यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 29 जुलाई 2024

ये लोग कैसे धार्मिक जगह बैठकर हिंदुओं का धर्म भृष्ट कर रहे है

 जागो हिंदू जागो

दिल्ली हरिद्वार मार्ग पर स्थित छोटा हरिद्वार गंगा घाट पर पिछले महीने जाना हुआ ।दर्शन के बाद पास ही स्थित होटल गंग नहर फ़ूड पॉइंट पर खाने का ऑर्डर किया जैसे ही खाना खाना शुरू किया तो सब वातावरण अजीब सा लगा तभी देखा कि जिस लड़के ने मुझे खाना सर्व किया था वो लड़का दूसरी टेबल साफ़ के रहा और पोंछा लगा रहा है मुझे बहुत अजीब सा लगा अब मेरा मन वो खाना खाने का बिलकुल नहीं रहा।मैंने पूछा मलिक से मिलाओ तो वो मुझे सामने भगत सिंह की तस्वीर के नीचे कुर्सी पर बैठे व्यक्ति के पास ले गया।मुझे देखकर वो व्यक्ति खाना खा रहा था जो कि मांस था और जिस प्लेट में मुझे दिया था उस प्रकार की ही प्लेट थी वो अपना खाना छुपाते हुआ बोला जी बताओ ।मैंने बोला आपके होटल पर कोई व्यवस्था ठीक नहीं है वर्कर भी सब बिलकुल गंदे और सफ़ाई जो कर रहा उससे ही खाना सर्व करवा रहे आप तो वो बोला आपको खाना है तो खाओ नहीं तो पैक करवा के ले जाओ कहीं फ़ेक देना चाहे .बिल आपको देना पड़ेगा तभी उसने भाटी बोलकर एक लड़के को बुलाया की इनका बिल करवाओ और खाना पन्नी में डालकर दे दो ।मैं चुपचाप काउंटर पर पैसा दे कर खाना वहीं छोड़ कर दोबारा घाट पर आ गया तभी मेरी नज़र होटल की शौचालय साफ़ कर बाहर निकले कर्मचारी पर गई तो मैंने उससे घाट पर बैठकर बात की तो मेरे होश उड़ गए। उसने बताया कि ये होटल तोहीद कसाई का है और यहाँ सब कर्मचारी मुसलमान कसाई बिरादरी के हैं जिनका तोहिद ने सबके नाम हिन्दू रखें हुए हैं । उसने बताया जो काउंटर पर बैठते हैं उसका नाम आदिल कसाई है उसको पंडित कहते हैं

सोहेल कसाई को सनी चौधरी

शोएब कसाई को त्यागी जी

शाहरुख़ कसाई को आरके

कलवा कसाई को अमन

इमरान कसाई को बंटी

जुनैद कसाई को जैन साब

शहनवाज़ कसाई को विनोद

शहज़ाद कसाईको सोनी जी

नदीम कसाई को सोनू

दानिश कसाई को दानवीर

बिलाल कसाई को बिल्लू चाय

अनास कसाई को हन्नू

आदिल छोटा को खट्टर

तौफ़ीक़ इलाही कसाई तन्नू

मैंने पूछा ये जिसको इसने भाटी कहकर बुलाया था ये मुझे लगा नहीं हिन्दू तो उसने बताया ये हारून कसाई है इसको भाटी बोलते है .सुनकर मेरे तो दिमाग़ सन्न रह गया कि ये लोग कैसे धार्मिक जगह बैठकर हिंदुओं का धर्म भृष्ट कर रहे है .अतः भाइयों ये पोस्ट ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करो जिससे किसी हिंदू भाई का धर्म भृष्ट होने से बच जाये….

कैसी विडंबना है रे भाई

गंगा घाट पर बैठा तोहिद कसाई

1

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya