यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 21 सितंबर 2013

जायफल : उपयोगी जड़ी-बूटी

जायफल : उपयोगी जड़ी-बूटी
जायफल के नाम से अधिकांश लोग परिचित हैं, लेकिन इसका उपयोग औषधि के रूप में सिर्फ रोगियों द्वारा ही किया जाता है। इसका वृक्ष ज्यादातर जावा, सुमात्रा, मलेशिया आदि द्वीपों में और न्यून मात्रा में दक्षिण भारत व श्रीलंका में पैदा होता है।

भारत में इसकी पूर्ति आयात करके की जाती है। इस फल का छिलका सूखकर अलग हो जाता है, उसे जातिपत्री या जावित्री कहते हैं। यह छिलका भी बहुत उपयोगी होता है।

अनेक भाषाओं में इसके नाम अलग हैं, जैसे संस्कृत- जातिफल। हिन्दी- जायफल। मराठी, गुजराती, बंगला- जायफल। तेलुगू- जाजिकाया। तामिल- जाजिकई। कन्नड़- जाईफल। मलयालम- जाजिकाई। फारसी- जौजबुया। इंगलिश- नट मेघ। लैटिन- मिरिस्टिका फ्रेगरेन्स।

गुण : जायफल रस में कड़वा, तीक्ष्ण, गरम, रुचिकारक, हलका, चटपटा, अग्नि दीपक ग्राही, स्वर को हितकारी, कफ तथा वात को नष्ट करने वाला, मुख का फीकापन दूर करने वाला, मल की दुर्गन्ध व कालिमा तथा कृमि, खांसी, वमन, श्वास, शोष, पीनस और हृदय रोग दूर करने वाला है। जायफल का तेल उत्तेजक, बल्य और अग्निप्रदीपक होता है और जीर्ण अतिसार, आध्यमान, आक्षेप, शूल, आमवात, दांतों से पस आना और वृण (घाव) आदि व्याधियों को नष्ट करने वाला वाजीकारक है।

आमाशय के लिए उत्तेजक होने से आमाशय में पाचक रस बढ़ता है, जिससे भूख लगती है। आंतों में पहुंचकर वहां से वायु हटाता है। ज्यादा मात्रा में यह मादक प्रभाव करता है। इसका प्रभाव मस्तिष्क पर कपूर के समान होता है, जिससे चक्कर आना, प्रलाप आदि लक्षण प्रकट होते हैं।

परिचय : जायफल के वृक्ष की कई जातियां होती हैं, जिनमें से कुछ जातियां भारत में पाई जाती हैं। मलयद्वीप में इसके वृक्ष 70-80 फुट तक ऊंचे होते हैं। इन वृक्षों में नर और मादा के वृक्ष अलग-अलग होते हैं। भारत में इसकी पैदावार बंगाल, नीलगिरि, त्रावणकोर, मलाबार में होती है। इसका वृक्ष सदा हरा बना रहता है। जायफल लम्बा, गोल होता है जो देशभर में पंसारी या किराना दुकान पर मिलता है।

जायफल

उपयोग : शोथ हर, वेदना नाशक, वातशामक और कृमिनाशक होने से स्नायविक संस्थान के लिए उपयोगी होता है तथा रोचक, दीपक, पाचक, यकृत को सक्रिय करने वाला और ग्राही होने से पाचन संस्थान के लिए उपयोगी होता है। अनिद्रा, शूल, अग्निमांद्य, कास (खाँसी), श्वास, हिचकी, शीघ्रपतन और नपुंसकता आदि व्याधियाँ दूर करने में उपयोगी होता है। इसके चूर्ण और तेल को उपयोग में लिया जाता है।

त्वचा की झाइयाँ : पत्थर पर पानी के साथ जायफल को घिसें और लेप तैयार कर लें। इस लेप को नेत्रों की पलकों पर और नेत्रों के चारों तरफ लगाने से नेत्र ज्योति बढ़ती है, चेहरे की त्वचा की झाइयाँ और धब्बे आदि दूर होते हैं। लगातार कुछ दिनों तक लेप लगाना चाहिए।

दूध पाचन : शिशु का दूध छुड़ाकर ऊपर का दूध पिलाने पर यदि दूध पचता न हो तो दूध में आधा पानी मिलाकर, इसमें एक जायफल डालकर उबालें। इस दूध को थोडा ठण्डा करके कुनकुना गर्म, चम्मच कटोरी से शिशु को पिलाएँ, यह दूध शिशु को हजम हो जाएगा।

जोड़ों का दर्द : शरीर के जोड़ों में दर्द होना गठिया यानी सन्धिवात रोग का लक्षण होता है। गठिया के अलावा चोट, मोच और पुरानी सूजन के लिए जायफल और सरसों के तेल के मिलाकर मालिश करने से आराम होता है। इसकी मालिश से शरीर में गर्मी आती है, चुस्ती फुर्ती आती है और पसीने के रूप में विकार निकल जाता है।

कच्चा जायफल

उदर शूल : पेट में दर्द हो, आद्यमान हो तो जायफल के तेल की 2-3 बूँद शकर में या बताशे में टपकाकर खाने से फौरन आराम होता है। इसी तरह दाँत में दर्द होने पर जायफल के तेल में रूई का फाहा डुबोकर इसे दाँत-दाढ़ के कोचर में रखने से कीड़े मर जाते हैं और दर्द दूर हो जाता है। इस तेल में वेदना स्थापना करने का गुण होता है, इसलिए यह तेल उस अंग को थोड़े समय के लिए संज्ञाशून्य कर देता है और दर्द का अनुभव होना बन्द हो जाता है।

जायफल को खाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इससे ना सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाया जा सकता है बल्कि कई छोटी-मोटी समस्याओं से भी निजात पाई जा सकती हैं। आयुर्वेद में जायफल का बहुत महत्व है। जायफल आपकी पेट संबंधी समस्याओं को दूर करता है। क्या आप जानते हैं जायफल त्वचा के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।

त्वचा में निखार पाने के लिए जायफल का उपयोग किया जाता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि जायफल से त्वचा पर निखार पाने के लिए क्या करें। जायफल का प्रयोग त्वचा के लिए कैसे करें। यह भी जानना जरूरी है कि क्या सचमुच जायफल लाभकारी है त्वचा के लिए। आइए जानें जायफल त्वचा के लिए कितना किफायती है।

जायफल के त्वचा के लिए लाभ

जायफल के इस्तेमाल से त्वचा पर पड़ने वाली झाईयों से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है।
जायफल से ही त्वचा पर पड़ने वाले दाग-धब्बों से निजात पाई जा सकती है।
यदि आप चाहते हैं कि आपकी आंखों के नीचे काले घेरे ना पड़े और आपकी आंखों की रोशनी भी तेज हो जाए तो आपको जायफल का इस्तेमाल करना चाहिए।
धूप में या फिर उम्र के साथ चेहरे और शरीर के विभिन्न हिस्सों में झुर्रियां पड़ सकती हैं। यदि आप चाहते हैं कि झुर्रियां चेहरे और त्वचा पर ना पड़े तो आपको जायफल का इस्तेमाल करना चाहिए।

जायफल का इस्तेमाल

चेहरे पर या फिर त्वचा पर पड़ी झाईयों को हटाने के लिए आपको जायफल को पानी के साथ पत्थर पर घिसना चाहिए। घिसने के बाद इसका लेप बना लें और इस लेप का झाईयों की जगह पर इस्तेमाल करें, इससे आपकी त्वचा में निखार भी आएगा और झाईयों से भी निजात मिलेगी।
चेहरे की झुर्रियां मिटाने के लिए आप जायफल को पीस कर उसका लेप बनाकर झुर्रियों पर एक महीने तक लगाएंगे तो आपको जल्द ही झुर्रियों से निजात मिलेगी।
आंखों के नीचे काले घेरे हटाने के लिए रात को सोते समय रोजाना जायफल का लेप लगाएं और सूखने पर इसे धो लें। कुछ समय बाद काले घेरे खुद-ब-खुद हट जाएंगे।
अनिंद्रा का स्‍वास्‍थ्‍य पर बुरा असर पड़ता है और इसका त्वचा पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। त्वचा को तरोताजा रखने के लिए भी जायफल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आपको रोजाना जायफल का लेप अपनी त्वचा पर लगाना होगा। फिर आपकी अनिंद्रा की शिकायत भी दूर होगी और त्वचा भी तरोजाता रहेगी।
कई बार त्वचा पर कुछ चोट के निशान रह जाते हैं तो कई बार त्वचा पर नील और इसी तरह के घाव पड़ जाते हैं। यदि आप इस तरह के घावों से निजात पाना चाहते हैं तो आपको चाहिए कि आप जायफल में सरसों का तेल मिलाकर मालिश करें। जहां भी आपकी त्वचा पर पुराने निशान हैं रोजाना मालिश से कुछ ही समय में वे हल्के होने लगेंगे। जायफल से मालिश से रक्त का संचार भी होगा और शरीर में चुस्ती-फुर्ती भी बनी रहेगी।
आप चाहे तो जायफल के लेप के बजाय जायफल के तेल का भी इस्ते‍माल कर सकते हैं।

ये जायफल का पेड़ है
इसके पत्ते हरे -पीले रंग के अंडाकार और चिकने होते हैं.फूल सफ़ेद रंग के घंटियों के आकार के होते हैं. जायफल का पेड़ सुन्दर और विशाल होता है. जायफल का रासायनिक संग्थ्हन बहुत टिपिकल है- इसके फल में जिरानियाल, यूजीनोल, सैफ्रोल, आइसोयूजिनोल, फैटिक एसिड, लोरिक एसिड, आलिक एसिड, लिनोलिल एसिड, स्टीयारिक एसिड, मियारीस्टिक एसिड,मिरीस्टिक एसिड, पामिटिक एसिड, उड़नशील तेल,स्थिर तेल आदि तत्व पाए जाते हैं.इसी कारण जायफल का एक ग्राम चूर्ण बड़ी तेज काम करता है.

यह एक जायफल अनेक बीमारियों की दवा है-
** सर में बहुत तेज दर्द हो रहा हो तो बस जायफल को पानी में घिस कर लगाएं.
** सर्दी के मौसम के दुष्प्रभाव से बचने के लिए जायफल को थोड़ा सा खुरचिये, चुटकी भर कतरन हो जाए तो उसे मुंह में रखकर चूसते रहिये.यह काम आप पूरे जाड़े भर एक या दो दिन के अंतराल पर करते रहिये.
** आपको किन्हीं कारणों से भूख न लग रही हो तो चुटकी भर जायफल की कतरन चूसिये इससे पाचक रसों की वृद्धि होगी और भूख बढ़ेगी ,भोजन भी अच्छे तरीके से पचेगा.
** दस्त आ रहे हों या पेट दर्द कर रहा हो तो जायफल को भून लीजिये और उसके चार हिस्से कर लीजिये एक हिस्सा मरीज को चूस कर खाने को कह दीजिये .सुबह शाम एक-एक हिस्सा खिलाएं.
** फालिज का प्रकोप जिन अंगों पर हो उन अंगों पर जायफल को पानी में घिस कर रोज लेप करना चाहिए ,दो माह तक ऐसा करने से अंगों में जान आ जाने की ८० % संभावना देखी गयी है.
** प्रसव के बाद अगर कमर दर्द नहीं ख़त्म हो रहा है तो जायफल पानी में घिस कर कमर पे सुबह शाम लगाएं ,एक सप्ताह में ही दर्द गायब हो जाएगा.
** पैरों में जाड़े में बिवाई खूब फटती है, ऐसे समय ये जायफल बड़ा काम आता है ,इसे महीन पीस कर बीवाइयों में भर दीजिये.१२-१५ दिन में ही पैर भर जायेंगे.
** जायफल के चूर्ण को शहद के साथ खाने से ह्रदय मज़बूत होता है. पेट भी ठीक रहता है.
** अगर कान के पीछे कुछ ऎसी गांठ बन गयी हो जो छूने पर दर्द करती हो तो जायफल को पीस कर वहां लेप कीजिए जब तक गाठ ख़त्म न हो जाए, करते रहिये.
** अगर हैजे के रोगी को बार-बार प्यास लग रही है तो जायफल को पानी में घिस कर उसे पिला दीजिये.
** जी मिचलाने की बीमारी भी जायफल को थोड़ा सा घिस कर पानी में मिला कर पीने से नष्ट हो जाती है.
** इसे थोडा सा घिस कर काजल की तरह आँख में लगाने से आँखों की ज्योति बढ़ जाती है.और आँख की खुजली और धुंधलापन ख़त्म हो जाता है.
** यह शरीर की स्वाभाविक गरमी की रक्षा करता है ,इसलिए ठंड के मौसम में इसे जरूर प्रयोग करना चाहिए.
** यह कामेन्द्रिय की शक्ति भी बढाता है.
** जायफल आवाज में सम्मोहन भी पैदा करता है.
** जायफल और काली मिर्च और लाल चन्दन को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की चमक बढ़ती है,मुहांसे ख़त्म होते हैं.
** किसी को अगर बार-बार पेशाब जाना पड़ता है तो उसे जायफल और सफ़ेद मूसली २-२ ग्राम की मात्र में मिलाकर पानी से निगलवा दीजिये ,दिन में एक बार ,खाली पेट, १० दिन लगातार.
** बच्चों को सर्दी-जुकाम हो जाए तो जायफल का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में लीजिये फिर ३ चुटकी इस मिश्रण को गाय के घी में मिलाकर बच्चे को कहता दीजिये. सुबह शाम चटायें.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya