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सोमवार, 7 अक्टूबर 2019

सेविंग्स कीजिए सुखी रहिए

*सेविंग्स कीजिए सुखी रहिए*
आज मैने सोशियल मीडिया पर इंदौर के सॉफ्टवेयर इंजीनियर का दुःखद  अन्त का समाचार पढा ।लगा इस आत्महत्या के लिए वह खुद जिम्मेदार है ।जिस व्यक्ति को 18 लाख का पैकेज यानी डेढ़ लाख महीना मिल रहा था ,दोनों बच्चे DPS में पढ़ते थे, Work from Home की सुविधा थी तो काम के साथ शेयर बाजार में ट्रेडिंग का भी धंधा चल रहा था । पिछले महीने नौकरी चली गई, और इस महीने पूरे परिवार ने  खुदकुशी कर ली, जबकि मां को पेंशन मिलती थी, ससुराल वालों की भी आर्थिक स्थिति अच्छी थी।जब से यह खबर पढ़ी है, मन व्यथित है।इकोनॉमी की जैसी हालत है, अभी और हज़ारों-लाखों लोगों की नौकरी जाएगी । वैसे भी जैसे-जैसे उम्र और सैलरी बढ़ती जाती है, पुरानी नौकरी जाने की संभावना उतनी ही ज़्यादा और नई नौकरी मिलने की संभावना उतनी ही कम रहती है, तो फिर क्या करें?
1-बचत:आज भी इसका कोई विकल्प नहीं है, आपकी सैलरी 2,00,000 हो या 20,000 की, एक निश्चित रकम हमेशा बचाएं, कम से कम 6 महीने का बफर स्टॉक तो रखें।अगर आप डेढ़ लाख महीना कमाने के बावजूद नौकरी जाने के महज एक महीने के भीतर आत्महत्या कर लें, आपका डेबिट और क्रेडिट कार्ड खाली हो तो ये मानिए कहीं ना कहीं गलती आपकी भी रही होगी।
2- शौक: के हिसाब से नहीं ज़रूरत के हिसाब से रहें, आदत मत पालिए, ब्रांडेड कपड़े पहनना, रेस्तरां में खाना, मॉल और मल्टीप्लेक्स में जाना अच्छा लगता है लेकिन इनके बगैर ज़िंदगी नहीं रुकती, अगर इस मद में कटौती की जाए तब भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
3-मां-बाप: आज भी पैसों से ज़्यादा आपको चाहते हैं। क्या हो गया अगर आप बड़े हो गए? अगर आप अपने माता-पिता को अपनी आर्थिक स्थिति, की सही जानकारी देंगे तो, आपको आर्थिक और भावनात्मक दोनों तरह की मदद मिलेगी, उनसे मदद मांगकर आप छोटे नहीं हो जाएंगे, आत्मसम्मान बाहर वालों के लिए होता है।
घर वालों से मदद मांगने में नाक छोटी नहीं हो जाएगी, इंदौर वाले केस में भी मां को पेंशन मिलती थी, ससुराल वाले भी मदद कर सकते थे, लेकिन मदद मांगी तो होती, बॉस की गाली खा सकते हैं तो अपनों से मदद मांगने में क्या बुराई है?
4-खानदानी प्रॉपर्टी: आप भले ही मूर्ख हों और बचत नहीं करते हों लेकिन आपके माता-पिता और दादा-दादी ऐसे नहीं थे, उन्होंने अपनी सीमित कमाई के बावजूद बचत कर कुछ प्रॉपर्टी जोड़ी होती है, गांव में कुछ ज़मीन ज़रूर होती है, तो याद रखिए कोई भी प्रॉपर्टी या ज़मीन-जायदाद ज़िंदगी से बड़ी नहीं है, मुसीबत के वक्त उसे बेचने में कोई बुराई नहीं है।
5-धैर्य और धीरज: आपकी कंपनी के गेट पर जो सिक्योरिटी गार्ड तैनात रहता हैं उनमें से ज़्यादातर की सैलरी 10 से 20 हज़ार के बीच रहती है, देश में आज भी ज़्यादातर लोग 20 हज़ार रूपये महीने से कम ही कमाते हैं।
कभी सुना है किसी कम सैलरी वाले को आर्थिक वजह से आत्महत्या करते हुऐ? खुदकुशी के रास्ता अमूमन ज़्यादा सैलरी वाले लोग और व्यापारी ही चुनते हैं, पैसा जितना ज्यादा आता है। ज़िंदगी की जंग लड़ने की ताकत उसी अनुपात में कम होती जाती है, पैसा कमाइए लेकिन जीवटता को भी जिंदा रखिए, इमरजेंसी में काम आएगी।
6-हालात का सामना करें: इसमें कोई शक नहीं कि बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का फैशन है, लेकिन सरकारी स्कूल अभी पूरीतरह खत्म नहीं हुऐ हैं, मित्रो! याद रखिए आपमें से कई लोग सरकारी स्कूल में पढ़कर ही यहां तक पहुंचे हैं, अब भी कई लोग हैं जो सरकारी स्कूल में पढ़कर UPSC Crack कर रहे हैं, इसलिए अगर नौकरी ना रहे तो बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ने को बेइज़्ज़ती मत समझिए, हो सकता है शुरू में बच्चों को अजीब लगे लेकिन बाद में वो भी समझ जाएंगे।
7-Be Reasonable/लचीलापन रखिए: अगर आपको पिछली नौकरी में 75 हज़ार या एक लाख रुपये सैलरी मिलती थी तो ज़रूरी नहीं कि नई भी इतनी की ही मिले, मार्केट में नौकरी का घोर संकट है और इस गलत फहमी में मत रहिए कि आप बहुत टैलेंटेड हैं। टैलेंट बहुत हद तक मालिक और बॉस के भरोसे पर रहता है, मालिक या बॉस ने मान लिया कि आप टैलेंटेड हैं तो फिर हैं, एक बार रोड पर आ गए तो टैलेंट धरा का धरा रह जाएगा, आपसे ज्यादा टैलेंटेड लोग मार्केट में खाली घूम रहे हैं.
8-असफलता का स्वाद: यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है, इसको हम सभी को पूरा करना चाहिए, हमारे जीवन में सफलता का जितना महत्व है उतना ही असफलता का भी होना चाहिए। हमें अपने आप को अपने बच्चों को और परिवार को यह बताना चाहिए कि हमें किसी भी कार्य में, परीक्षा में, बिजनेस में, खेल में, कृषि में असफलता भी मिल सकती हैं, असफलता का स्वाद हमें हमारे बच्चों को बचपन में ही सिखा देना चाहिए। अगर आप बच्चे के साथ कोई गेम खेल रहे हैं, कुश्ती लड़ रहे हैं, तो उस गेम में हमेशा उसको जीताए नहीं, उसे हराए और उसे हार का सामना करना भी सिखाएं, उसे बताएं कि सिक्के के दो पहलू होते हैं।
√कभी एक ऊपर रहता है, कभी दूसरा ऊपर रहता है, अर्थात समय हमेशा एकसा नहीं रहता है।
√अगर वह हमेशा जीतेगा या आप उसे जिताएंगे तो उसे यह कभी पता ही नहीं चलेगा कि, जीवन में असफलता भी मिलती है और ईश्वर ना करें, बड़ा होने पर उसे कोई असफलता मिलती है तो वह उसका सामना ही ना कर पाएं और हिम्मत हार जाएं।
मित्रों,
√आखिरी बात और कि जहां से शुरू किया था, वहीं खत्म कर रहा हूं, खुदकुशी किसी भी हालत में कोई विकल्प नहीं है, हर रात के बाद एक नई सुबह होती है, हर सुख के बाद दुःख और दुःख के बाद सुख हमेशा आता है, धैर्य बनाए रखें और ऊपर वाले पर विश्वास रखें, अंत में आत्मविश्वास की जीत होती है।
     *राधे राधे

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