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सोमवार, 7 सितंबर 2020

नक्षत्रों के वृक्षों का संक्षिप्त परिचय

नक्षत्रों के वृक्षों का संक्षिप्त परिचय निम्रानुसार है:-
कुचिला - मध्यम ऊँचाई का वृक्ष जो मध्य भारत के वनों में पाया जाता है। इसके टिकियानुमा बीजों में स्थित विष बहुत अधिक औषधीय महत्त्व का होता है।
आंवला - इसके फल को अमृत फल कहा गया है जो विटामिन 'सी' का समृद्धतम् स्त्रोत है।
गूलर - बड़े आकार का छायादार वृक्ष। शुक्र ग्रह की शान्ति में इसकी समिधा प्रयुक्त होती है।
जामुन - बहते जल क्षेत्रों के नजदीक आसानी से उगने वाला वृक्ष। मधुमेह की श्रेष्ठतम औषधि।
खैर - मध्यम ऊँचाई का कांटेदार वृक्ष। इसकी लकड़ी से कत्था बनता है।
काला तेंदू/शीशम - आद्र्रा नक्षत्र हेतु वर्णित नक्षत्र वृक्ष शब्द 'कृष्ण' के अर्थ में दोनों वृक्ष आ जाते हैं। शीशम - ऊँचे वृक्ष वाली महत्त्वपूर्ण काष्ठ प्रजाति। काला तेंदू - काले तने वाला वृक्ष जिसका प्रकाष्ठ अत्यन्त मजूबत व काला होता है। फल खाने के काम में आता है व पत्तियाँ बीड़ी बनाने के काम आती हैं।
बांस - इसे गरीब की 'इमारती लकड़ी' कहते हैं।
पीपल - अति पवित्र वृक्ष। भगवान बुद्ध को इसी वृक्ष के नीचे 'बोधि' प्राप्त हुई थी।
नागकेसर - मुख्य रूप से आसाम के आद्र्र क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से उगने वाला वृक्ष। इसकी लकड़ी अत्यधिक कठोर होती है।
बरगद - वट सावित्री व्रत में हिन्दू महिलाओं द्वारा पूजा जाने वाला विशालकाय छायादार वृक्ष।
पलाश - सूखे व बंजर क्षेत्रों में उगने वाला मध्यम ऊँचाई का वृक्ष। फूल से होली पर खेलने वाले रंग बनाते हैं। इसे 'वन ज्वाला' (फ्लेम आफ द फारेस्ट) भी कहते हैं।
पाकड़ - घनी शीतल छाया देने के लिए प्रसिद्ध वृक्ष।
रीठा - मध्यम ऊँचाई का वृक्ष जिसका फल झाग देने के कारण धुलाई के कार्यों में प्रयुक्त होता है।
बेल - कठोर कवच के फल वाला मध्यम ऊँचाई का वृक्ष जिसकी पत्तियां शिवजी की पूजा में चढ़ाई जाती हैं।
अर्जुन - जलमग्र या ऊँचे जलस्तर वाले क्षेत्रों में आसानी से उगने वाला वृक्ष है। इसकी छाल हृदय रोग की श्रेष्ठतम औषधि है।
कंटारी - छोटी ऊँचाई के इस वृक्ष के कांटे बहुशाखित होते हैं, इसके फल त्रिदोषनाशक होते हैं।
मौलश्री - दक्षिण भारत में प्राकृतिक रूप से उगने वाला छायादार- शोभाकार वृक्ष।
चीड़ - ठन्डे पहाड़ी क्षेत्र में उगने वाली सुई जैसी पत्तियों वाला सीधी ऊँ चाई में बढऩे वाला वृक्ष जिसकी छाल पतली होती है।
साल - प्रदेश के तराई क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से उगने अति महत्त्वपूर्ण प्रकाष्ठ वृक्ष।
वंजुल - बहते जल स्त्रोतों के किनारे उगने वाला छोटी ऊँचाई का वृक्ष।
कटहल - मध्यम ऊँचाई का वृक्ष जिसके बृहदाकार फल की सब्जी खाई जाती है।
आक - बंजर शुष्क भूमि पर उगने वाली झाड़ी जैसी प्रजाति।
शमी - छोटे कांटों वाला छोटी ऊँचाई का वृक्ष जिसे उ.प्र. में छयोंकर व राजस्थान में खेजड़ी कहते हैं।
कदम्ब - भगवान कृष्ण की स्मृति से जुड़ा ऊँचा वृक्ष जो आद्र्र क्षेत्रों में आसानी से उगता है।
आम - भारत में फलों का राजा नाम से प्रख्यात है।
नीम - 'गाँव के वैद्य' नाम से प्रसिद्ध औषधीय महत्त्व का वृक्ष।
महुआ - शुष्क पथरीली व रेतीली व रेतीली भूमि में उगने वाला वृक्ष। गरीबों में उपयोगिता के कारण इसे 'गरीब का भोजन' नाम की उपमा दी जाती है।

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