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शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

आईये जाने क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि ?

⛳ *ॐ श्री गौरीशंकराय नम:* ⛳

ॐ त्रियम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं ! उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मोक्षिय मामृतात् !  🕉🙏🕉 


आप सभी मित्रों को महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ
शिव की बनी रहे आप पर छाया,
पलट दे जो आपकी किस्मत की काया,
मिले आपको वो सब इस अपनी जिन्दगी में,
जो कभी किसी ने भी न पाया
                  🚩ॐ नमःशिवाय🚩

#महाशिवरात्रि के अवसर पर आप सभी को शुभकामनाएँ । 
अपने अपने स्तर पर विष पीकर अपने देश और समाज को अमृत देते रहिए।

आईये जाने क्यों मनाई जाती है
महाशिवरात्रि ?
 
शिव का अर्थ होता है कल्याण जो कल्याणकारी है वही शिव हैं l
शिवरात्रि का अर्थ होता है भगवान शिव की रात (रात्रि ) पूरी रात्रि जागकर शिवजी का स्मरण पूजा करना ,वो शिवरात्रि बन जाती है इसलिए किसी भी मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी ‘शिवरात्रि’ कहलाती है। लेकिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी “महाशिवरात्रि” कहलाती है। जो भगवान शिव की अतिप्रिय रात्रि होती है।

👉महा शिवरात्रि मनाने के मुख्य रूप से 2 कारण माने गये हैं–

👉1.भगवान शिव के जन्मदिवस को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है , पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे l इस दिन पहली बार शिवलिंग की पूजा भगवान विष्णु और ब्रह्माजी द्वारा की गयी थी यही कारण है की इस दिन शिवलिंग की पूजा की जाती है l
कहते हैं कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण  हुआ था।

      👉2.जबकि कई स्थानों पर यह भी माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव का पार्वती जी के साथ विवाह हुआ था l 
शिव और पार्वती के विवाह की कथा बड़ी ही दिव्य है जो इस कथा को कहता,सुनता और पढता है उस पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं ,उसके जीवन में सुख ही सुख आ जाता है l

🌷महाशिवरात्रि व्रत की #कथा🌷

एक बार माँ पार्वती जी ने भगवान भोलेनाथ से पूछा, ‘ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ, सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्युलोक के प्राणी को आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं ?’

भगवान शिवजी ने पार्वती को ‘शिवरात्रि’ का व्रत बताया और यह कथा सुनाई 👇–

एक बार एक शिकारी था जिसका नाम चित्रभानु था वह पशुओं की हत्या करकेअपने परिवार को पालता था l उसने एक साहूकार से कुछ ऋण लिया, लेकिन समय पर न ऋण चुका न सका साहूकार ने गुस्सा होकर शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी l

शिकारी वहां पर बड़े ध्यान से शिव-संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा ,चतुर्दशी को उसने शिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी शाम होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के बारे में पूछा शिकारी ने कहा कि अगले दिन सारा ऋण लुटा देगा।साहूकार ने इस पर विश्वास करके उसे छोड़ दिया l

शिकारी अब जंगल में शिकार के लिए चल पड़ा लेकिन दिनभर बंदी गृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था, शिकार करने के लिए वह एक तालाब के किनारे बेल-वृक्ष पर बेठ गया , बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग था जो विल्वपत्रों से ढका हुआ था शिकारी को शिवलिंग का पता न चला l

पड़ाव (जगह )बनाते समय उसने जो टहनियां तोड़ीं,वे संयोग से शिवलिंग पर गिर गई इस प्रकार सारा दिन भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए l
एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भवती हिरनी तालाब पर पानी पीने के लिए पहुंची l शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर जैसे ही प्रत्यंचा खींची,हिरनी बोली,‘मैं गर्भिणी हूं।शीघ्र ही प्रसव करूंगी तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे,जो ठीक नहीं है मैं अपने बच्चे को जन्म देकर जल्दी ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी,तब तुम मुझे मार लेना ,शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और हिरनी जंगली झाड़ियों में लुप्त हो गई l

थोड़ी देर बाद एक और हिरनी वहां से निकली शिकारी फिर से खुश हो गया नजदीक आने पर उसने धनुष पर बाण चढ़ाया तब उसे देखकर हिरनी ने निवेदन किया-मैं थोड़ी देर पहले ही ऋतु से निवृत्त हुई हूं। कामातुर विरहिणी हूं अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूं मैं अपने पति से मिलकर जल्दी ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी।’ शिकारी ने उसे भी जाने दिया l

दो बार शिकार को खोकर शिकारी चिंता में पड़ गया  अब रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था।तभी एक अन्य हिरनी अपने बच्चों के साथ वहां से निकली शिकारी ने अच्छा मौका पाकर तुरंत धनुष पर तीर चढ़ाया।वह तीर छोड़ने ही वाला था कि मृगी बोली,‘हे अपराधी!’ मैं इन बच्चों को इनके पिता के हवाले करके लौट आऊंगी . इस समय मुझे मत मारो
शिकारी हंसकर बोला- सामने आए शिकार को कैसे छोड़ दूं? मैं ऐसा मूर्ख नहीं मैं पहले ही दो बार अपना शिकार खो चुका हूँ ,मेरे बच्चे भूख-प्यास से तड़प रहे होंगे l
हिरनी ने फिर कहा,जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है,ठीक वैसे ही मुझे भी सता रही है सिर्फ बच्चों के नाम पर मैं थोड़ी देर के लिए जीवनदान मांग रही हूँ ,मेरा विश्वास करो मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर वापिस लौटने की प्रतिज्ञा करती हूँ l

शिकारी को उस पर दया आ गई उसने उस हिरनी को भी जाने दिये शिकार के अभाव में बेल-वृक्ष पर बैठा शिकारी बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था।सुबह होने को हुई तो एक हृष्ट-पुष्ट हिरन उसी रास्ते पर आया l
शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार किया जाये  शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर हिरन बड़े प्यार से विनीत स्वर में बोला- भाई! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन हिरनियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है,तो मुझे भी जल्दी से मार डालो, ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुःख न सहना पड़े मैं उन मृगियों का पति हूँ l

यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण का जीवन देने की कृपा करो  मैं उनसे मिलकर तुम्हारे सामने आ जाऊंगा l
हिरन की बात सुनते ही शिकारी के सामने पूरी रात का घटनाचक्र घूम गया,उसने सारी कथा हिरन को सुना दी l
तब हिरन ने कहा,‘मेरी तीनों पत्नियां जिस तरह प्रतिज्ञा में बंधकर गई हैं,अगर मेरी मृत्यु हो गई तो वे अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएंगी इसलिए जैसे तुमने उन पर विश्वास करके छोड़ा है, वैसे ही मुझे भी जाने दो मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने जल्दी ही उपस्थित होता हूँ  l

भूखे पेट(उपवास),पूरी रात जागने के बाद और शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया था उसमें भगवद् शक्ति का वास हो गया था धनुष तथा बाण उसके हाथ से अपने आप ही छूट गया। भगवान शिव की कृपा से उसका हिंसक हृदय करुणा से भर गया, वह अपने पुराने बुरे कर्मों को याद करके पश्चाताप की आग में जलने लगा,थोड़ी ही देर बाद वह हिरन पुरे परिवार के साथ शिकारी के सामने आ गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके,किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता,सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई l

उसके नेत्रों से आंसुओं की झड़ी लग गई,उस हिरन के परिवार को न मारकर शिकारी ने अपने कठोर हृदय को जीव हिंसा से हटा सदा के लिए कोमल एवं दयालु बना लिया,
देवता भी इस घटना को देखकर दंग रह गए ।देवी-देवताओं ने पुष्प-वर्षा की तब शिकारी तथा मृग परिवार मोक्ष को प्राप्त हुए l
जो भी इस शिवरात्रि को सच्चे मन से व्रत करता है और भगवान को याद करता है l
कोई गलत काम नहीं करता है भगवान शिव उसे मोक्ष प्रदान करते है l

🌷महाशिवरात्रि के व्रत की #विधि🌷🌷 

 भगवान शिव बहुत ही भोले हैं उनके शिवलिंग पर केवल और केवल एक लोटा जल चढाने से प्रसन्न हो जाते हैं l

सुबह जल्दी उठकर स्नान करके भगवान शिव के मंदिर जाकर शिवलिंग पर गंगा जल मिलाकर दूध या जल चढ़ाना चाहिए क्योंकि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को जल चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।

यदि सामर्थ्य हो तो शिवलिंग को पंचामृत से स्नान करवाना चाहिए और साथ-साथ पंचाक्षर मंत्र “
#ॐ_नमः_शिवाय” ..मन्त्र का जप करते रहे इस दिन भगवान शिव को बिल्व पत्र अर्पित करना चाहिए lभगवान शिव को बिल्व पत्र बेहद प्रिय हैं l
 शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को रुद्राक्ष, बिल्व पत्र,भांग,शिवलिंग और काशी अतिप्रिय हैं।

पंचाक्षर मन्त्र का पूरे दिन जप करना चाहिए l इस दिन लोगों से कम ही बात करके सारा दिन भगवान शिव के ध्यान और याद में गुजारना चाहिए l
रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा अर्चना करनी चाहिए। महामृत्युजंय मन्त्र का भी आप जप कर सकते हैं l जो इस प्रकार है —

#ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्! 
उर्वारुकमिव बन्‍धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात् ll

👉इस विधि से किए गए व्रत से जागरण,पूजा, उपवास तीनों पुण्य कर्मों का एक साथ पालन हो जाता है और भगवान शिव की विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है l रात्रि में भी भगवान शिव को जितना हो सके भगवान शिव का भजन, मन्त्र जाप,चिंतन और मनन करना है l
इस व्रत को श्रद्धा-विश्वास से करने पर भगवान शिव की कृपा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है l
मन से व्रत करने पर कन्याओं के विवाह की बाधा दूर होती है और उन्हें भगवान शिव के सामान श्रेष्ठ वर मिलता है l

भक्तों #विशेष_चेतावनी :-
 
बेल पत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं l
बेल पत्र के तीनों पत्ते पूरे हों ,टूटे न हों। इसका चिकना भाग शिवलिंग से स्पर्श करना चाहिए l
 नील कमल भगवान शिव का प्रिय पुष्प माना गया है l अन्य फूलों मे कनेर, आक, धतूरा, अपराजिता, चमेली, नाग केसर, गूलर आदि के फूल चढ़ाए जा सकते है l

जो पुष्प #वर्जित हैं वे हैं- 

कदंब, केवड़ा, केतकी...फूल ताजे हों बासी नहीं । इस दिन काले वस्त्र न पहनें ,इसमें तिल का तेल प्रयोग न करें पूजा में साबुत अक्षत ही चढाएं , टूटे चावल न चढ़ाएं शिवलिंग पर नारियल भी चढ़ा सकते हैं l

लेख पढ़ने के लिये धन्यवाद ll 

🌷जय श्री महाकाल🌷

🌷हर हर महादेव 🌷

 🌷ॐ नम:शिवाय 🌷

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