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बुधवार, 29 दिसंबर 2021

अच्छे संस्कार बनाएं और देश समाज धर्म के लिए भी अच्छे कर्म करके आप उपयोगी बनें


        "टाइम पास करने के लिए यदि आप को चर्चा ही करनी हो, तो उसके दो उपाय हैं। या तो ईश्वर के गुणों की चर्चा करें, या फिर दूसरे लोगों के अच्छे कर्मों की चर्चा करें। बहुत अच्छा टाइम पास होगा।"
          बहुत से लोगों के पास बहुत सारा टाइम फालतू है। जब उन्हें कोई काम नहीं होता, पूरी फुर्सत में होते हैं, तो वे सोचते हैं, कि "अपना टाइम पास कैसे करें?" यूं तो टाइमपास करने के बहुत तरीके हैं, जिनका प्रयोग आमतौर पर लोग करते हैं। जैसे "कि व्यायाम करना खेलकूद करना टेलीविजन देखना facebook पर काम करना whatsapp का प्रयोग करना ताश खेलना जुआ खेलना सेवा करना दान देना कहीं रोगियों की मदद करना ईश्वर का ध्यान करना स्वाध्याय करना सत्संग करना इत्यादि।" इनमें से कुछ तरीके अच्छे हैं, और कुछ बुरे। "बुरे तरीके से टाइम पास नहीं करना चाहिए, सदा अच्छे कर्म ही करने चाहिएं, जिससे कि सब का भविष्य अच्छा बने।" लोग इन सब कामों को करते हुए अपना टाइम पास करते हैं। परंतु कभी-कभी उनकी इच्छा गप्पें मार कर टाइम पास करने की होती है। "ऐसी स्थिति में वे लोग बैठकर आपस में  कुछ इधर-उधर की बातें करते हैं। कुछ गपशप करते हैं। कुछ निंदा चुगली करते हैं। कभी कभी कुछ अश्लील बातें भी करते हैं। कुछ लोग बिना प्रसंग की व्यर्थ की बातें भी करते हैं।" यदि आपको टाइम पास करने के लिए बातचीत ही करनी हो, और दूसरे किसी काम में रुचि न हो, तो "इस प्रकार की बातचीत करें, जिससे आपको कुछ लाभ भी हो, शांति मिले, आनंद मिले, उत्साह बढ़े, कुछ अच्छी प्रेरणा मिले और आपका टाइम पास भी हो जाए।"
            मनोविज्ञान का सिद्धांत ऐसा कहता है, कि आप जिस विषय पर चर्चा करेंगे, उसका प्रभाव आपके ऊपर अवश्य पड़ेगा। यदि आप अच्छी चर्चा करेंगे, तो आपका मन प्रसन्न होगा। यदि आप खराब घटनाओं की चर्चा करेंगे, तो आपके मन पर उसका भी प्रभाव पड़ेगा। मन में अशांति और तनाव उत्पन्न होगा।"
          अब यदि आप अपने मन को प्रसन्न भी रखना चाहते हैं, उस चर्चा से अपना संस्कार भी उत्तम बनाना चाहते हैं, उन संस्कारों से भविष्य में अच्छे कर्म भी करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अच्छी बातें ही करनी पड़ेंगी। उसके दो भाग इस प्रकार से हैं।
            एक तो यह, - कि "आप ईश्वर के विषय में चर्चा करें। जब भी आपको फुर्सत हो, समय खाली हो, टाइमपास करना हो, जब दो चार आदमी मिलकर बैठें, तो ईश्वर की चर्चा करें। ईश्वर के गुणों पर विचार चिंतन और बातचीत करें। इससे आपको बहुत आनंद मिलेगा, शांति मिलेगी, और ईश्वर के गुणों का आपके ऊपर बहुत उत्तम प्रभाव पड़ेगा, जिससे कि आप भविष्य में अच्छे काम करेंगे।"
       इसके अतिरिक्त बात चीत करने के लिए दूसरा विषय यह है, कि - "समाज के लोगों में से जिसने अच्छे कर्म किए हों, अर्थात सेवा परोपकार दान दया नम्रता सभ्यता रोगियों की सहायता करना गरीबों को मदद देना आदि आदि इस प्रकार के अच्छे काम किए हों, तो उन मनुष्यों के कर्मों पर इस प्रकार से चर्चा करें," कि "हमारा कितना सौभाग्य है, कि हमारे देश में इतने अच्छे-अच्छे परोपकारी सज्जन लोग रहते हैं। जैसे कि उस व्यक्ति ने गौशाला चलाई। उसने धर्मार्थ चिकित्सालय चलाया। किसी ने धर्मशाला बनवाई। कोई गरीब लोगों की सहायता कर रहा है। कोई गरीब बच्चों की स्कूल की फीस भर रहा है। कोई व्यक्ति गरीब बच्चों को मुफ्त में ट्यूशन पढ़ा रहा है।"
        जब आप इस प्रकार की बातें करेंगे, तो आपके ऊपर इसका बहुत अच्छा प्रभाव पड़ेगा।   आपको भी उन अच्छे कर्मों से प्रेरणा मिलेगी। आपका मन भी शांति और प्रसन्नता से भर जाएगा। वैसे उत्तम कर्म करने का आपके अंदर भी उत्साह उत्पन्न होगा। तो इस प्रकार से आपको बहुत अधिक लाभ होगा। अतः जब भी चर्चा करें तो ऐसी ही सार्थक चर्चा करें।
           "व्यर्थ की राजनीति की बातें, फिल्मों की बातें, गंदी कथा कहानियां, अश्लील बातें करने से आप का चरित्र बिगड़ेगा। आपका कर्म बिगड़ेगा। आप के संस्कार भी बिगड़ेंगे, जिससे कि आप भविष्य में बुरे कर्म करेंगे। आपके मन में अशांति और तनाव उत्पन्न होगा।" ऐसी ख़राब बातें करने से आपका टाइम तो पास हो जाएगा, परंतु यह कार्य लाभकारी नहीं होगा, बल्कि हानिकारक अधिक होगा। "ख़राब बातें करने से आपका वर्तमान और भविष्य दोनों बिगड़ जाएंगे। इसलिए इस प्रकार की बुरी चर्चाएं करने से बचें। अच्छी चर्चाएं करें। अच्छे संस्कार बनाएं और देश समाज धर्म के लिए भी अच्छे कर्म करके आप उपयोगी बनें। इसी में आप के जीवन की सफलता है।"
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