यह थे पण्डित
#श्रीराममंदिर_रक्षक_पण्डित_देवीदीन_पाण्डे
पंडित देवीदीन जो सनेथू गांव अयोध्या के रहने वाले थे, जिनका जन्म सर्यूपारीण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वो एक कर्मकांडी पुरोहित थे लेकिन जब मुग़ल सेना राममंदिर को ध्वस्त करने के उद्देश्य से अयोध्या की ओर बढ़ी तब पण्डित देवीदीन पाण्डे ने पुरोहित का कार्य त्यागकर आसपास के ब्राह्मणों व क्षत्रियों को लेकर बाबर सेना के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए हथियार उठा लिया और मीर बाकी के नेतृत्व वाली मुगल सेना से युद्ध किया।
ये युद्ध इतना विकराल था की युद्ध करते समय पण्डित जी ने ७०० मुगलों को अपने हाथों से काट डाला। एक मुगल सैनिक ने पण्डित जी के पीछे आकर तलवार से ऐसा वार किया कि वह तलवार पण्डित जी का ऊपरी सर काटते हुए आर-पार हो गई और उनका सिर दो भागों में फट कर खुल गया। लेकिन उन्होंने अपने गमछे से सर को बांधकर लड़ाई लड़नी शुरू कर दी और अंत में मुगल सैनिकों द्वारा एक के बाद एक किये गए वार से वे काफी घायल हुए और वहीं पर वीरगति को प्राप्त हुए !
सेनापति देवीदीन के वीरगति प्राप्त हो जाने के बाद मुगल सेना जीत गई ! पण्डित जी ने अपने जीवित रहते श्रीराममंदिर को आंच नहीं आने दी
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