यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 12 नवंबर 2022

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रसिद्ध स्टार जयललिता ने जीवित रहते हुए कभी दिवाली नहीं मनाई। आप जानते हो क्यों?



तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रसिद्ध स्टार जयललिता ने जीवित रहते हुए कभी दिवाली नहीं मनाई। आप जानते हो क्यों?
1790 नरक चतुर्दशी के मध्यरात्रि थी l टीपू सुल्तान के पास सबसे वफादार और क्रूर साथियों की एक सेना थी, जो मेलुकोट के श्री चेलुवरया स्वामी के मंदिर में प्रवेश करती है।

वहीं नरक चतुर्दशी के अवसर पर आयोजित भगवान जुलूस में लगभग 1000 श्रद्धालु शामिल हुए थे । रात की पूजा के बाद वे आराम करने की तैयारी कर रहे थे। टीपू ने आकर मंदिर के सभी द्वार बंद कर दिए और 1000 भक्तों में से 800 लोगों को बंद कर दिया और अपनी सेना के बल से नरसंहार किया यहां तक बच्चों को भी नहीं बख्शा।  जनानखाने के लिए बाकी  200  महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया।
अगली सुबह दीपावली पद्य का दिन था। वह मेलुकोट मंदिर को तोड़ दिया और उसकी विशाल संपत्ति को लूट लिया l मंदिरा का ख़ज़ाना इतना था कि ले जाने के लिए 26 हाथियों और 180 घोड़ों की जरूरत पड़ी थी । सारे खजाने ले जाने में 3 दिन लगे थे l

यही कारण है कि आज भी मेलुकोटे के कई परिवार (मांड्याम अयंगर कहलाते हैं) उस अंधेरी दिवाली की भयानक घटनाओं के कारण इस त्योहार को नहीं मना रहे हैं।

*जयललिता भी इसी समुदाय की थीं* इसलिए उन्होंने कभी दिवाली का त्योहार नहीं मनाया।  उनके पूर्वज (मेलकोट अयंगर) 800 लोग नरसंहारों में मारे गए थे? वह कैसे भूल सकती थी l

कित्तूर चेन्नम्मा के राज्य में 1.40,000 हिंदू जिन्होंने धर्मांतरण से इनकार कर दिया था, वो टीपू सुल्तान के हाथों मारे गए थे l

2. 10,000 ब्राह्मण जिन्होंने धर्मांतरण से इनकार कर दिया, उनका केरल राज्य में जबरन 'खतना' किया गया।

3. हिंदू महिलाओं का अपनी इच्छानुसार उपयोग करना और फिर उन्हें अपने सैनिकों को पुरस्कार के रूप में देने की प्रथा बहुत दिनों तक चलाई।

4. 20 साल के लड़कों को बनाया गया हिजड़ा, इसके प्रमाण उपलब्ध हैं।

5. कोडागु के हिंदुओं का नरसंहार किया गया।

टीपू के पिता हैदर अली  तिरुपति कल्याण वेंकटेश्वर की विशाल संपत्ति को लूट लिया था l

टीवी सीरियलों में टीपू को एक देशभक्त और कुशल प्रशासक के रूप में चित्रित करने वाले धर्मनिरपेक्षतावादी। देखिए टीपू की मशहूर तलवार पर उर्दू में क्या लिखा है:

*"मुस्लिम नायक जिसने काफिरों का कत्लेआम किया"*
“My victorious sabre is lightning for the destruction of the unbelievers.”Haidar, the Lord of the Faith, is victorious for my advantage. And moreover, he destroyed the wicked race who were unbelievers. Praise be to him, who is the Lord of the Worlds! Thou art our Lord, support us against the people who are unbelievers

हमें टीपू सुल्तान को फिर से समझना चाहिए।अपनी सल्तनत बचाने के लिए टीपू ने फ्रांसीसी मदद लेकर ब्रिटिश फौजों का सामना किया लेकिन टीपू सुल्तान हिंदुओं का क़ातिल था हिंदुत्व को मिटाने के लिए उसने इंतिहा जुल्म किए। ऐसे नरपिशाच राक्षस का महिमा मंडन करके कांग्रेस ने बहुत बड़ी ऐतिहासिक गलती की है।
इतिहास की किताबों में टीपू सुल्तान को एक सुंदर, गंभीर, शांत और बहादुर व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया है। लेकिन लंदन के पुस्तकालय में टीपू की वास्तविक छवि बहुत अलग है।

टीपू सुल्तान का इतिहास इस बात का एक अच्छा उदाहरण है कि कैसे कांग्रेस और वामपंथियों ने भारत के इतिहास को विकृत किया है।

रूप में दानव कहे जाने वाले इस सुल्तान ने न केवल मेलुकोट मंदिर बल्कि दक्षिण भारत के लगभग 25 मंदिरों की संपत्ति लूटा था l

टीपू हमेशा बड़े-बड़े त्योहारों पर नरसंहार और धन की लूट की घटनाओं को अंजाम देता था। क्योंकि वह अच्छी तरह जानता था कि उन दिनों भक्त बड़ी संख्या में इकट्ठा होते थे और उन सभी के पास अधिक धन और प्रसाद के रूप में चांदी और सोना होता था। उन दिनों मंदिर में ही सारा धन और अनाज इकट्ठा करने की प्रथा थी।
शलीभद्र एस जैन संगीता वर्मा  की वाल से कॉपीड

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya