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सोमवार, 7 अप्रैल 2014

किसके भाई का चारा हैं हम हिंदू ....?

अब समय की मांग के अनुसार हिंदुत्व और राष्ट्रवादिता का आपसी संबंध बहुत गहरा, भावनात्मक तथा कट्टरता का परिचायक बन ही जाना चाहिए यह शांति कायम रहने की और अखंड राष्ट्र के रूप में ससम्मान, जिंदा रहने तक की एकमात्र प्राथमिकता है !

याचक की तरह हिंदूओं को भाईचारे की डफली और चुटकियां बजाना बंद करके सगर्व हां 'मैं हिंदू हूँ ' कहने मात्र के साथ साथ हर हिंदू के साथ सिर्फ हिंदू भारतीय होने के कारण संगठित होना शुरू कर देना पडेगा तब ही संगठित विराट हिंदू शक्ति और समाज के साथ जेहादी और 'सेक्यूलर वोट' आगे बढ कर भाईचारे की ताली बजाने आ सकेंगे ....अन्यथा सेक्यूलरिज्म के नाम पर सिर्फ हिंदुओं को ही सेक्यूलर होने और भाईचारे की इकतरफा चुटकियां बजाने को मजबूर करते राजनेता और बुद्धि से लदेफदे विशेषज्ञ यह बतायें कि ताली के नाम पर चुटकियां बजवाने से 'सेक्यूलर वोट' रूपी आतंकी, दंगाई जेहादी मानसिकता के समक्ष 66 साल से हो रहे भाईचारा नौटंकी और सेक्यूलर सहिष्णुता का क्या फायदा ही हुआ है स्पष्ट कर दें किसके भाई का चारा हैं हम हिंदू ....?
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अभी तक किसी तथाकथित कट्टर मुसलमान नेता या सामान्य मुसलमान ने क्यों नहीं कहा कि "मैं सहिष्णु और सेक्यूलर हूँ".......कैसा सेक्यूलर वोट ही...??

शुभ संध्या वंदन मित्रों.

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