*मंगलसूत्र*
हिन्दू सनातन धर्ममे त्योहारों ओर रीति रिवाजों के पीछे कोई न कोई लाभदायी रहस्य या आरोग्य की दरकार करने वाला तथ्य होता है । समय समय पर उनमें अज्ञानता से किये बदलाव या स्थल काल से विपरीत उपयोग लाभदायी नही रहता । इसलिए लोगो को ये अंधश्रद्धा या फुजूल रिवाज लगता है ।
हर एक भारतीय नारी का एक महत्वपूर्ण आभूषण है " मंगलसूत्र " । दांपत्य ओर कुटुंब परम्परामे सबसे ज्यादा जिम्मेदारी के साथ सतत कार्यशील रहने का भार परिवार की स्त्री पर होता है । घरकी साफ सफाई , भोजन व्यवस्था , सासु स्वसुर पति की सेवा , बच्चों को जन्म देना और उनकी परवरिश .... ऐसे देखा जाय तो बाकी पात्रों से दसगुना कार्य स्त्री के हिस्सेमें आता है । ऐसेमें स्त्री के शरीरमे ज्यादा जोश , शक्ति , दृढ़ मनोबल , सहनशक्ति की जरूरत होती है । इसलिए हमारे ऋषिमुनियों ने स्त्री को शाक्तवन बनाने केलिए जोश , उमंग , शक्ति , मक्कम मनोबल के कारक ग्रह " मंगल देवता " की विशेष कृपा हेतु " मंगलसूत्र " का अविष्कार किया । कन्या की जब शादी होती है तब पति द्वारा उनके गलेमें मंगलसूत्र पहनाया जाता है । मंगलसूत्र सुहागन की निशानी है और पति प्रेम का प्रतीक है ।
मंगलसूत्र मतलब मंगल का धागा । मंगल का रंग लाल है इसलिए लाल कलर का धागा मंगल सूत्र है । गुरु को भी स्वामी माना जाता है और सुखी दाम्पत्य जीवन केलिए गुरु ( बृहस्पति ) की विशेषकृपा भी आवश्यक है इसलिए कुछ कुछ प्रांतोमे पीले रंग के धागेमे लाल रंग के मोती परोके मंगलसूत्र बनाया जाता है । अगर धनवान हो तो सोने का पैडल ओर लाल रंगके मोती से भी मंगल सूत्र बनाया जाता है । मंगलसूत्र धारण करने से स्त्री के शरीर मे मंगल और गुरु ग्रह देवता की असर से विशेष परिवर्तन देखा जाता है और स्त्री स्वयं भी इसे महसूस करती है ।
* स्त्री और पुरुष की तुलनामे स्त्री के शरीरमे खून कम होता है जो मंगल की कृपासे सरभर होता है
* मंगल की कृपासे स्त्री के शरीरमे प्रजनन शक्ति बढ़ती है ।
* मंगल की कृपासे दृढ़ मनोबल के साथ सहन शक्ति बढ़ती है ।
* मंगल की कृपासे अपने पति के प्रति अपार स्नेह रहता है जो सुखी दाम्पत्य की महत्तम जरूरत है ।
* मंगल और गुरु दोनों की कृपासे सत्य , दया , प्रेम जैसे सद्गुण आत्मसात होते है ।
* मंगल और गुरु की कृपासे देहमें लावण्य ओर सुंदरता बढ़ती है ।
मतलब सुखी परिवार और कुटुंब जीवन केलिए परिवार की स्त्री को सक्षम बनाने केलिए मंगलसूत्र प्रथा दी गयी है । आजकल पता नही फैशन के कारण या कोई और अज्ञात कारणवश कही प्रांतोमे काले रंग के मोतियों से मंगल सूत्र बनाने लगे है । कोई कोई विशेषज्ञ उसे शिव शक्ति का प्रतीक कहते है । पर ये बात तर्क संगत भी नही है । क्योंकि एक स्त्री और पुरुष का जोड़ा स्वयं ही शिव शक्ति माने जाते है फिर मंगल सूत्रमे उनके प्रतीक का क्या काम ? काला रंग तो शनि का कारक है । ओरो की बुरी नजर से बचने केलिए काला धागा कहि ओर भी बांध सकते है या काला टिका भी लगाया जाता है । मंगलसूत्रमे अशुभ काला रंग ये तर्क संगत नही है । पर आजकल तो सोने के साथ काले मोती फैशन ही बन गयी है । सबके अपने अपने विचार । मानसिक ट्रेस , कुटुंब कलह , शारीरिक रोग , वांजपन , डिवोर्स जैसी अनेक समस्याओं के हल के स्वरूपमे भी मंगलसूत्र या लाल - पिला रंग उपयोगी है तो यही सही । कलर थेरपी भी विज्ञान सम्मत सफल थेरपी ही है ।
आजकल तो हरकोई बिना कुछ समजे शिवशक्ति के प्रतीक की बाते कर देते है । सतयुग से आजतक अगर इसे मंगलसूत्र कहते है तो सहज है ये मंगल की कृपा केलिए बनाया सूत्र ही है ।
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