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बुधवार, 11 सितंबर 2024

गणेश जी को कभी भी विदा नहीं करना चाहिए*

*गणेश जी को कभी भी विदा नहीं करना चाहिए* 

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क्योंकि विघ्न हरता ही अगर विदा हो गए तुम्हारे विघ्न कौन हरेगा।

क्या कभी सोचा है गणेश प्रतिमा का विसर्जन क्यों?  

अधिकतर लोग एक दूसरे की देखा देखी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं, और 3 या 5 या 7 या 11 दिन की पूजा के उपरांत उनका विसर्जन भी करेंगे। 

आप सब से निवेदन है कि आप।गणपति की स्थापना करें पर विसर्जन नही विसर्जन केवल महाराष्ट्र में ही होता हैं क्योंकि गणपति वहाँ एक मेहमान बनकर गये थे, वहाँ लाल बाग के राजा कार्तिकेय ने अपने भाई गणेश जी को अपने यहाँ बुलाया और कुछ दिन वहाँ रहने का आग्रह किया था जितने दिन गणेश जी वहां रहे उतने दिन माता लक्ष्मी और उनकी पत्नी रिद्धि व सिद्धि वहीँ रही इनके रहने से लाल बाग धन धान्य से परिपूर्ण हो गया, तो कार्तिकेय जी ने उतने दिन का गणेश जी को लालबाग का राजा मानकर सम्मान दिया यही पूजन गणपति उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा। 

अब रही बात देश की अन्य स्थानों की तो गणेश जी हमारे घर के मालिक हैं और घर के मालिक को कभी विदा नही करते वहीं अगर हम गणपति जी का विसर्जन करते हैं तो उनके साथ लक्ष्मी जी व रिद्धि सिद्धि भी चली जायेगी तो जीवन मे बचा ही क्या। जहां मूर्तियों का विषर्जन होता है वहां समस्या ज्यादा होती है चाहे वेस्ट बंगाल,(काली मां का विषर्जन) हो या महराष्ट्र हो।

हम बड़े शौक से कहते हैं *गणपति बाप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ* इसका मतलब हमने एक वर्ष के लिए गणेश जी लक्ष्मी जी आदि को जबरदस्ती पानी मे बहा दिया, तो आप खुद सोचो कि आप किस प्रकार से नवरात्रि पूजा करोगे, किस प्रकार दीपावली पूजन करोगे और क्या किसी भी शुभ कार्य को करने का अधिकार रखते हो जब आपने उन्हें एक वर्ष के लिए भेज दिया। 

इसलिए गणेश जी की स्थापना करें पर विसर्जन कभी न करे। 

बाहुबली गणेश , सेल्फ़ी लेते हुए स्कूटर चलाते हुए ऑटो चलाते हुए बॉडी बिल्डर बाहुबली सिक्स पैक या अन्य किसी प्रकार के अभद्र स्वरुप में गणेश जी को बिठाने का कोई औचित्य नहीं है सनातन धर्म की हँसी उड़ाई जा रही है..
*अपने धर्म का मज़ाक न उड़ायें*
         *ओर सभी से निवेदन है कि सही सकारात्मक positive शाश्त्र, साइंस,गणित से प्रमाणित ही गणेश जी की मूर्ति घर मे रखे और उसकी हमेसा पूजा करे विषर्जन का मतलब होता है उसको स्नान साफ कर के पुनः स्थापित कर देवे ओम एकदंताय नमो नमःजय सियाराम जय श्री कृष्णा*
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