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मंगलवार, 2 मई 2023

“केदारनाथ धाम” में ये सब ? क्या हिंदू फिर से बड़ी तबाही को निमंत्रण दे रहे हैं ?

 किसी ने सच ही कहा है कि अगर कभी पृथ्वी का सर्वनाश हुआ तो उस पर एक वाक्य जरूर लिखा होगा कि इस ग्रह पर रहने वाले प्राणियों ने ही इस ग्रह को खत्म किया है।

यह बात सत्य सिद्ध होती प्रतीत हो रहे हैं हिंदुओं के विश्वविख्यात तीर्थ श्री केदारनाथ धाम में। यह सारा क्षेत्र चार धाम नाम से प्रसिद्ध है। बताने की आवश्यकता नहीं है कि साल 2013 में 16 और 17 जून को आई आपदा ने केदारनाथ घाटी को पूरी तरह बर्बाद कर दिया था। भगवान भोलेनाथ की शरण में पहुंचे और यहां रहने वाले हजारों लोगों ने अपनी जान इसमें गवाई थीं। ये त्रासदी रौंगटे खड़े कर देने वाली थी।
इस आपदा ने केदारनाथ धाम में ऐसा तांडव मचाया था कि यहां मौजूद घर तिनके की तरह बह गए थे। हजारों लोगों ने अपनों को खोया और आज भी वे उस पल को याद करते हुए डर जाते हैं। रिपोर्ट्स में बताया जाता है कि लंबे समय तक आपदा का प्रभाव देखने को मिला था। यहां मलबे में लोगों के कंकाल मिलते रहे। कहते हैं कि इस त्रासदी में गांव के हर परिवार ने किसी न किसी अपने को खोया था। कोई इसे प्राकृतिक आपदा कह सकता है तो कोई इसे प्राकृतिक हलचल, किंतु सत्य तो यह है कि इस तीर्थ में हिंदुओं ने धर्म मर्यादा का पालन करना पूरी तरह से बंद कर दिया था।

यह धाम अपने आप में अध्यात्म शक्तियों से भरा हुआ है, किंतु यहां पर बड़े-बड़े होटल बन गए थे, जहां पर दर्शनार्थी कम और हनीमून मनाने वाले लोग ज्यादा पहुंचने लग गए थे। इस पवित्र धाम की मर्यादा को पूरी तरह से खंडित कर दिया था वहां पर जाने वाले अधिकांश यात्रियों ने। जिसका बहुत भारी खामियाजा लोगों को चुकाना पड़ा था। उस समय धाम तक जाने वाला सारा मार्ग बाढ़ में बह गया था, जिसे पुनः ठीक करने में सरकार को लगभग 2700 करोड़ रुपए खर्च करने पढ़े थे।

तब यहां एक बात चमत्कारिक रूप से सामने आई थी जिसे सारे विश्व ने देखा था। पवित्र मंदिर के पीछे से तबाही फैलाता पानी उस समय मंदिर के दाएं बाएं से होकर निकल गया था जब कहीं से मंदिर के आकार की ही एक विशाल शिला मंदिर के ठीक पीछे आके रुक गई थी, जिससे मंदिर को कोई क्षति नहीं पहुंची थी। इतना सब कुछ देखने और भोगने के बावजूद भी लगता है हिंदुओं ने कोई सबक नहीं सीखा है। अब एक बार फिर से लोग एक भयानक तबाही को निमंत्रण देते हुए नजर आ रहे हैं।

अब फिर से कुछ ऐसे लोग इस धाम पर जाने लगे हैं जो वहां पर धर्म की मर्यादाओं को तार-तार करने में लगे हुए हैं। फिर से वही पिकनिक, फिर से वही मनोरंजन और फिर से वही गंदगी इस पवित्र धाम में फैलाई जाने लगी है जिससे कुपित हुए भगवान भोलेनाथ के कोप को सारी दुनिया देख चुकी है। यह एक बहुत चिंता का विषय है।

वहां पर पहुंचने वाले लोगों को अब धर्म की मर्यादाओं का पालन करना ही होगा, अन्यथा संभव है की एक बार फिर से प्रकृति रुष्ट होकर अपना रौद्र रूप ना दिखा दे, और आटे के साथ साथ घुन भी पिस जाए।

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