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कुछ बुद्धिहीन लिखते है कि हिंदू शब्द की उत्पत्ति १७ वीं शताब्दी में हुई है. उदहारण के रूप में नेहरू कि डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं. नेहरू की वह पुस्तक नेहरू की तरह झूंठ का पुलिंदा है. नेहरू अपने आप में कितना झूठा व हिंदू विरोधी था यह सच आज सबके सामने खुलता जा रहा है.
हिंदू शब्द भारतीय विद्दवानो के अनुसार कम से कम ४००० वर्ष पुराना है. शब्द कल्पद्रुम : जो कि लगभग दूसरी शताब्दी में रचित है, में मन्त्र है.............
"हीनं दुष्यति इतिहिंदू जाती विशेष:" (अर्थात हीन कर्म का त्याग करने वाले को हिंदू कहते है.)
इसी प्रकार अदभुत कोष में मन्त्र आता है ......
"हिंदू: हिन्दुश्च प्रसिद्धौ दुशतानाम च विघर्षने". (अर्थात हिंदू और हिंदु दोनों शब्द दुष्टों को नष्ट करने वाले अर्थ में प्रसिद्द है.)
वृद्ध स्म्रति (छठी शताब्दी)में मन्त्र है,....................... ....
"हिंसया दूयते यश्च सदाचरण तत्पर:
वेद्.........हिंदु मुख शब्द भाक्। "
अर्थात जो सदाचारी वैदिक मार्ग पर चलने वाला, हिंसा से दुख मानने वाला है, वह हिंदु है।
ब्रहस्पति आगम (समय ज्ञात नही) में श्लोक है,....................... .........
"हिमालय समारभ्य यवाद इंदु सरोवं, तं देव निर्वितं देशम हिंदुस्थानम प्रच्क्षेत."
(अर्थात हिमालय पर्वत से लेकर इंदु(हिंद) महासागर तक देव पुरुषों द्बारा निर्मित इस छेत्र को हिन्दुस्थान कहते है.)
पारसी समाज के एक अत्यन्त प्राचीन ग्रन्थ में लिखा है कि, "अक्नुम बिरह्मने व्यास नाम आज हिंद आमद बस दाना कि काल चुना नस्त" (अर्थात व्यास नमक एक ब्र्हामन हिंद से आया जिसके बराबर कोई अक्लमंद नही था.)
इस्लाम के पैगेम्बर मोहम्मद साहब से भी १७०० वर्ष पुर्व लबि बिन अख्ताब बिना तुर्फा नाम के एक कवि अरब में पैदा हुए, उन्होंने अपने एक ग्रन्थ में लिखा है,....................... .....
"अया मुबार्केल अरज यू शैये नोहा मिलन हिन्दे. व अरादाक्ल्लाह मन्योंज्जेल जिकर्तुं..
(अर्थात हे हिंद कि पुन्य भूमि! तू धन्य है,क्योंकि ईश्वर ने अपने ज्ञान के लिए तुझे चुना है.)
१० वीं शताब्दी के महाकवि वेन .....अटल नगर अजमेर,अटल हिंदव अस्थानं.
महाकवि चन्द्र बरदाई....................ज ब
हिंदू दल जोर छुए छूती मेरे धार भ्रम. जैसे हजारो तथ्य चीख-चीख कर कहते है
की हिंदू शब्द हजारों-हजारों वर्ष पुराना है. इन हजारों तथ्यों के अलावा
भी लाखों तथ्य इस्लाम के लूटेरों ने तक्षशिला व नालंदा जैसे विश्व
-विद्यालयों को नष्ट करके समाप्त कर दिए. इसलिए मेरा आप सब से अनुरोध है कि
तुम किसी अध्यनहीन व बुद्धिहीन व्यक्ति की ग़लत जानकारी को सच न माने.
हिंदू धर्म की बुराई करो और अपने को हिंदू कहो, ऐसा करने से कोई हिंदू नही
बन जाता. जो लोग जवाहर लाल नेहरु को इतिहासकार मानते हैं, उनकी बुद्धि पर
तरस आता है. वह प्रसिद्ध, चतुर राजनेता थे जिन्होंने गाँधी पर जादू किया
खादी पहनी और सभी सुख भोगे.
"जय माँ भारती " "वन्दे मातरम"
धर्मो रक्षति रक्षितः ॥ धर्मधारित हिंदू राष्ट्रकी स्थापना हेतू ॥
॥ जय श्री राम ॥ जयतु हिंदूराष्ट्र ॥
कुछ बुद्धिहीन लिखते है कि हिंदू शब्द की उत्पत्ति १७ वीं शताब्दी में हुई है. उदहारण के रूप में नेहरू कि डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं. नेहरू की वह पुस्तक नेहरू की तरह झूंठ का पुलिंदा है. नेहरू अपने आप में कितना झूठा व हिंदू विरोधी था यह सच आज सबके सामने खुलता जा रहा है.
हिंदू शब्द भारतीय विद्दवानो के अनुसार कम से कम ४००० वर्ष पुराना है. शब्द कल्पद्रुम : जो कि लगभग दूसरी शताब्दी में रचित है, में मन्त्र है.............
"हीनं दुष्यति इतिहिंदू जाती विशेष:" (अर्थात हीन कर्म का त्याग करने वाले को हिंदू कहते है.)
इसी प्रकार अदभुत कोष में मन्त्र आता है ......
"हिंदू: हिन्दुश्च प्रसिद्धौ दुशतानाम च विघर्षने". (अर्थात हिंदू और हिंदु दोनों शब्द दुष्टों को नष्ट करने वाले अर्थ में प्रसिद्द है.)
वृद्ध स्म्रति (छठी शताब्दी)में मन्त्र है,.......................
"हिंसया दूयते यश्च सदाचरण तत्पर:
वेद्.........हिंदु मुख शब्द भाक्। "
अर्थात जो सदाचारी वैदिक मार्ग पर चलने वाला, हिंसा से दुख मानने वाला है, वह हिंदु है।
ब्रहस्पति आगम (समय ज्ञात नही) में श्लोक है,.......................
"हिमालय समारभ्य यवाद इंदु सरोवं, तं देव निर्वितं देशम हिंदुस्थानम प्रच्क्षेत."
(अर्थात हिमालय पर्वत से लेकर इंदु(हिंद) महासागर तक देव पुरुषों द्बारा निर्मित इस छेत्र को हिन्दुस्थान कहते है.)
पारसी समाज के एक अत्यन्त प्राचीन ग्रन्थ में लिखा है कि, "अक्नुम बिरह्मने व्यास नाम आज हिंद आमद बस दाना कि काल चुना नस्त" (अर्थात व्यास नमक एक ब्र्हामन हिंद से आया जिसके बराबर कोई अक्लमंद नही था.)
इस्लाम के पैगेम्बर मोहम्मद साहब से भी १७०० वर्ष पुर्व लबि बिन अख्ताब बिना तुर्फा नाम के एक कवि अरब में पैदा हुए, उन्होंने अपने एक ग्रन्थ में लिखा है,.......................
"अया मुबार्केल अरज यू शैये नोहा मिलन हिन्दे. व अरादाक्ल्लाह मन्योंज्जेल जिकर्तुं..
(अर्थात हे हिंद कि पुन्य भूमि! तू धन्य है,क्योंकि ईश्वर ने अपने ज्ञान के लिए तुझे चुना है.)
१० वीं शताब्दी के महाकवि वेन .....अटल नगर अजमेर,अटल हिंदव अस्थानं.
महाकवि चन्द्र बरदाई....................ज
"जय माँ भारती " "वन्दे मातरम"
धर्मो रक्षति रक्षितः ॥ धर्मधारित हिंदू राष्ट्रकी स्थापना हेतू ॥
॥ जय श्री राम ॥ जयतु हिंदूराष्ट्र ॥
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