यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 5 सितंबर 2023

आखिर त्योहारों के पास ही स्कूलों की परीक्षा क्यों रखी जा रही है - रक्षाबंधन लील गए, दशहरा और दीवाली में लगा दी सेंध,

 आखिर त्योहारों के पास ही स्कूलों की परीक्षा क्यों रखी जा रही है


कभी आपने सोचा है आखिर ये स्कूलों की परीक्षा

♦️दिवाली के एक दिन पहले तक या दिवाली के दो दिन बाद,
♦️होली के दो दिन आगे पीछे
♦️जन्माष्टमी के दिन या एक दो दिन आगे पीछे
♦️रामनवमी के एक दो दिन आगे पीछे
ही होती है......

जब हर साल दिसंबर क्रिसमस पर विंटर विकेशन लगा दिया जाता है....

और
अब तो फरवरी में पेपर करा कर मार्च में ईस्टर से पहले छुट्टियां ही होने लगी है

याद करिए ईद पर कभी कोई पेपर पड़ा हो स्कूलों का

क्या यह सोची समझी साजिश नही लग रही ताकि बच्चो को त्योहारों से दूर रखा जाए



शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों की छुट्टियों में कटौती कर दी है। अब से दिसम्बर तक विभिन्न पर्व त्योहारों पर स्कूलों में 23 छुट्टियां थी, जिसे घटाकर 11 कर दिया गया है। इसे लेकर शिक्षकों में काफी नाराजगी है। शिक्षक हत्थे से उखड़े हुए हैं। खासकर नियोजित शिक्षकों का कहना है कि एक मात्र उन्हें छुट्टी ही दिखती थी कि वे लोग अपना अटका हुआ काम कर लेते थे। इससे अच्छा है कि रात्रि में भी विद्यालय में उनकी ड्यूटी लगा दी जाए। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश पर प्रारंभिक से उच्च विद्यालयों तक की छुट्टियों में कटौती करने का आदेश जारी किया गया है। इसके तहत दुर्गा पूजा के पहले स्कूलों में छह दिनों की छुट्टी थी, जिसे अब घटाकर रविवार जोड़कर तीन दिनों का कर दिया गया है।


स्कूलों की छुट्टी में कटौती

इसी तरह दिवाली, चित्रगुप्त पूजा, भैया दूज और छठ पूजा का 13 से 21 नवंबर तक छुट्टी घोषित की गई थी। अब इसमें कटौती करते हुए मात्र चार दिन कर दिया गया है। विभाग ने हालांकि यह कहा है कि यदि किसी जिले के जिला शिक्षा पदाधिकारी विशेष परिस्थिति में अवकाश घोषित करना चाहेंगे, तो पूर्व अनुमति लेकर अवकाश घोषित कर सकते हैं। विभाग के इस आदेश पर पूर्णानंद मिश्र ने ऐसी चुटीली कविता लिखी है। जिसे पढ़कर आप हंसते-हंसते लोटपोट हो जाएंगे। पूर्णानंद ने कविता को पूरी तरह हंसी और तंज से भरपुर लिखा है। जो भी पढ़ रहा है वो इस कविता का कायल हो जा रहा है। पूर्णानंद ने कविता का शीर्षक रखा है 'अब क्या खाईएगा शकरकंद'। आगे उन्होंने क्या लिखा है उसे हम आपको हूबहू पढ़वाते हैं।

सब कुछ तो खा गए महाराज,
अब क्या खाईयेगा? शकरकंद,
एक छुट्टी ही तो बची थी हमारे पास,
उसको भी कर दिए बंद।
पद, प्रतिष्ठा खा गए,
खा गए मान -सम्मान,
पेट का दांत भी बाहर करके,
दिखाएंगे श्रीमान।
रक्षाबंधन लील गए,
दशहरा और दीवाली में लगा दी सेंध,
शिक्षक नेता बजा रहे हैं,
खाली बाल्टी का पेंद।

राजनीतिक बयानबाजी तेज

केके पाठक और शिक्षा विभाग के इस आदेश के बाद बिहार में राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है। इस आदेश के बाद केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह ने अपने एक्स हैंडल से पोस्ट करते हुए लिखा कि शिक्षा विभाग, बिहार सरकार द्वारा दुर्गा पूजा, दिवाली और छठ पूजा की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। कल संभव है कि बिहार में शरिया लागू कर दी जाये और हिंदू त्योहार मनाने पर रोक लग जाये। जपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री एवं बिहार भाजपा प्रवक्ता डॉ. निखिल आनंद ने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार को पीएफआई का चारागाह पहले ही बना दिया है। अब जितने भी हिंदू सनातन धर्म के पर्व- त्योहार हैं, उन अवसर पर मिलने वाली छुट्टियों को रद्द किया जा रहा है और कटौती की जा रही है। उन्होंने कहा कि बिहार सिर्फ अपराध और आतंक का अड्डा ही नहीं बनता जा रहा है, बल्कि नीतीश कुमार की मुस्लिम परस्ती और पाकिस्तान परस्ती का खामियाजा बिहार का आम नागरिक और हिंदू सनातन धर्म के मानने वाले लोग भुगतने जा रहे हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya