy me jatiltaye
दोनों प्रक्रियाओं में जटिलताएं और जोखिम कम हैं। लैप्रोस्कोपिक प्रक्रिया में अस्पताल में कम समय तक रहने की आवश्यकता होती है, रिकवरी में कम समय लगता है और संक्रमण का जोखिम भी कम होता है।
अपेन्डेक्टमी से होने वाले कुछ जोखिम निम्न हैं:
रक्तस्त्राव
घाव पर संक्रमण
पेट में सूजन, संक्रमण या पेट का लाल होना (अगर अपेंडिक्स सर्जरी के दौरान फट जाए तो)
आँतों का अवरुद्ध हो जाना
आसपास के अंगों में चोट लग जाना
किसी भी तरह की परेशानी होने पर (उपर्लिखित या कोई अन्य समस्या भी) अपने चिकित्सक से परामर्श ज़रूर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.