एक कांच या चीनी मिट्टी का लगभग 5" 6" इंच व्यास का एक सुन्दर कटोरा लें और उसे आधे से कुछ अधिक पानी से भरदें । अब इसमें कांच का एक गिलास उल्टा करके इस प्रकार से रख दें कि वह छोटे दीपक के लिये एक स्टेन्ड सा बन जावे और फिर उसके उपर एक छोटा कटोरा कांच का लेकर उसमें घी, तेल या मोम अपनी सामर्थ्य अनुसार भर कर उसमें रुई की सामान्य बत्ती बनाकर लगा दें । कांच की कुछ गोटियां (बच्चों के खेलने की) इस पानी में डाल दे .एक्वेरियम में डालने वाले कुछ रंगीन पत्थर इसमें डाल दें और अन्त में गुलाब फूल की कुछ पंखुडियां भी इस पानी में डालकर सूर्यास्त के बाद इस दीपक को प्रज्जवलित कर अपने घर के बैठक के कमरे में दक्षिण पूर्व दिशा (आग्नेय कोण) में रख दें । यदि इस क्षेत्र में इसे रखने में कुछ असुविधा लग रही हो तो वैकल्पिक स्थान के रुप में आप इसे दक्षिण दिशा में भी रख सकते हैं । यदि घर में विवाह योग्य कन्या हो और उसके विवाह में किसी भी प्रकार की अडचन आ रही हो तो इस दीपक को आप उस कन्या के कमरे में इसी दिशा में रख सकते हैं । मान्यता यह भी है कि इस उपाय से कन्या के विवाह में आ रही बाधाएँ भी दूर हो जाती हैं ।
हमारा शरीर जिन पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, काष्ठ, धातु और अग्नि) से निर्मित है उन्हीं पंचत्तवों का सन्तुलन इस दीपक के द्वारा हमारे घर-परिवार में कायम रहता है और इसी सामंजस्य से जीवन में नकारात्मकता दूर होकर सकारात्मकता बनी रहती है जो हमारे शान्तिपूर्ण, सुखी व समृद्ध जीवन में मददगार साबित होती है ।
प्रतिदिन सूर्यास्त के बाद जलाये जाने वाले इस दीपक को आप सोने के पूर्व बन्द भी कर दें और कटोरा रात भर वहीं रखा रहने दें । सुबह इस पानी को घर के आठों कोण में मन ही मन इस भाव के साथ छिड़क दे की घर की सारी नकारात्मकता घर की सम्पूर्ण सरचना से बहर निकल रही है और उसके स्थान पर सकारात्मक उर्जा का प्रवेश हो रहा है ,इससे घर की सारे वास्तु दोष ठीक होते जा रहे हैं ,इस प्रक्रिया से घर का शुद्धिकरण आप स्वयम कर सकते है ,आज ही से कर के देखें और मुझे इसका परिणाम भी बताएं ,क्योंकि इसमें कोई खर्च नही है
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