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सोमवार, 29 सितंबर 2025

कभी रौशनी वहाँ से आती है, जहाँ से हम सोच भी नहीं सकते। और ईश्वर मदद भेजता है — भले ही 15 साल बाद ही क्यों न हो।

 

सुंदर मुस्कुराती हुई यह महिला, जिसे आप देख रहे हैं, उसका नाम है एली लोबेल (Ellie Lobel)…

इनको मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर लोगो को यक़ीन नही होगा की कभी इस महिला ने

दर्द और निराशा से मौत की तमन्ना की थी।

उसकी कहानी तब शुरू हुई जब वह जंगल में टहल रही थी और अचानक उसके पैर में तेज़ दर्द हुआ। बाद में पता चला कि किसी कीड़े ने काट लिया था, लेकिन उसने इस पर ध्यान नहीं दिया।

घर आकर उसने सामान्य क्रीम लगाई और सो गई। सुबह तक हालत ठीक लगने लगी, और वह इस घटना को पूरी तरह भूल गई।

कुछ हफ़्ते बाद उसे ज़ुकाम जैसे लक्षण हुए, जो दो हफ़्ते तक चले और फिर ठीक हो गई लेकिन महीनों बाद उसकी असली परेशानी हुई, जो पूरे पंद्रह साल तक चली।

उसके जोड़ों में सूजन और दर्द शुरू हो गया। धीरे-धीरे वह चलने, बोलने, यहाँ तक कि खाने-पीने तक में असमर्थ हो गई। डॉक्टर सालभर तक उसे गलत बीमारियों का इलाज देते रहे कोई कहता वायरल इंफ़ेक्शन है, कोई कहता यह इम्यून सिस्टम की समस्या है।

असल में उसे था लाइम रोग (Lyme Disease), जो एक विशेष किस्म के टिक (किलनी) के काटने से होने वाले बैक्टीरिया से फैलता है।

बदकिस्मती से, बीमारी बहुत देर से पकड़ी गई। तब तक बैक्टीरिया उसके दिमाग़ और नर्वस सिस्टम तक पहुँच चुका था।

उसकी हालत बिगड़ गई, वह अपना ध्यान तक नहीं रख पा रही थी, उसकी याददाश्त जाने लगी। वह जैसे बिना आत्मा के शरीर में जी रही थी।

27 साल की उम्र से लेकर 42 साल तक उसने इसी हालत में गुज़ारा। जीवन उसके सामने बिखर रहा था। वह बिस्तर पर पड़ी रहती, मिलने-जुलने से मना कर देती और मौत का इंतज़ार करती।

आख़िरकार, उसने हार मान ली।

उसने दवाइयाँ बंद कर दीं और तय किया कि डॉक्टर की बात के मुताबिक़ वह लगभग 90 दिन में मर जाएगी।

लेकिन उसने आख़िरी ख़्वाहिश रखी — बस एक बार बगीचे में जाना चाहती थी, चेहरे पर धूप महसूस करना चाहती थी और पंछियों की आवाज़ सुनना चाहती थी।

वहीं… जब वह व्हीलचेयर पर बैठी थी, अचानक उसे अफ़्रीकी मधुमक्खी ने डंक मारा।

कुछ ही सेकंड में दर्जनों मधुमक्खियाँ उस पर टूट पड़ीं।

वह चीखती रही, भागने की कोशिश करती रही, और ज़मीन पर गिरकर बेहोश हो गई।

उसे अस्पताल ले जाया गया, दिल की धड़कन रुक गई, फिर डॉक्टरों ने CPR देकर उसकी धड़कने वापस चालू कीं।

वह चाहती थी कि उसका इलाज न किया जाए — वह शांति से मरना चाहती थी।

लेकिन… कुछ अजीब हुआ।

दो दिन बाद जब वह उठी — न दर्द था, न सूजन, और वह खड़ी भी हो पा रही थी।

अगले ही दिन वह चलने भी लगी थी!

डॉक्टरों ने जाँच की और पाया कि मधुमक्खियों के ज़हर ने सब बदल दिया।

उस ज़हर ने लाइम रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया को नष्ट कर दिया, और उसका इम्यून सिस्टम जैसे दोबारा शुरू हो गया हो।

कुछ ही दिनों में, एली पूरी तरह स्वस्थ हो गई 15 साल तकलीफ झेलने के बाद।

वह फिर से ज़िंदगी में लौटी, और अब उसने अपना जीवन मधुमक्खियों, शहद और उनके ज़हर के फ़ायदों पर लिखने और दूसरों को उम्मीद देने में लगा दिया।

यह घटना 1997 में हुई थी। उसके बाद कई शोधों ने साबित किया कि मधुमक्खी का ज़हर कई बीमारियों में असरदार हो सकता है।

लेकिन ध्यान रहे — यह कहानी इस बात का प्रचार नहीं है कि कोई भी बिना डॉक्टर की देखरेख मधुमक्खियों से इलाज करवाए।

क्योंकि यह ज़हर, अगर किसी को एलर्जी हो, तो घातक भी हो सकता है।

फिर भी, यह कहानी हमें याद दिलाती है कि उम्मीद हमेशा रहती है, चाहे हालात कितने ही अंधेरे क्यों न हों।

कभी-कभी, जो चीज़ हमें चोट पहुँचाती है, वही हमारे लिए इलाज बन सकती है।

कभी रौशनी वहाँ से आती है, जहाँ से हम सोच भी नहीं सकते।

और ईश्वर मदद भेजता है — भले ही 15 साल बाद ही क्यों न हो।

यह हैं साक्षी गुप्ता — जो कल तक कोटा में ICICI बैंक में रिलेशनशिप मैनेजर थीं।

यह हैं साक्षी गुप्ता — जो कल तक कोटा में ICICI बैंक में रिलेशनशिप मैनेजर थीं।

साक्षी को शेयर ट्रेडिंग की लत लग गई थी, जब उन्होंने अपने पिता के ₹40 लाख गंवा दिए। लेकिन उनका लालच यहीं नहीं रुका। 2020 से 2023 के बीच, उन्होंने अपने ब्रांच के 41 ग्राहकों के 110 से अधिक खातों में हेरफेर की। साक्षी ने उन खातों के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर बदलकर अपने रिश्तेदारों के नंबर कर दिए, ताकि ट्रांजैक्शन अलर्ट और OTP असली खाताधारकों तक न पहुंचें।

फर्जी फॉर्म का इस्तेमाल कर उन्होंने पैसों की निकासी की, 31 फिक्स्ड डिपॉज़िट को बिना अनुमति समय से पहले तोड़ दिया (कुल ₹1.34 करोड़), 40 खातों पर बिना मंजूरी ओवरड्राफ्ट सुविधा शुरू की, और यहां तक कि एक बुज़ुर्ग महिला के खाते को 'पूल अकाउंट' के रूप में इस्तेमाल किया — और यह सब बिना किसी को खबर हुए।

सिर्फ एक खाते से ही ₹300 करोड़ से ज़्यादा का लेनदेन किया गया।

उन्होंने फर्जी लोन पास किए, डेबिट कार्ड और पिन का गलत इस्तेमाल किया, और ग्राहकों के ₹6 करोड़ शेयर बाज़ार में झोंक दिए — जहां अंत में सब कुछ डूब गया।

पकड़े जाने पर साक्षी ने स्वीकार किया कि यह सब उन्होंने अपने नुकसान की भरपाई के लिए किया।

गिरफ्तार कर लिया गया।

सुना है कि कुछ पुलिस वाले रस्सी का साँप बना देते हैं.... आख़िर कैसे ?"

 

एक बार एक दरोगा जी दाढ़ी मूछ बनाने के लिए एक नाई के दुकान पर गए... नाई आराम से दाढ़ी बनाते हुए उनसे दरोगा जी से एक बात पूछ बैठा ....."हुजूर मैंने सुना है कि कुछ पुलिस वाले रस्सी का साँप बना देते हैं.... आख़िर कैसे ?"

दरोगा जी बात को टाल गए।

लेकिन नाई ने जब दो-तीन बार यही सवाल पूछा, तो दरोगा जी ने मन ही मन तय किया कि इस भूतनी वाले को बताना ही पड़ेगा कि रस्सी का साँप कैसे बनाते हैं !

लेकिन प्रत्यक्ष में नाई से बोले - "अगली बार आऊंगा तब बताऊंगा... अभी जान छोड़ मेरी !"

इधर दरोगा जी के जाने के दो घंटे बाद ही 4 सिपाही नाई की दुकान पर छापा मारने आ धमके - "मुखबिर से पक्की खबर मिली है, तू हथियार सप्लाई करता है। तलाशी लेनी है दूकान की !"

तलाशी शुरू हुई ...

एक सिपाही ने नजर बचाकर हड़प्पा की खुदाई से निकला जंग लगा हुआ असलहा छुपा दिया !

दूकान का सामान उलटने-पलटने के बाद एक सिपाही चिल्लाया - "ये रहा रिवाल्वर"

छापामारी अभियान की सफलता देख नाई के होश उड़ गए - "अरे साहब... मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता ।

आपके बड़े साहब भी मुझे अच्छी तरह पहचानते हैं ! "नाई गिड़गिड़ाया....!!

एक सिपाही हड़काते हुए बोला - "दरोगा जी का नाम लेकर बचना चाहता है ? साले सब कुछ बता दे कि तेरे गैंग में कौन-कौन है ... तेरा सरदार कौन है ... तूने कहाँ-कहाँ हथियार सप्लाई किये ... कितनी जगह लूट-पाट की तू अभी थाने चल !"

थाने में दरोगा साहेब को देखते ही नाई पैरों में गिर पड़ा - "साहब बचा लो ... मैंने कुछ नहीं किया !"

दरोगा ने नाई की तरफ देखा और फिर सिपाहियों से पूछा - "क्या हुआ ?"

सिपाही ने वही जंग लगा असलहा दरोगा के सामने पेश कर दिया - "सर जी मुखबिर से पता चला था ..

इसका गैंग है और हथियार सप्लाई करता है.. इसकी दूकान से ही ये रिवाल्वर मिली है !"

दरोगा सिपाही से - "तुम जाओ, मैं पूछ-ताछ करता हूँ!"

सिपाही के जाते ही दरोगा हमदर्दी से बोले - "ये क्या किया तूने ?"

नाई घिघियाया - "सरकार मुझे बचा लो ... !"

दरोगा गंभीरता से बोला - "देख ये जो सिपाही हैं न .. एक नंबर के बदमाश हैं ... मैंने अगर तुझे छोड़ दिया तो ये मेरी शिकायत ऊपर अफसर से कर देंगे ...

इनकी जेब में कुछ डालनी ही पड़ेगी मैं तुझे अपनी गारंटी पर दो घंटे का समय देता हूँ, जाकर किसी तरह बीस हजार का इंतजाम कर .. पांच - पांच हजार चारों सिपाहियों को दे दूंगा तो वो मान जायेंगे !"

नाई रोता हुआ बोला - "हुजूर मैं गरीब आदमी बीस हजार कहाँ से लाऊंगा ?"

दरोगा डांटते हुए बोला - "तू मेरा अपना है इसलिए इतना सब कर रहा हूँ, तेरी जगह कोई और होता तो तू अब तक जेल पहुँच गया होता ... जल्दी कर वरना! बाद में मैं कोई मदद नहीं कर पाऊंगा !"

नाई रोता - कलपता घर गया ... अम्मा के कुछ चांदी के जेवर थे ... चौक में एक ज्वैलर्स के यहाँ सारे जेवर बेचकर किसी तरह बीस हजार लेकर थाने में पहुंचा और सहमते हुए बीस हजार रुपये दरोगा जी को थमा दिए ! !

दरोजा जी ने रुपयों को संभालते हुए पूछा - "कहाँ से लाया ये रुपया?"

नाई ने ज्वैलर्स के यहाँ जेवर बेचने की बात बतायी, तो दरोगा जी ने सिपाही से कहा - "जीप निकाल और नाई को हथकड़ी लगा के जीप में बैठा ले .. दबिश पे चलना है !"

पुलिस की जीप चौक में उसी ज्वैलर्स के यहाँ रुकी !

दरोगा और दो सिपाही ज्वैलर्स की दूकान के अन्दर पहुंचे

दरोगा ने पहुँचते ही ज्वैलर्स को रुआब में ले लिया - "चोरी का माल खरीदने का धंधा कब से कर रहे हो ?"

ज्वैलर्स सिटपिटाया - "नहीं दरोगा जी, आपको किसी ने गलत जानकारी दी है!"

दरोगा ने डपटते हुए कहा - "चुप.....!! बाहर देख जीप में हथकड़ी लगाए शातिर चोर बैठा है ... कई साल से पुलिस को इसकी तलाश थी ...

इसने तेरे यहाँ जेवर बेचा है कि नहीं ? तू तो जेल जाएगा ही.. साथ ही दूकान का सारा माल भी जब्त होगा !"

ज्वैलर्स ने जैसे ही बाहर पुलिस जीप में हथकड़ी पहले नाई को देखा तो उसके होश उड़ गए,

तुरंत हाथ जोड़ लिए - "दरोगा जी जरा मेरी बात सुन लीजिये !

कोने में ले जाकर मामला कुछ दे लेकर सेटल हुआ !

दरोगा ने माल जेब में डाली और नाई ने जो गहने बेचे थे वो हासिल किये, फिर ज्वैलर्स को वार्निंग दी - "तुम शरीफ आदमी हो और तुम्हारे खिलाफ पहला मामला था, इसलिए छोड़ रहा हूँ... आगे कोई शिकायत न मिले !"

इतना कहकर दरोगा जी और सिपाही जीप पर बैठकर रवाना हो गए !

थाने में दरोगा जी मुस्कुराते हुए पूछ रहे थे - "अब बता गधे, तेरे को समझ में आया कि रस्सी का सांप कैसे बनाते हैं ?? "

नाई सिर नवाते हुए बोला - "हाँ माई-बाप समझ गया !"

दरोगा हँसते हुए बोला - "भूतनी के, ले संभाल अपनी अम्मा के गहने और बीस हजार रुपया और जाते-जाते याद कर ले ... हम सिर्फ़ रस्सी का सांप ही नहीं बल्कि जरूरत पड़ने पर नेवला .. अजगर ... मगरमच्छ... और डायनासोर तक बनाते हैं.. नहीं तो अपराध नियंत्रण कैसे होगा बे......?

ये तो बेशर्मी की इंतहा हो गई... टीम इंडिया ने जीता एशिया कप का खिताब, ट्रॉफी लेकर भागा मोहसिन नकवी

 

ये तो बेशर्मी की इंतहा हो गई... टीम इंडिया ने जीता एशिया कप का खिताब, ट्रॉफी लेकर भागा मोहसिन नकवी

फाइनल से बाद भारतीय टीम ने साफ मना कर दिया था कि वह पाकिस्तानी सरकार के मंत्री मोहसिन नकवी से ट्रॉफी नहीं लेंगे। नकवी एशियन क्रिकेट काउंसिल का अध्यक्ष होने के नाते ट्रॉफी देने की जिद्द पर अड़ा रहा।

जब भारतीय टीम के मेडल और ट्रॉफी लेने की बार आई तो होस्ट साइमन डूल ने कहा- देवियों और सज्जनों, मुझे एशियाई क्रिकेट परिषद ने सूचित किया है कि भारतीय क्रिकेट टीम आज रात अपने पुरस्कार नहीं ले पाएगी। तो मैच के बाद की प्रस्तुति यहीं समाप्त होती है।

ट्रॉफी लेकर भागा नकवी

भारतीय टीम ने ट्रॉफी लेने का इंकार किया तो मोहसिन नकवी ट्रॉफी लेकर चले गए। बीसीसीआई के सचिव देवजीत सैकिया ने इसकी पुष्टि भी कर दी। उन्होंने एएनआई से बात करते हुए कहा- हम ऐसे व्यक्ति से ट्रॉफी स्वीकार नहीं कर सकते जो ऐसे देश का प्रतिनिधित्व करता है जो हमारे देश के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है। इसलिए हमने वह ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह हमारे देश को मिलने वाली ट्रॉफी और मेडल अपने होटल के कमरे में ले जाएंगे।

बँधी मुठ्ठी सवा लाख की...

रेडलाइट एरिया में एक बार अकबर आने वाला है का समाचार सुन एक वेश्या ने हजार रुपए कर्ज लेकर उस पैसे से अपने कमरे को रंग-रोगन कराकर खूब सजा लिया।

 

अकबर आया,कमरे की खूबसूरती से मोहित हो उसी वेश्या के पास रात गुजारी और सुबह उसे मात्र एक चवन्नी देकर चला गया।

वेश्या ने सोचा 1 हजार का कर्जा लेकर तैयारी की और अकबर ने चवन्नी दी ये सोच वेश्या बड़ी दुखी हुई।

लेकिन वेश्या होशियार थी

उसने मुठ्ठी में चवन्नी दबाई और लोगों के बीच बोलने लगी कि,अकबर ने मुझे एक कीमती चीज गिफ्ट की है और मैं उसे नीलाम करना चाहती हूँ। बोली लगाओ....

अकबर का गिफ्ट है' सोच,किसी ने 10 हजार की बोली लगाई। किसी ने 20 हजार

बोली बढ़ते-बढ़ते 50 हजार तक पहुँची लेकिन वेश्या बोली और बढ़ाने को कहा।

अकबर तक खबर जा पहुँची की, वह वेश्या उसकी दी गिफ्ट मुठ्ठी में बंद किए हुए है, किसी को दिखाती नहीं और नीलामी की बोली लगवा रही है।

अकबर तो जानता था कि उसने तो वेश्या को रात गुजारी की चवन्नी दी है और लोगों को पता चलेगा तो बड़ी बेइज्जती होगी।

अकबर उल्टे पाव भागा-भागा वेश्या के पास गया और बड़े प्यार मुहब्बत से वेश्या से बोला : *" मेरी जान, मैं तुझे सवा लाख रुपए देता हूँ मगर मुठ्ठी खोलकर चवन्नी किसी को दिखाना नहीं। "*

बस तभी से ये कहावत बनी कि,

*बँधी मुठ्ठी सवा लाख की....*और इधर वामपंथी और चमचे अकबर को महान बताते है ...जबकि बीरबल भी दिन में 36 बार अकबर का सुतियापा बनाता था 🤣🤣

रविवार, 28 सितंबर 2025

प्लास्टिक से सड़कों तक – भारत का अनोखा सफर

🌍✨ प्लास्टिक से सड़कों तक – भारत का अनोखा सफर ✨🌍
मदुरै (तमिलनाडु) के डॉ. राजगोपालन वासुदेवन, थिआगराजर कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग के रिटायर्ड केमिस्ट्री प्रोफेसर, ने सड़क निर्माण की दुनिया बदल दी। 🚧

👉 साल 2002 में उन्होंने एक नया तरीका खोजा –
जहाँ कूड़े की प्लास्टिक को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर बिटुमेन (गुड) के साथ मिलाया जाता है और सड़क बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।

💡 इस तकनीक से:
✅ प्लास्टिक कचरे की समस्या कम होती है ♻️
✅ सड़कें ज़्यादा मज़बूत और टिकाऊ बनती हैं 🛣️
✅ बारिश से कम खराब होती हैं 🌧️
✅ रखरखाव का खर्च घट जाता है 💰

🇮🇳 आज भारत में 1 लाख किलोमीटर से ज़्यादा सड़कें इस तकनीक से बनी हैं और कम से कम 11 राज्यों ने इसे अपनाया है।

🌟 पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास में उनके योगदान के लिए, डॉ. वासुदेवन को 2018 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

👏 वे सचमुच “Plastic Man of India” कहलाने के हकदार हैं।

#PlasticManOfIndia #EcoFriendlyRoads #SustainableInnovation #PadmaShri #GreenInfrastructure #WasteToWealth #ScienceForGood #RoadToSustainability 🌱🚀

बुधवार, 17 सितंबर 2025

नमोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ


🌸 नमोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌸

हमारे आदरणीय, कर्तव्यनिष्ठ, दूरदर्शी एवं विश्वनेता
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी
के 75वें मंगलमय जन्मदिवस पर
भारतवासियों को असीम बधाई एवं हृदय से शुभकामनाएँ।

जीवन में कभी-कभी ऐसे अवसर आते हैं जब हृदय में अद्वितीय आनंदोत्सव का अनुभव होता है।
आज का यह दिन हम सभी भारतीयों के लिए गर्व और हर्ष का दिन है, क्योंकि हमारे मोदी जी जैसा अद्वितीय नेतृत्व प्राप्त होना वास्तव में प्रभु का आशीर्वाद है।

🙏 हम प्रार्थना करते हैं कि आप सदा स्वस्थ, दीर्घायु एवं ऊर्जावान रहें,
और एक भारत, श्रेष्ठ भारत के पथ पर राष्ट्र को निरंतर अग्रसर करते रहें।

🌞 02/02/2035 की प्रभात तक
भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने के इस महायज्ञ में
हम सभी आपके साथ अपने कर्तव्यों का पूर्ण योगदान देते रहें

#NamoUtsav
#HappyBirthdayModiJi
#ModiAt75
#WorldLeaderModi
#IndiaWithModi
#EkBharatShreshthaBharat
#PradhanMantriModi
#VisionaryLeader
#75thBirthdayCelebration
#BharatKePradhanMantri
#VishwaGuruBharat
#NamoForever

दक्षिण दिशा में भोजन करना मृत्यु कारक

दक्षिण दिशा में भोजन करना मृत्यु कारक- 
दक्षिण दिशा में मुंह करके खाना खाना, आपको अकाल मृत्यु की ओर ले जाता है.. वास्तव, माना जाता है कि ये दिशा मरे हुए लोगों की है और इस दिशा में ऐसी ही ऊर्जा रहती है। जब आप इस दिशा में खाना खाते हैं तो ये नकारात्मक ऊर्जा आपके खाने में मिल जाती है या फिर आपके खाने का एक भाग इन्हें भी जाने लगता है। फिर लगातार ये काम करना इनके साथ संपर्क बढ़ाता है और मृत्यु की दिशा क्रियाशील हो जाती है और आप या आपका कोई विशेष अचानक से अकाल मृत्यु की ओर जाता है।

खाने की सही दिशा क्या है- खाने की सही दिशा है पूर्व। वास्तव में, इस दिशा में खाना मानसिक तनाव को दूर करता है और आपके पाचन क्रिया को सही करता है।इसके अलावा इस दिशा में खाना खाने से आप स्वस्थ्य रहते हैं। इतना ही नहीं इस दिशा में खाना खाने से आपके माता-पिता का भी स्वास्थ्य उत्तम रहता है।

भोजन करने के नियम सनातन धर्म के अनुसार- खाने से पूर्व अन्नपूर्णा माता की स्तुति करके उनका धन्यवाद देते हुये, तथा सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो इर्श्वर से ऐसी प्रार्थना करके भोजन करना चाहिये..
गृहस्थ के लिये प्रातः और सायं (दो समय) ही भोजन का विधान है। दोनों हाथ, दोनों पैर और मुख, इन पाँच अंगों को धोकर भोजन करने वाला दीर्घजीवी होता है।
भींगे पैर खाने से आयु की वृद्धि होती है।
सूखे पैर, जुते पहने हुये, खड़े होकर, सोते हुये, चलते फिरते, बिछावन पर बैठकर, गोद मे रखकर, हाथ मे लेकर, फुटे हुये बर्तन में, बायें हाथ से, मन्दिर मे, संध्या के समय, मध्य रात्रि या अंधेरे में भोजन नहीं करना चाहिये। रात्रि में भरपेट भोजन नहीं करना चाहिये। रात्रि के समय दही, सत्तु एव तिल का सेवन नहीं करना चाहिये।
हँसते हुये, रोते हुये, बोलते हुये, बिना इच्छा के, सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन नहीं

चीन की नई खोज: टूटी हड्डियों को 3 मिनट में जोड़ देगा ‘Bone-02’ ग्लू

चीन की नई खोज: टूटी हड्डियों को 3 मिनट में जोड़ देगा ‘Bone-02’ ग्लू 🩻
चीन के वैज्ञानिकों ने मेडिकल साइंस में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करने का दावा किया है। उन्होंने ऐसा मेडिकल बोन ग्लू विकसित किया है जो टूटी हुई हड्डियों और फ्रैक्चर को मात्र 3 मिनट में जोड़ सकता है। इसे ‘Bone-02’ नाम दिया गया है।

आइए जानते हैं विस्तार से ...

📌 बोन ग्लू ‘Bone-02’ क्या है?

✅ बोन ग्लू की खोज समुद्र में पाई जाने वाली सीपों पर आधारित हैं
✅ सीप को जब खोलते हैं तो वह एक प्रकार के गोंद से चिपकी होती है, उसकी गोंद की वजह से वह चट्टानों से चिपकी होती है
✅ उस चिपचिपे पदार्थ को सीप खुद प्राकृतिक रूप से बनाती हैं. 
✅ सीपों के इसी प्राकृतिक गुण से प्रेरित होकर चीन के वैज्ञानिकों ने बोन ग्लू बनाया है, जो एक प्रकार का चिपचिपा पदार्थ है, जिससे हड्डियां आपस में चिपकेंगी
✅ फिर यह गोंद अपने आप शरीर की त्वचा से घुल मिल जाएगा. 
✅ इस गोंद से शरीर का कोई अंग या त्वचा नहीं चिपकेगी.

➡️ चीन के झेजियांग प्रांत की रिसर्च टीम ने इसे विकसित किया है।
➡️ इसका प्रेरणा स्रोत सीप (Oysters) हैं, जो प्राकृतिक चिपचिपे पदार्थ से चट्टानों से चिपके रहते हैं।
➡️ यही प्राकृतिक गुण अपनाकर वैज्ञानिकों ने ऐसा ग्लू बनाया जो हड्डियों को मजबूती से जोड़ता है और समय के साथ शरीर में नेचुरली घुल जाता है।

📌 लैब टेस्ट में सफल

✅ रिसर्च में पाया गया कि ‘Bone-02’ की बंधन क्षमता बेहद मजबूत है।
🔹 400 पाउंड से अधिक बॉन्डिंग फोर्स
🔹 0.5 MPa शीयर स्ट्रेंथ
🔹 10 MPa कम्प्रेसिव स्ट्रेंथ
✅ इसे अब तक 150 से ज्यादा मरीजों पर आजमाया जा चुका है और वैज्ञानिक रूप से सुरक्षित और प्रभावी माना गया है।

📌 कैसे करेगा काम?

🔹 ‘Bone-02’ को इंजेक्शन के जरिए हड्डी के फ्रैक्चर वाले हिस्से में लगाया जाएगा।
🔹 यह मात्र 2-3 मिनट में हड्डी के टुकड़ों को जोड़ देगा।
🔹 पारंपरिक फ्रैक्चर सर्जरी में जहां लंबा समय लगता है, वहीं इस ग्लू से दूसरी सर्जरी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
🔹 हड्डी के ठीक होने के साथ ही यह ग्लू धीरे-धीरे शरीर में घुल जाएगा और 6 महीने के अंदर सूखकर खत्म हो जाएगा।

📌 फायदे

✔️ दूसरी सर्जरी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
✔️ मेटल इंप्लांट का विकल्प बन सकता है।
✔️ फ्रैक्चर तेजी से ठीक होंगे।
✔️ शरीर के किसी और अंग या त्वचा पर असर नहीं करेगा।

📌 200 किलो तक की मजबूती

लैब में परीक्षणों के दौरान इस ग्लू ने 200 किलो तक का वजन चिपकाकर दिखाया। हड्डियों को जोड़ने में यह बेहद सफल रहा और 6 महीने बाद यह शरीर में पूरी तरह से घुल-मिल गया।

रविवार, 14 सितंबर 2025

दक्षिण दिशा में भोजन करना मृत्यु कारक

दक्षिण दिशा में भोजन करना मृत्यु कारक- 
दक्षिण दिशा में मुंह करके खाना खाना, आपको अकाल मृत्यु की ओर ले जाता है.. वास्तव, माना जाता है कि ये दिशा मरे हुए लोगों की है और इस दिशा में ऐसी ही ऊर्जा रहती है। जब आप इस दिशा में खाना खाते हैं तो ये नकारात्मक ऊर्जा आपके खाने में मिल जाती है या फिर आपके खाने का एक भाग इन्हें भी जाने लगता है। फिर लगातार ये काम करना इनके साथ संपर्क बढ़ाता है और मृत्यु की दिशा क्रियाशील हो जाती है और आप या आपका कोई विशेष अचानक से अकाल मृत्यु की ओर जाता है।

खाने की सही दिशा क्या है- खाने की सही दिशा है पूर्व। वास्तव में, इस दिशा में खाना मानसिक तनाव को दूर करता है और आपके पाचन क्रिया को सही करता है।इसके अलावा इस दिशा में खाना खाने से आप स्वस्थ्य रहते हैं। इतना ही नहीं इस दिशा में खाना खाने से आपके माता-पिता का भी स्वास्थ्य उत्तम रहता है।

भोजन करने के नियम सनातन धर्म के अनुसार- खाने से पूर्व अन्नपूर्णा माता की स्तुति करके उनका धन्यवाद देते हुये, तथा सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो इर्श्वर से ऐसी प्रार्थना करके भोजन करना चाहिये..
गृहस्थ के लिये प्रातः और सायं (दो समय) ही भोजन का विधान है। दोनों हाथ, दोनों पैर और मुख, इन पाँच अंगों को धोकर भोजन करने वाला दीर्घजीवी होता है।
भींगे पैर खाने से आयु की वृद्धि होती है।
सूखे पैर, जुते पहने हुये, खड़े होकर, सोते हुये, चलते फिरते, बिछावन पर बैठकर, गोद मे रखकर, हाथ मे लेकर, फुटे हुये बर्तन में, बायें हाथ से, मन्दिर मे, संध्या के समय, मध्य रात्रि या अंधेरे में भोजन नहीं करना चाहिये। रात्रि में भरपेट भोजन नहीं करना चाहिये। रात्रि के समय दही, सत्तु एव तिल का सेवन नहीं करना चाहिये।
हँसते हुये, रोते हुये, बोलते हुये, बिना इच्छा के, सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन नहीं

रविवार, 7 सितंबर 2025

मानव अंगुलियों की रेखाएँ — भगवान की अनुपम रचना

मानव अंगुलियों की रेखाएँ — भगवान की अनुपम रचना

मानव जीवन का रहस्य जितना गहन है, उतना ही रहस्यमय उसकी रचना भी है।

भगवान ने प्रत्येक प्राणी को विशिष्ट बनाया है, किंतु मानव के शरीर पर कुछ ऐसे अद्वितीय चिन्ह अंकित किए हैं, जिनकी नकल करना असंभव है। उन्हीं में से एक है अंगुलियों के छाप अर्थात फिंगरप्रिंट।


गर्भावस्था में रेखाओं का निर्माण


वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि जब गर्भस्थ शिशु लगभग चार माह का होता है, तभी उसकी अंगुलियों पर लकीरें आकार लेने लगती हैं। यह लकीरें तरंगों की भाँति उभरती हैं और उनका निर्माण सीधे-सीधे डीएनए के संदेश से होता है। किंतु आश्चर्य की पराकाष्ठा यह है कि ये रेखाएँ न केवल उस शिशु के माता-पिता या पूर्वजों से भिन्न होती हैं, बल्कि समस्त विश्व में आज तक जन्मे अरबों-खरबों मनुष्यों से भी अलग होती हैं।


अद्वितीयता का प्रमाण


यह प्रश्न मन में उठता है कि


कौन है वह कलाकार जो प्रत्येक बार एक नई आकृति का सृजन करता है?


कौन है वह डिज़ाइनर जो अरबों रेखाओं के बीच भी कोई समानता नहीं होने देता?


कौन है वह कारीगर जिसकी रचना का कोई विकल्प नहीं?



इसका उत्तर केवल एक ही है — सृष्टि का परम नियंता, भगवान।


पुनर्निर्माण की चमत्कारी क्षमता


और भी अद्भुत बात यह है कि यदि किसी कारणवश —


जलने,


चोट लगने,


अथवा किसी अन्य दुर्घटना के कारण —

अंगुलियों की रेखाएँ मिट भी जाएँ, तो समय के साथ वही रेखाएँ हूबहू पुनः उभर आती हैं। न एक रेखा कम, न एक अधिक।



क्या यह किसी सामान्य प्रक्रिया का परिणाम हो सकता है?

निश्चित ही नहीं। यह तो उस सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान भगवान की अपार कारीगरी है।


विज्ञान और आस्था का संगम


आज की समस्त वैज्ञानिक प्रगति और अत्याधुनिक तकनीक भी इस चुनौती का समाधान नहीं दे पाई कि किसी व्यक्ति की अंगुलियों का छाप हूबहू पुनर्निर्मित कर सके। यह केवल और केवल उसी सत्ता के अधीन है जिसने सम्पूर्ण सृष्टि की रचना की है।



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✨ शास्त्रीय प्रमाण


वेद से


ऋग्वेद (10.90.4):

“सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात्।”

➡ भगवान अनगिनत रूपों में विद्यमान हैं। उनकी प्रत्येक रचना अद्वितीय है।


उपनिषद से


कठोपनिषद (2.2.13):

“अनन्तश्चात्मा विश्वतोमुखः।”

➡ आत्मा अनंत है और भगवान हर दिशा में विद्यमान हैं। उन्हीं की कारीगरी हर जीव के विशिष्ट चिन्हों में झलकती है।


गीता से


भगवद्गीता (10.8):

“अहं सर्वस्य प्रभवो मत्तः सर्वं प्रवर्तते।”

➡ भगवान कहते हैं – मैं ही सबका मूल कारण हूँ और मुझसे ही सब कुछ प्रवाहित होता है।


भगवद्गीता (9.10):

“मया अध्यक्षेण प्रकृतिः सूयते सचराचरम्।”

➡ मेरे अधीन रहकर ही यह सम्पूर्ण प्रकृति चल और अचल जगत को उत्पन्न करती है।



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निष्कर्ष


यह रहस्य हमें यह संदेश देता है कि—


सृष्टि का संचालन कोई और नहीं बल्कि वही भगवान कर रहे हैं।


वही हैं सच्चे कलाकार, डिज़ाइनर, कारीगर और रचनाकार।


वही हैं जो अनंत रूपों में अपनी अद्वितीयता प्रकट करते हैं।



🚩🌸 वही भगवान है, वही राम है। 🌸🚩


🙏 आइए हम सब उस परमसत्ता भगवान के प्रति कृतज्ञ भाव से नतमस्तक हों, जिसने हमें इस अनोखी और अनुपम पहचान से विभूषित किया है।


क्या आप चाहेंगे कि मैं इसके साथ समापन पर उपयुक्त संस्कृत श्लोक (जैसे – “ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम्…”) भी जोड़ दूँ ताकि यह और भी दिव्य लगे?


क्या आप चाहेंगे कि मैं इसके साथ **समापन पर उपयुक्त संस्कृत श्लोक (जैसे – “ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम्…”)** भी जोड़ दूँ ताकि यह और भी दिव्य लगे?writing{variant="standard" title="मानव अंगुलियों के अद्वितीय निशान — भगवान की अनूठी कारीगरी"}  

**मानव अंगुलियों की रेखाएँ — भगवान की अनुपम रचना**  


मानव जीवन का रहस्य जितना गहन है, उतना ही रहस्यमय उसकी रचना भी है।  

भगवान ने प्रत्येक प्राणी को विशिष्ट बनाया है, किंतु मानव के शरीर पर कुछ ऐसे अद्वितीय चिन्ह अंकित किए हैं, जिनकी नकल करना असंभव है। उन्हीं में से एक है **अंगुलियों के छाप** अर्थात *फिंगरप्रिंट*।  


### गर्भावस्था में रेखाओं का निर्माण  

वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि जब गर्भस्थ शिशु लगभग **चार माह** का होता है, तभी उसकी अंगुलियों पर लकीरें आकार लेने लगती हैं। यह लकीरें तरंगों की भाँति उभरती हैं और उनका निर्माण सीधे-सीधे **डीएनए** के संदेश से होता है। किंतु आश्चर्य की पराकाष्ठा यह है कि ये रेखाएँ न केवल उस शिशु के माता-पिता या पूर्वजों से भिन्न होती हैं, बल्कि समस्त विश्व में आज तक जन्मे अरबों-खरबों मनुष्यों से भी अलग होती हैं।  


### अद्वितीयता का प्रमाण  

यह प्रश्न मन में उठता है कि  

- कौन है वह कलाकार जो प्रत्येक बार एक नई आकृति का सृजन करता है?  

- कौन है वह डिज़ाइनर जो अरबों रेखाओं के बीच भी कोई समानता नहीं होने देता?  

- कौन है वह कारीगर जिसकी रचना का कोई विकल्प नहीं?  


इसका उत्तर केवल एक ही है — **सृष्टि का परम नियंता, भगवान**।  


### पुनर्निर्माण की चमत्कारी क्षमता  

और भी अद्भुत बात यह है कि यदि किसी कारणवश —  

- जलने,  

- चोट लगने,  

- अथवा किसी अन्य दुर्घटना के कारण —  

अंगुलियों की रेखाएँ मिट भी जाएँ, तो समय के साथ वही रेखाएँ हूबहू पुनः उभर आती हैं। न एक रेखा कम, न एक अधिक।  


क्या यह किसी सामान्य प्रक्रिया का परिणाम हो सकता है?  

निश्चित ही नहीं। यह तो उस **सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान भगवान** की अपार कारीगरी है।  


### विज्ञान और आस्था का संगम  

आज की समस्त वैज्ञानिक प्रगति और अत्याधुनिक तकनीक भी इस चुनौती का समाधान नहीं दे पाई कि किसी व्यक्ति की अंगुलियों का छाप हूबहू पुनर्निर्मित कर सके। यह केवल और केवल उसी सत्ता के अधीन है जिसने सम्पूर्ण सृष्टि की रचना की है।  


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## ✨ शास्त्रीय प्रमाण  


### वेद से  

**ऋग्वेद (10.90.4):**  

“सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात्।”  

➡ भगवान अनगिनत रूपों में विद्यमान हैं। उनकी प्रत्येक रचना अद्वितीय है।  


### उपनिषद से  

**कठोपनिषद (2.2.13):**  

“अनन्तश्चात्मा विश्वतोमुखः।”  

➡ आत्मा अनंत है और भगवान हर दिशा में विद्यमान हैं। उन्हीं की कारीगरी हर जीव के विशिष्ट चिन्हों में झलकती है।  


### गीता से  

**भगवद्गीता (10.8):**  

“अहं सर्वस्य प्रभवो मत्तः सर्वं प्रवर्तते।”  

➡ भगवान कहते हैं – मैं ही सबका मूल कारण हूँ और मुझसे ही सब कुछ प्रवाहित होता है।  


**भगवद्गीता (9.10):**  

“मया अध्यक्षेण प्रकृतिः सूयते सचराचरम्।”  

➡ मेरे अधीन रहकर ही यह सम्पूर्ण प्रकृति चल और अचल जगत को उत्पन्न करती है। 

### निष्कर्ष  

यह रहस्य हमें यह संदेश देता है कि—  

- सृष्टि का संचालन कोई और नहीं बल्कि वही भगवान कर रहे हैं।  

- वही हैं सच्चे कलाकार, डिज़ाइनर, कारीगर और रचनाकार।  

- वही हैं जो अनंत रूपों में अपनी अद्वितीयता प्रकट करते हैं।  

🚩🌸 **वही भगवान है, वही राम है।** 🌸🚩  

🙏 आइए हम सब उस परमसत्ता भगवान के प्रति कृतज्ञ भाव से नतमस्तक हों, जिसने हमें इस अनोखी और अनुपम पहचान से विभूषित किया है।  

बुधवार, 3 सितंबर 2025

बैंक फ्रॉड से बचने के लिए क्या आवश्यक बिंदु है?

 

तकनीक के जमाने मेँ धोखाधडी के तरीके भी बदल रहे हैँ

धोखाधडी करने वाला आपके भय या लोभ का प्रयोग करके आपको शिकार बनाता है।

वैसे तो धोखाधडी के तरीकोँ मेँ लगातार थोडा बहुत बदलाव आता है लेकिन उनमेँ कुछ न कुछ एकरूपता भी रहती है।

प्रचलित धोखाधडी की प्रक्रियाओँ और तरीकोँ को समझ लेते हैँ।

- धोखाधडी करने वाला आपके बैंक या मान्य संस्था की और से आपको किसी प्रकार से सम्पर्क करता है। यह सम्पर्क ईमेल द्वारा , मेसेज द्वारा, या फोन काल द्वारा हो सकता है।

- इनमेँ या तो आपको किसी प्रकार का लाभ देने की बात होती है या आपकी कोई समस्या या हानि बताई जाती है।

- लाभ की बात जैसे कि आपने एक लाख रुपए का पुरस्कार जीता है। या सरकार की ओर से आप इस योजना के तहत दस हजार रुपए दिए जा रहे है इत्यादि। या आपकी दस वर्ष पुरानी पालिसी है जिसमेँ आपने कुछ ही किस्त जमा की थी। एक और किस्त जमा करने पर आपके दो लाख रुपए हो रहेँ है जो आप निकलवा सकते हैँ।

- समस्या या हानि की बात जैसे आपका अकाउंट या कार्ड ब्लाक होने वाला है। आपने बिजली बिल नहीँ जमा किया है इसलिए आपका कल तक कनेक्सन कट जाएगा। ये सब ऐसी बाते है जिनके होने की सम्भावना काफी है और इसलिए आपको सरलता से यकीन आ जाएगा।

- सम्पर्क के बाद ये आपसे वह जानकारी प्राप्त करना चाहते है जिसका प्रयोग करके ये आपके खाते या कार्ड से ऑनलाइन लेन देन कर पाएँ।

- आपसे सम्पर्क किए जाने का प्रत्यक्ष कारण उस समय के चलन के अनुसार बदलता रहता है। यदि कोई लोकप्रिय सरकारी योजना आई है तो उसका नाम लेकर सम्पर्क किया जाएगा । यदि कौन बनेगा करोडपति चल रहा है तो उसके नाम से सम्पर्क हो सकता है इत्यादि। लेकिन प्रक्रिया लगभग यही होती है।


धोखे की पहचान और सावधानियाँ

- पहला स्तर तो यही है कि नम्बर भारत से बाहर का है तो फ्रॉड होने की बहुत सम्भावना है। बहुत बार ये लोग पाकिस्तानी भी होते है । भारत के नम्बर +91 से आरम्भ होते है और पाकिस्तान के +92 से ।

- बैंक के आधिकारिक मेसेज भी साधारण मोबाइल नम्बर से नहीँ आते हैँ । अक्सर बैंक के मेसेज पर भेजने वाले का एक सांकेतिक नाम होता है। जैसे AD-ICICI , AX-ICIBNK, VM-SBICRD .. सभी मुख्य संस्थाओँ ने इस प्रकार के संकेतिक नाम पंजीकृत कराए होते हैँ और आपके संदेश पर यह अलग दिखाई देते हैँ। जबकि धोखाधडी वाले मेसेज साधारण मोबाइल नम्बर से आते हैँ । यह व्यवस्था सुरक्षा के लिए ही है इसका प्रयोग करेँ।

नीचे उदाहरण दिया गया है।

तो मोबाइल नम्बर से आए मेसेज को फ्राड ही माने। सावधानी के लिए किसी भी मेसेज की कडी क्लिक न करेँ।

- इसी प्रकार बैंक के कॉल भी किसी प्रकार के आधिकारिक नम्बर से आते हैँ। ये नम्बर मोबाइल नम्बर से अलग प्रकार के होते हैँ और अकसर 1800 से आरम्भ होते हैँ । इस प्रकार के नम्बर दिए जाने की प्रक्रियाएँ सामान्य नम्बर से अधिक जटिल है इसलिए इस बात की सम्भावना कम है कि धोखाधडी वाले के पास ऐसे नम्बर होँ। फोन नम्बर की पहचान के लिए आजकल नम्बर पहचानने वाले एप्प भी आतेँ हैँ।

- मेसेज या कॉल की तरह ईमेल की इस प्रकार की कोई पहचान नहीँ है इसलिए सबसे असुरक्षित ईमेल ही है। जैसे पोस्ट ओफिस पत्र भेजने वाले की पहचान की जाँच नहीँ करता केवल दिए गए पते पर पत्र पहुँचाता है इसी प्रकार ईमेल भी काम करता है। ईमेल दिए गए पते पर पहुँच जाता है लेकिन भेजने वाले की कोई प्रमाणिकता नहीँ होती। जैसे किसी अन्य के नाम से पत्र भेजा जा सकता है वैसे ही किसी अन्य के नाम से ईमेल भी भेजा जा सकता है।

किसी भी प्रकार के संदेश के बाद सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप उस पर कोई जानकारी न देँ और न कुछ करेँ बस यह कह देँ आप स्वयम् बैक या उस संस्था से सम्पर्क करेँगेँ । यदि व्यक्ति बात न माने तो भी आप फोन काट देँ। ईमेल और मेसेज का कोई उत्तर न देँ और न ही किसी कडी या लिंक पर क्लिक करेँ। इसके बाद आप उस संस्था से स्वयम् सम्पर्क करेँ ।

बैंकिग से बात करके कोई काम करना हो तो तभी करेँ जब आपने बैंक को सम्पर्क किया है बैंक ने आपको नहीँ ।


बैंक या संस्था से सम्पर्क करना

- संस्था से सदैव उसके आधिकारिक माध्यम पर ही सम्पर्क करेँ। यदि बिजली का बिल ऑनलाइन भरना है तो बिल पर दी गई बेबसाइट या एप्प पर ही करेँ किसी ईमेल या मेसेज या फोन पर बताए गए पते पर नहीँ। बिजली के बिल बहुप्रचलित एप्प जैसे अमेजन, पेटीम द्वारा भी किए जा सकते हैँ। किसी मेसेज मेँ प्राप्त नए एप या नई वेबसाइट का प्रयोग न करेँ ।

- आप किसी अन्य के मोबाइल या लैपटाप का प्रयोग करते हुए बैंक के काम न करेँ। जानकारी चोरी करने के गुप्त तरीके प्रचलित हैँ जिनकी व्याख्या का लाभ नहीँ होगा।

- बैँक की वेबसाइट को बुकमार्क करके रखेँ । भविष्य मेँ इसी बुकमार्क का प्रयोग करेँ इससे आप किसी गलत या छ्द्म वेबसाइट पर जाने से बचे रहेँगे।

- एप्प का प्रयोग वेबसाइट के प्रयोग से अधिक सुरक्षित है यदि आप इस एप्प का प्रयोग पहले ही करते रहेँ है। एप्प को बुकमार्क करने की आवश्यकता नहीँ होती। लेकिन पहली बार एप्प इंस्टाल करते समय इतना सुनिश्चित करना होगा है कि एप्प आधिकारिक है।

- यदि लोगिन करने के लिए OTP विकल्प है तो उसी विकल्प का प्रयोग करेँ । इसमेँ आवश्यक है जिसमेँ मोबाइल नम्बर आज से पहले ही कभी दिया गया हो । यदि आप आज ही मोबाइल नम्बर रजिस्टर कर रहेँ तो अन्य माध्यम से सुनिश्चित करेँ कि वेबसाइट या एप्प आधिकारिक है।

- लोगिन करने के बाद कोई लेन देन करने से पहले अपने कुछ पुराने लेन देन देख लेँ यदि ये लेन सही है तो काफी सम्भावना है कि यह सही वेबसाइट या एप्प है।

- बैंक के आधिकारिक कॉल सेंटर के नम्बर अपने पास रखेँ । ये नम्बर मोबाइल नम्बर से अलग प्रकार के होते हैँ और अकसर 1800 से आरम्भ होते हैँ । मोबाइल नम्बर से आई काल पर जो भी सूचना आपको दी गई हो । उनसे कहेँ कि आप स्वयम् सम्पर्क करेँगेँ फिर आप आधिकारिक कॉल सेंटर के नम्बर पर कॉल करेँ ।

- अब यदि ईमेल द्वारा सम्पर्क किया गया है तो उस पर तो कुछ भी न करेँ । आप अन्य प्रकार से ही बैँक को सम्पर्क करेँ ।

यदि ऑनलाइन तरीकोँ से आप सहज नहीँ है तो पुराने तरीके ही प्रयोग करते रहेँ।


पासवर्ड सुरक्षा

- बैकिंग पासवर्ड अपने अन्य सभी पासवर्ड से अलग रखेँ। यदि आपके अन्य पासवर्ड चोरी हो जाते हैँ तो भी बैंकिग बच सकते हैँ। किसी भी पासवर्ड याद रखने वाली सुविधा को बैंक के पासवर्ड याद न कराएँ।

- अपने लैपटाप पर बैंकिग पासवर्ड याद रखने का विकल्प न चुने । यदि आपका पासवर्ड आपका ब्राउजर स्वयम् भर रहा है तो यदि किसी को आपके लैपटाप या मोबाइल को प्रयोग करने का अवसर मिले तो यह चोरी हो सकता है। इसको चोरी कर पाने की सरलता अदभुद है। यह लगभग 5 सेकेण्ड का काम है। बिंदु दिखाने का कारण केवल पासवर्ड भरते समय की सुरक्षा है।

- वैसे प्रसिद्द संस्थाओँ द्वारा प्रयोग किए जा रहे आपके पासवर्ड उनके सर्वर पर सुरक्षित होते हैँ। यह सुरक्षा कैसे निश्चित होती है? यह इस प्रकार निश्चित होती है कि वे आपके पासवर्ड को कहीँ पर रखते ही नहीँ है बल्कि उसके आधार पर बना एक कूट संकेत रखते है। इसलिए वहाँ से इसे उनका कर्मचारी भी चोरी नहीँ कर सकता है। लेकिन आपके लैपटाप पर या ब्राउजर पर याद किया गया भी पासवर्ड सुरक्षित ही हो आवश्यक नहीँ । ऊपर की विधि से कोई भी पासवर्ड चोरी हो सकता है।

- कम प्रसिद्ध वेबसाइट आपके पासवर्ड को उतना सुरक्षित रखती है कि नहीँ यह पता करना सम्भव नहीँ है। इसलिए यदि आप एक ही लोगिन आई डी का प्रयोग बहुत स्थानो पर कर रहेँ तो पासवर्ड अलग अलग रखेँ ।

- मेरे विचार ट्विटर पर सुरक्षा पर्याप्त नहीँ है। गूग़ल और फेसबुक सहीँ हैँ।

- आपकी पसंद के गानो के बोल या पसंद के दोहे या कविता के बोल आपको जटिल पासवर्ड बनाने और याद रखने मेँ सहयोग कर सकते हैँ। जैसे जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजाकर से यह पासवर्ड बन गया जो याद रखने मेँ सरल होगा Jhggsjktlu@1421 लेकिन इस उदाहरण जैसी अति प्रसिद्ध कविता के प्रयोग से बचेँ।

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