यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025

भगवती के ५१ प्रमुख शक्तिपीठ

*॥ ॐ दुं दर्गायॆ नम: ॥*

*॥ भगवती के ५१ प्रमुख शक्तिपीठ ॥*

*1. किरीट कात्यायनी:-*
पश्चिमी बंगाल में हुगली नदी के तट पर लालबाग कोट स्थित शक्तिपीठ, जहां सती का किरीट यानी "मुकुट" गिरा था।

*2. कात्यायनी वृंदावन: -*
मथुरा के भूतेश्वर में स्थित है कात्यायनी वृंदावन शक्तिपीठ, जहां सती के "केशपाश" गिरे थे।

*3. नैनादेवी: -*
पाकिस्तान के सक्खर स्टेशन के निकट शर्कररे और हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर स्थित नैनादेवी मन्दिर स्थलों पर सती के "नेत्र" गिरे थे।

*4. श्रीपर्वत शक्तिपीठ: -*
इस शक्तिपीठ को लेकर लोगों में मतांतर है। कुछ लोग मानते हैं कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, जबकि कुछ कहते हैं कि यह असम के सिलहट में है जहां माता सती की "कनपटी गिरी" थी।

*5. विशालाक्षी शक्तिपीठ: -*
वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर स्थित इस शक्तिपीठ पर माता सती के "दाहिने कान के मणि" गिरे थे।

*6. गोदावरी तट शक्तिपीठ: -*
आन्ध्र प्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर स्थित इस शक्तिपीठ में माता का " गाल" गिरा था।

*7. शुचीन्द्रम शक्तिपीठ: -*
कन्याकुमारी के त्रिसागर संगम स्थल पर है शुचि शक्तिपीठ, जहां सती के "दांत" गिरे थे।

*8. पंच सागर शक्तिपीठ: -*
इस शक्तिपीठ का कोई तय स्थान ज्ञात नहीं है। यहां माता के "नीचे के दांत गिरे" थे।

*9. ज्वालादेवी शक्तिपीठ:-*
हिमाचल प्रदेश के कांगडा स्थित शक्तिपीठ, "जिह्वा गिरी" थी।

*10. भैरव पर्वत शक्तिपीठ: -*
मध्य प्रदेश के उज्जैन के निकट क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित इस शक्तिपीठ में माता का "ऊपर का होंठ गिरा" था।

*11. अट्टहास शक्तिपीठ: -*
यह शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के लाबपुर में स्थित है। यहां माता का "निचला होंठ" गिरा था।

*12. जनस्थान शक्तिपीठ: -*
महाराष्ट्र में नासिक स्थित पंचवटी के इस शक्तिपीठ में माता की "ठुड्डी" गिरी थी।

*13. कश्मीर शक्तिपीठ:-*
जम्मू कश्मीर के अमरनाथ स्थित इस शक्तिपीठ में माता का "कंठ" गिरा था।

*14. नन्दीपुर शक्तिपीठ:-*
पश्चिम बंगाल के सैन्थया स्थित इस पीठ में देवी की देह का "कंठहार गिरा" था।

*15. श्रीशैल शक्तिपीठ: -*
आन्ध्र प्रदेश के कुर्नूल के पास है श्रीशैल शक्तिपीठ, जहां माता का "गाल गिरा" था।

*16. नलहरी शक्तिपीठ: -*
पश्चिम बंगाल के बोलपुर में माता की "उदरनली गिरी" थी।

*17. मिथिला शक्तिपीठ: -*
भारत और नेपाल सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के पास बने इस शक्तिपीठ में माता का "वाम स्कंध" गिरा था।

*18. रावली शक्तिपीठ: -*
चेन्नई में कहीं स्थित है रावली शक्तिपीठ, जहां माता का "दक्षिण स्कंध" गिरने का जिक्र आता है।

*19. अम्बाजी शक्तिपीठ:-*
गुजरात जूनागढ के गिरनार पर्वत के प्रथत शिखर पर देवी अम्बिका का विशाल मन्दिर है, जहां माता का "उदर" गिरा था।

*20. जालंधर शक्तिपीठ: -*
पंजाब के जालंधर में स्थित है माता का जालंधर शक्तिपीठ। यहां माता का "बायां स्तन" गिरा था।

*21. रामागिरि शक्तिपीठ: -*
कुछ लोग इसे चित्रकूट तो कुछ मध्य प्रदेश के मैहर में मानते हैं, जहां माता का "दाहिना स्तन गिरा" था।

*22. बैद्यनाथ हार्द शक्तिपीठ: -*
झारखण्ड के देवघर स्थित शक्तिपीठ में माता का "हृदय" गिरा था। मान्यता है कि यहीं पर सती का दाह-संस्कार भी हुआ था।

*23. बक्रेश्वर: -*
बीरभूम, पश्चिम बंगाल के पापहर नदी से सात किलोमीटर दूर स्थित इस शक्तिपीठ में सती का "भ्रूमध्य" गिरा था।

*24. कण्यकाश्रम: -*
तमिलनाडु के कन्याकुमारी के तीन सागरों- हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाडी के संगम पर स्थित है कण्यकाश्रम शक्तिपीठ, जहां माता की "पीठ गिरी" थी।

*25. बहुला शक्तिपीठ:-*
पश्चिम बंगाल के कटवा जंक्शन के निकट केतुग्राम में स्थित है बहुला शक्तिपीठ, जहां माता की "बायीं भुजा गिरी" थी।

*26. उज्जयिनी शक्तिपीठ:-*
उज्जैन की पावन क्षिप्रा के दोनों तटों पर स्थित है उज्जयिनी हरसिद्धी शक्तिपीठ, जहां माता की "कुहनी गिरी" थी।

*27. मणिवेदिका शक्तिपीठ:-*
राजस्थान के पुष्कर में स्थित है यह शक्तिपीठ, इसे गायत्री मन्दिर के नाम से जाना जाता है। यहां माता की "कलाईयां" गिरी थीं।

*28. ललितादेवी शक्तिपीठ:-*
प्रयाग (इलाहाबाद) स्थित ललितादेवी शक्तिपीठ में माता के "हाथ की अंगुलियां" गिरी थीं।

*29. उत्कल पीठ:-*
उडीसा के पुरी में है, जहां माता की "नाभि गिरी" थी।

*30. कांची शक्तिपीठ:-*
तमिलनाडु के कांचीवरम में माता का "कंकाल" गिरा था।

*31. कमलाधव: -*
अमरकंटक, मध्य प्रदेश के सोन तट पर "बायां नितम्ब गिरा" था।

*32. शोण शक्तिपीठ: -*
मध्य प्रदेश के अमरकंटक का नर्मदा मन्दिर ही शोण शक्तिपीठ है। यहां माता का "दायाँ नितम्ब" गिरा था।

*33. कामरूप कामाख्या:-*
असम, गुवाहाटी के कामगिरि पर "योनि गिरी" थी।

*34. जयंती शक्तिपीठ: -*
मेघालय के जयंतिया पर वाम "जंघा गिरी" थी।

*35. मगध शक्तिपीठ: -*
पटना में स्थित पटनेश्वरी देवी को ही शक्तिपीठ माना जाता है। यहां माता का "दाहिनी जंघा" गिरी थी।

*36. त्रिस्तोता शक्तिपीठ:-*
पश्चिम बंगाल के जलपाईगुडी के शालवाडी गांव में तीस्ता नदी पर माता का "वाम पाद" गिरा था।

*37. त्रिपुरा सुन्दरी शक्तिपीठ:-*
त्रिपुरा के राधकिशोर गांव में स्थित है त्रिपुरा सुन्दरी शक्तिपीठ, जहां माता का "दक्षिण पाद" गिरा था।

*38. विभाष शक्तिपीठ: -*
पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के ताम्रलुक गांव में स्थित है विभाष शक्तिपीठ, जहां माता का "वाम टखना" गिरा था।

*39. देवीकूप पीठ कुरुक्षेत्र: -*
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जंक्शन के निकट द्वैपायन सरोवर के पास स्थित है यह शक्तिपीठ। इसे श्रीदेवीकूप
(भद्रकाली पीठ) भी कहा जाता है। यहां माता का "दाहिना चरण" गिरा था।

*40. युगाद्या शक्तिपीठ (क्षीरग्राम शक्तिपीठ): -*
पश्चिम बंगाल के बर्दमान में क्षीरग्राम स्थित शक्तिपीठ, जहां सती के "दाहिने चरण का अंगूठा" गिरा था।

*41. विराट का अम्बिका शक्तिपीठ: -*
जयपुर के वैराट ग्राम में स्थित है विराट शक्तिपीठ, जहां माता की "बायें पैर की अंगुलियां" गिरी थीं।

*42. काली शक्तिपीठ:-*
कोलकाता के कालीघाट नाम से यह शक्तिपीठ, जहां माता के "दायें पांव का अंगूठा छोडकर चार अन्य अंगुलियां" गिरी थीं।

*43. मानस शक्तिपीठ: -*
तिब्बत के मानसरोवर तट पर स्थित है मानस शक्तिपीठ, जहां माता की "दाहिनी हथेली" गिरी थी।

*44. लंका शक्तिपीठ:-*
लंका शक्तिपीठ, जहां माता की "पायल" गिरी थी।

*45. गंडकी शक्तिपीठ: -*
नेपाल में गंडक नदी के किनारे "कपोल" गिरा था.

*46. गुहेश्वरी शक्तिपीठ:-*
नेपाल के काठमांडू में पशुपतिनाथ मन्दिर के पास ही स्थित है गुहेश्वरी शक्तिपीठ, जहां माता सती के "दोनों घुटने" गिरे थे।

*47. हिंगलाज शक्तिपीठ: -*
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में माता का "सिर" गिरा था।

*48. सुगंध शक्तिपीठ:-*
बांग्लादेश के खुलना में "नासिका" गिरी थी।

*49. करतोयतत शक्तिपीठ: -*
बांग्लादेश भवानीपुर के बेगडा में करतोयतत के तट पर माता की "बायीं पायल" गिरी थी।

*50. चट्टल शक्तिपीठ:-*
बांग्लादेश के चटगांव में स्थित है चट्टल का भवानी शक्तिपीठ, जहां माता की "दाहिनी भुजा" गिरी थी।

*51. यशोरेवरी शक्तिपीठ:-*
बांग्लादेश के जैसोर खुलना में स्थित है माता का प्रसिद्ध यशोरेवरी शक्तिपीठ, जहां माता की "बायीं हथेली" गिरी थी।।
सौजन्य:-

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

function disabled

Old Post from Sanwariya