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बुधवार, 19 अक्तूबर 2022

डीएनए ( DNA ) में खुलासा : आर्य भारत के मूल निवासी हैं, बाहर से नहीं आए थे

*डीएनए ( DNA ) में खुलासा : आर्य भारत के मूल निवासी हैं, बाहर से नहीं आए थे*

*18 October 2022*
http://azaadbharat.org

*🚩आर्य मूलतः भारत के ही निवासी हैं, लेकिन राष्ट्रविरोधी ताकतों के इशारे पर वामपंथियों ने इतिहास ही बदल दिया । वामपंथी विदेश लूट के लिए भारत में आये । स्वयं को मूल निवासी और मूल निवासी को विदेशी बताने लगे, फिर ईसाई मिशनरियां जो विदेश से आईं वे भोले-भाले आदिवासियों को गुमराह करने लगीं कि, आप भारत के मूलनिवासी है और आर्य बाहर से आये हैं ऐसा बोलकर भारतवासियों को आपस में भिड़ाने लग गई ।*

*🚩आर्यों को लेकर कई दावे किए गए, लेकिन फिर भी सवाल ज्यों का त्यों रहा कि आर्य बाहर से आए थे या यहीं (भारत) के ही निवासी थे ? इस सवाल के जवाब में वामपंथियों ने कई दावे किए जिनका मकसद भारतीयों को शायद हीन साबित करना रहा हो, लेकिन अब इस सवाल का जवाब स्पष्ट नजर आने लगा है !*

*🚩राखीगढ़ी में हुई हड़प्पाकालीन सभ्यता की खुदाई-*

*🚩दरअसल, हरियाणा के हिसार जिले के राखीगढ़ी में हुई हड़प्पाकालीन सभ्यता की खोदाई में कई ऐतिहासिक राज का खुलासा किया गया है ! बता दें कि राखीगढ़ी में मिले 5000 साल पुराने कंकालों के डीएनए (DNA) टेस्ट के बाद जारी की गई रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि आर्य कहीं बाहर से नहीं आए , यहीं अर्थात भारत के ही के मूल निवासी थे ! डीएनए (DNA) स्टडी से यह भी खुलासा हुआ है कि, भारत के लोगों के जीन (पूर्वज) में पिछले हजारों सालों में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखने को मिला है।*


*🚩इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के एक अंश में यह दावा किया गया है कि, इस अध्ययन में सामने आया है कि, आर्य भारत के ही मूल निवासी थे ! इसे लेकर वैज्ञानिकों ने राखीगढी से प्राप्त नरकंकालों के अवशेषों का डीएनए (DNA) टेस्ट किया था। डीएनए (DNA) टेस्ट से स्पष्ट पता चला है कि, यह रिपोर्ट प्राचीन आर्यन्स की डीएनए (DNA) रिपोर्ट से मेल नहीं खाती है ! ऐसे में जाहिर आर्यों के बाहर से आने की थ्योरी ही गलत साबित होती है ! वैसे पहले भी कई इतिहासकारों का कहना था कि, वामपंथियों की आर्यन थ्योरी मनगढंत कल्पना पर आधारित है, जिसकी परतें इस नए शोध से उधेडती नजर आ रही हैं !*

*🚩रिसर्च में यह भी सामने आया है कि 9000 साल पहले भारत के लोगों ने ही कृषि की शुरुआत की थी। इसके बाद ये ईरान व इराक होते हुए पूरी दुनिया में पहुँची। भारत के विकास में यहीं के लोगों का योगदान है !*

*🚩यहाँ यह ध्यान देनेवाली बात है कि इतिहास के लिए तथ्य महत्वपूर्ण होते हैं, इन तथ्यों में भी वैज्ञानिक सबूतों का ज्यादा महत्व होता है ! राखीगढ़ी में मिले 5000 साल पुराने कंकालों के अध्ययन के बाद जारी की गई रिपोर्ट में ऐसी कई बातें सामने आई है जिनके अभी तक कयास ही लगाए जा रहे थे !*

*🚩राखीगढ़ी से प्राप्त कंकाल-*

*🚩बता दें कि, हिसार के राखीगढ़ी में हड़प्पा खोदाई का काम कर रहे पुणे के डेक्कन कॉलेज के पुरातत्वविदों के अनुसार, खोदाई के वक्त युवक के (कंकाल) का मुँह युवती के  (कंकाल) की तरफ था और यह पहली बार है कि, जब हडप्पा सभ्यता की खुदाई के दौरान किसी युगल की कब्र मिली है !*

*🚩यहाँ हैरानी की बात यह भी है कि, अब तक हड़प्पा सभ्यता से संबंधित कई कब्रिस्तानों की जाँच की गई थी लेकिन आज तक किसी भी युगल के इस तरह दफनाने का मामला सामने नहीं आया था !*

*🚩राखीगढी में खोदाई करनेवाले पुरातत्वविदों के अनुसार, युगल कंकाल का मुँह, हाथ और पैर सभी एक समान है ! इससे साफ है कि, दोनों को जवानी में एक साथ दफनाया गया था। बता दें के ये निष्कर्ष हाल ही में अंतरराष्ट्रीय पत्रिका, एसीबी जर्नल ऑफ अनैटमी और सेल बायॉलजी में प्रकाशित किए गए थे।*


*🚩इस नए शोध और प्रमाणों के साये में इतिहास को देखने और समझने की एक नई दृष्टि मिलती है ! और वामपंथियों की हीनता भरे इतिहास को एक चपत भी लगती है !*

*🚩बता दे कि राखीगढ़ी साइट की रिसर्च टीम के सदस्य और पुणो स्थित डेक्कन कॉलेज डीम्ड यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर प्रो. वसंत शदे और जेनेटिक साइंटिस्ट डॉ. नीरज राय ने बताया कि राखीगढ़ी हड़प्पा सभ्यता के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है। करीब 300 एकड़ में वर्ष-2015 में पुरातत्वविदों ने यहां खोदाई शुरू की थी।*


*🚩अध्ययन में पता चला कि अफगानिस्तान से अंडमान तक सभी का एक ही जीन है। करीब 12 हजार साल से संपूर्ण दक्षिण एशिया वासियों का एक ही जीन रहा है, यानी सबके एक ही पूर्वज रहे हैं। इससे आर्य के बाहर से आने की थ्योरी गलत साबित हो जाती है।*


*🚩शदे ने कहा, वह भारत सरकार से अनुरोध करेंगे कि इतिहास की पुस्तकों में इन नए  ओर सही तथ्यों को शामिल किया जाए।*

*🚩डॉ. नीरज राय ने बताया कि अगर आर्य बाहर से आए होते और नरसंहार किया होता तो वे अपनी संस्कृति लाते और हमारी संस्कृति को नष्ट कर देते। मानव कंकाल पर कहीं चोट या घाव के ऐसे निशान नहीं मिले हैं, जिनसे नरसंहार की बात साबित हो।*

*🚩प्रो. शदे ने बताया कि राखीगढ़ी में अलग-अलग आकार व आकृति के हवन कुंड व कोयले के अवशेष मिले हैं। इससे साबित होता है कि करीब 5 हजार साल पहले भी भारत में हवन होता था। सरस्वती नदी के किनारे भी हड़प्पा सभ्यता के निशान मिले हैं ।*
 https://www.youtube.com/watch?v=IMfVN97XQlM

*🚩आर्य न तो विदेशी थे और न ही उन्होंने कभी भारत पर आक्रमण किया। आर्य भारत के मूल निवासी थे। बस वामपंथियों ने गलत इतिहास लिखा इसके कारण देशवासी गुमराह हुए।*


*🚩हे हिन्दुओ! एक रहो,क्योंकि  राष्ट्रविरोधी ताकतें शाम-दाम-दंड की नीति अपनाकर आपसी में गृहयुद्ध करवाना चाहती है और देश की सत्ता हथियाना चाहती है इससे सावधान रहना।*


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