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मंगलवार, 5 सितंबर 2023

"सूर्यपुत्र कर्ण" नामक एक वाहियात सीरियल में "शाम्भव अस्त्र" की रचना होगी जिसके बारे में स्वयं भगवान शिव को भी पता नहीं होगा।

 

चित्र स्रोत: गूगल

जी हाँ, इस अद्भुत अस्त्र का वर्णन शिव महापुराण में किया गया है। उसमें ये स्पष्ट लिखा गया है कि श्वेत वराह कल्प के सातवें मन्वंतर के 28 वे कलियुग के वर्ष 1978 में सिद्धार्थ तिवारी नामक एक अनपढ़ और जाहिल व्यक्ति पैदा होगा जो "सूर्यपुत्र कर्ण" नामक एक वाहियात सीरियल बनाएगा। उसी सीरियल में "शाम्भव अस्त्र" की रचना होगी जिसके बारे में स्वयं भगवान शिव को भी पता नहीं होगा।

मैं जब से कोरा से जुड़ा हूँ तब से असंख्य बार लोगों से हाथ जोड़ कर यही कहता आ रहा हूँ कि ईश्वर के लिए आज कल के इन बकवास सीरियलों से जितना हो सके दूर रहे और अपने बच्चों को तो बिलकुल दूर रखें। ऐसी घटिया सीरियल देख कर आने वाली पीढ़ी सत्य असत्य को भूल कर ऐसी ही बकवास करने लगेगी इसमें कोई संदेह नहीं है। सरकार को चुनाव और वोट से फुर्सत नहीं है इसीलिए वे इस विषय में कुछ करेंगे, ये सोचना ही मूर्खता है। तो कृपया स्वयं का बचाव स्वयं ही करें।

आपके प्रश्न का उत्तर ये है कि इस प्रकार के किसी भी अस्त्र का विवरण किसी भी पुराण या उप-पुराण में नहीं दिया गया है। ये सब सिर्फ इन धनपिशाच निर्माता निर्देशकों के बीमार दिमाग की उपज है।

रामायण और महभारत जैसे महाकाव्यों में हर व्यक्ति का अपना कोई सबसे पसंदीदा पात्र अवश्य होता है। मेरा भी है। हर कोई चाहता है कि उस पात्र की कमियों को छिपाया जाये और गुणों को उजागर किया जाये। पर समस्या तब आती है जब व्यक्ति अपने उस के महिमामंडन में हर सीमा पार कर देता है। कहा जाता है कि अति सदैव हानि ही करती है, आज कल भी यही हो रहा है। और गंभीर बात ये है कि हर सीरियल में यही हो रहा है।

महाभारत में वैसे भी महर्षि वेदव्यास ने कर्ण को एक महान योद्धा के रूप में चित्रित किया है। फिर आप क्यों उसे अपनी ओर से भगवान बनाने पर तुले हुए हैं? महाभारत पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि जितने दिव्यास्त्र अर्जुन के पास थे, किसी भी अन्य योद्धा के पास नहीं थे। कर्ण के पास निःसंदेह दिव्यास्त्र थे पर महास्त्र के रूप में उनके पास केवल ब्रह्मास्त्र था। उस पर भी श्राप के कारण वो उसे सही समय पर उपयोग में नहीं ला सकते थे। जबकि अर्जुन के पास ब्रह्मास्त्र और पाशुपतास्त्र दोनों महास्त्र थे और उन्हें उनका पूरा ज्ञान था। ये बात अलग है कि उन्हें पाशुपतास्त्र उपयोग में लाने की कभी आवशयकता ही नहीं पड़ी।

इन लोगों की बकवास देखता हूँ तो ऐसा लगता है जैसे कर्ण ने युद्ध में परास्त होकर अर्जुन और पांडव सेना पर कोई उपकार कर दिया हो। भाई जब उनके पास शाम्भव अस्त्र नामक कुछ था जो पाशुपतास्त्र को भी निरस्त्र कर सकता था (मुझे लिखते हुए भी हंसी आ रही है) तो उन्होंने युद्ध में उसका उपयोग क्यों नहीं किया? उसे भूल जाने का श्राप थोड़े ही मिला था उन्हें? जब वो इस अस्त्र का उपयोग कर इंद्र देव को विवश कर सकते थे (सीरियल के अनुसार) तो उनके अंश अर्जुन को क्यों नहीं? सत्य ये है कि ऐसा कुछ था ही नहीं तो उपयोग कहाँ से करते।

इंद्र देव को तो ये सीरियल वाले खैर ऐसे दिखाते हैं जैसे कि दुनिया भर की सारी बुराई उनमें ही है और कोई छोटा मोटा योद्धा भी उन्हें परास्त कर देगा। मतलब जिसका भी महिमामंडन करवाना हो तो उससे इंद्र देव को परास्त करवा दो, किस्सा ही ख़तम। ऋग्वेद पढ़िए तो पता चलेगा कि इंद्र कौन हैं, उनकी शक्ति कितनी है और उनका क्या महत्त्व है।

अर्जुन को तो छोड़िये, भीम और यहाँ तक कि सात्यिकी ने भी कर्ण को पराजित किया था। और तो और पांचाल युद्ध में द्रुपद ने भी कर्ण को परास्त किया था। जब गंधर्वों ने दुर्योधन को बंदी बना लिया था तब वे दुःशासन के साथ रणक्षेत्र से पलायन कर गए। तब ये अस्त्र कहाँ था? कर्ण निःसंदेह एक महान योद्धा थे, उन्हें वही रहने दें, देवता ना बनाये उन्हें।

कर्ण के बेसिरपैर के महिमांडन का श्रेय मराठी लेखक शिवजी सावंत के प्रसिद्ध उपन्यास मृत्युंजय को जाता है। उन्होंने झूठ का एक ऐसा द्वार खोल दिया जिससे आज महारथी कर्ण जैसे बकवास सीरियल निकल कर आ रहे हैं। पढ़ना है तो रामधारी सिंह दिनकर जी की रश्मिरथी पढ़ें। वो भी कर्ण के जीवन पर ही है पर कितनी संतुलित रचना है।

तो फिर से करबद्ध प्रार्थना है कि आज कल के इन बकवास धार्मिक सीरियलों से दूर रहें। ये तो सुधरने से रहे, तो क्यों नहीं हम स्वयं को ही सुधार लें। गीता प्रेस से ग्रन्थ खरीदें और उसे पढ़ें, सही जानकारी मिलेगी। यदि देखना ही हो तो रामानंद सागर जी का रामायण और बी आर चोपड़ा जी का महाभारत देखें। उनमें भी थोड़ी बहुत अशुद्धियाँ हैं लेकिन आज कल के वाहियात सीरियलों के आगे तो वे ईश्वर का आशीर्वाद ही हैं।

जाते जाते इस चित्र पर भी दृष्टि डाल लीजिये जिसे मैंने जान बूझ कर गूगल से खोज कर डाला है ताकि आप लोगों को पता चले कि आज कल की पीढ़ी पैसे कमाने के लिए किस हद तक गिर सकती है। इनसे बच कर रहें।

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