लाइक करने से अब कुछ नहीं होगा इसे आपके पेज पर रखिए जैसे मैंने रखा है .....
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आज के युवा अपनी संस्कृती और मातृभाषा को भुलते जा रहे है ।
>> आज मुजे स्वामी विवेकानंद का वो द्रश्य याद आ रहा है ।
एकबार विवेकानंद जी विदेश मे भाषण करने गये, तो वहाँ के अंग्रेज़ अधिकारीयो ने हाल पुछते हुये स्वामी जी से कहा की " HOW ARE YOU ?"
>> विवेकानंद जी :- " मैं एकदम ठिक हूँ । "
>> अंग्रेज़ अधिकारी को लगा की शायद स्वामी को अङ्ग्रेज़ी नही आती होगी तो उसने कहा
" सुप्रभात स्वामीजी, धन्यवाद आपका । आप यहाँ तक भाषण करने आये । "
>> विवेकानंद जी ने कहा " good morning welcome "
>> अधिकारी ने सोचा --- ये क्या ??? और उसने स्वामी से पुछा की स्वामी जी ........
***** जब मैंने आपको अङ्ग्रेज़ी मे पुछा तो आपने हिन्दी मे जवाब दिया और जब मैंने हिन्दी मे कहा तो आपने अङ्ग्रेज़ी मे जवाब दिया इसका मतलब मे नही समजा ।
यह खास पढ़ो >>>> स्वामी जी ने विन्रमता से कहा की जब आपने अपनी माँ का सन्मान किया तो मैंने मेरी माँ का सन्मान किया और जब आपने मेरी माँ का सन्मान दिया तो मैंने आपकी माँ को सन्मान दिया ।
>> जब की आज के युवा अङ्ग्रेज़ी मे बोलकर अपने आपको बडे आदमी मानते है और मातृभाषा मे बात करने मे उसे शर्म आती है ।
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good morning , भगवान के फोटो वाले पोस्ट बहुत रख लिए अब ऐसे लेख को फैलाने का काम करना है ......... क्या आप यह काम करेंगे ???? " हाँ " तो पहली टिप्पणी मे से यह लेख कॉपी करके सबको दे देना..........
ॐ शांति ॥ जयतु हिन्दी ॥ जयतु संस्कृतम ॥
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आज के युवा अपनी संस्कृती और मातृभाषा को भुलते जा रहे है ।
>> आज मुजे स्वामी विवेकानंद का वो द्रश्य याद आ रहा है ।
एकबार विवेकानंद जी विदेश मे भाषण करने गये, तो वहाँ के अंग्रेज़ अधिकारीयो ने हाल पुछते हुये स्वामी जी से कहा की " HOW ARE YOU ?"
>> विवेकानंद जी :- " मैं एकदम ठिक हूँ । "
>> अंग्रेज़ अधिकारी को लगा की शायद स्वामी को अङ्ग्रेज़ी नही आती होगी तो उसने कहा
" सुप्रभात स्वामीजी, धन्यवाद आपका । आप यहाँ तक भाषण करने आये । "
>> विवेकानंद जी ने कहा " good morning welcome "
>> अधिकारी ने सोचा --- ये क्या ??? और उसने स्वामी से पुछा की स्वामी जी ........
***** जब मैंने आपको अङ्ग्रेज़ी मे पुछा तो आपने हिन्दी मे जवाब दिया और जब मैंने हिन्दी मे कहा तो आपने अङ्ग्रेज़ी मे जवाब दिया इसका मतलब मे नही समजा ।
यह खास पढ़ो >>>> स्वामी जी ने विन्रमता से कहा की जब आपने अपनी माँ का सन्मान किया तो मैंने मेरी माँ का सन्मान किया और जब आपने मेरी माँ का सन्मान दिया तो मैंने आपकी माँ को सन्मान दिया ।
>> जब की आज के युवा अङ्ग्रेज़ी मे बोलकर अपने आपको बडे आदमी मानते है और मातृभाषा मे बात करने मे उसे शर्म आती है ।
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ॐ शांति ॥ जयतु हिन्दी ॥ जयतु संस्कृतम ॥