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शनिवार, 10 जुलाई 2021

माता पिता की अति महत्वाकांक्षा से 27-28-32 उम्र की कुँवारी लड़कियाँ घर बैठी हैं


*समाज की आज की परिस्थिति को उजागर करता एक लेख* 
 
 *माता पिता की अति महत्वाकांक्षा से  27-28-32 उम्र  की  कुँवारी लड़कियाँ घर बैठी हैं* 

 *अगर अभी भी माँ-बाप नहीं जागे तो स्थितियाँ और विस्फोटक हो सकती है।* 
 
*हमारा समाज आज बच्चों के विवाह को लेकर इतना सजग हो गया है कि आपस मे रिश्ते ही नहीं हो पा रहे हैं।*
        
*समाज में आज 27-28-32 उम्र तक की बहुत सी कुँवारी लडकियाँ घर बैठी है क्योंकि इनके सपने हैसियत से भी बहुत ज्यादा है इस प्रकार के कई उदाहरण है।*
*ऐसे लोगो के कारण समाज की  छवि बहुत खराब हो रही है।*
*सबसे बडा मानव सुख,*
*सुखी वैवाहिक जीवन होता है।*
*पैसा भी आवश्यक है।*
 *लेकिन कुछ हद तक।*
*पैसे की वजह से अच्छे रिश्ते ठुकराना गलत है।* *पहली प्राथमिकता सुखी संसार व अच्छा घर-परिवार होना चाहिये।*
*ज्यादा धन के चक्कर मे अच्छे रिश्तों को नजर-अंदाज करना गलत है।* *"संपति खरीदी जा सकती है लेकिन गुण नही।"*
*मेरा मानना है कि घर-  परिवार और लडका अच्छा देखें लेकिन ज्यादा के चक्कर मे अच्छे रिश्ते हाथ से नही जाने दें।*
*सुखी वैवाहिक जीवन जियें।*
*30 की उम्र के बाद विवाह नही होता समझौता होता है और मेडिकल स्थिति से भी देखा जाए  तो उसमें बहुत सी समस्याएँ उत्पन्न होती है।*
*"आज उससे भी बुरी स्थिति कुंडली मिलान के कारण हो गई हैं।"*
*आप सोचिए जिनके साथ कुंडली मिलती है लेकिन घर और लड़का अच्छा नहीं और जहाँ लड़के में सभी गुण हैं वहां कुण्डली नहीं मिलती और हम सब कुछ अच्छा होने के कारण भी कुण्डली की वजह से रिश्ता छोड़ देते हैं,*
*आप सोच के देखें जिन लोगो के 36 में से 20 या फिर 36 /36 गुण भी मिल गए फिर भी उनके जीवन मे तकलीफें हो रही है।*
*क्योंकि हमने लडके के गुण नही देखे।*
*"कुंडली मिलान के गुण देखे।"*
*"पंडितों ने पढे लिखे आधुनिक समाज को एक सदी और पीछे धकेल दिया कुंडली मिलान, कुण्डली मिलान इस चक्कर में अच्छे रिश्ते नही हो पा रहे हैं।*
*और ये कुन्डली का बिज़नेस आज करोड़ों रुपए का हो गया है,*
*सुबह टेलीविजन चालू करते ही पण्डित जी आपका भविष्य बताने लग जाते है और उनको खुद के भविष्य का पता नहीं होता कि उनकी बेटा या बेटी की आगे स्थिति क्या होंगी।"*
*आजकल समाज में लोग बेटी के रिश्ते के लिए (लड़के में) चौबीस टंच का सोना खरीदने जाते है,*
*देखते-देखते चार पांच साल व्यतीत हो जातें है,*
*उच्च "शिक्षा" या "जॉब" के नाम पर भी समय व्यतीत कर देते हैं।*
*लड़के देखने का अंदाज भी समय व्यतीत का अनोखा उदाहरण हो गया है?*
*खुद का मकान है कि नही?*
*अगर है तो फर्नीचर कैसा है?*
*घर में कमरे कितने हैं?*
*गाडी है की नही?*
*है तो कौनसी है?*
*रहन-सहन, खान-पान कैसा है?*
*कितने भाई-बहन हैं?*
*बंटवारे में माँ-बाप किनके गले पड़े हैं?*
*बहन कितनी हैं,*
*उनकी शादी हुई है कि नहीं?*
*माँ-बाप का स्वभाव कैसा है?*
*घर वाले, नाते-रिश्तेदार आधुनिक ख्यालात के हैं कि नही?*
*बच्चे का कद क्या है?*
*रंग-रूप कैसा है?*
*शिक्षा, कमाई, बैंक बैलेंस कितना है?*
*लड़का-लड़की सोशल मीडिया पर एक्टिव है कि नहीं?*
*उसके कितने दोस्त हैं?*
*सब बातों पर पूछताछ पूरी होने के बाद भी कुछ प्रश्न पूछने में और सोशल मीडिया पर वार्तालाप करने में और समय व्यतीत हो जाता है।*
*हालात को क्या कहे माँ -बाप की नींद ही खुलती है 30 की उम्र पर।*
*फिर चार-पाँच साल कि यह दौड़-धूप बच्चों की जवानी को बर्बाद करने के लिए काफी है।*
*इस वजह से अच्छे रिस्ते हाथ से निकल जाते हैं।*
*और माँ-बाप अपने ही बच्चों के सपनों को चूर चूर-चूर कर देते हैं।*
*"एक समय था जब खानदान देख कर रिश्ते होते थे।"*
*वो लम्बे भी निभते थे।* *समधी-समधन में मान मनुहार थी।*
*सुख-दु:ख में साथ था।*
*रिश्ते-नाते कि अहमियत का अहसास था।*
*चाहे धन-माया कम थी मगर खुशियाँ घर-आँगन में झलकती थी।*
*कभी कोई ऊँची-नीची बात हो जाती थी तो आपस में बड़े-बुजुर्ग संभाल लेते थे।*
*तलाक शब्द रिश्तों में था ही नही,*
*दाम्पत्य जीवन खट्टे-मीठे अनुभव में बीत जाया करता था।*
*दोनों एक-दूसरे के बुढ़ापे की लाठी बनते थे।*
*और पोते-पोतियों में संस्कारो के बीज भरते थे।*
*अब कहां हैं वो संस्कार?* 
*आँख की शर्म तो इतिहास हो गई।*
 *नौबत आ जाती है रिश्तों में समझौता करने की।*
*लड़का-लड़की अपने समाज के नही होंगे तो भी चलेगा,*
*ऐसी बातें भी सामने आ रही है।*
*आज समाज की लडकियाँ और लड़के खुले आम दूसरी जाति की तरफ जा रहे है और दोष दे रहे हैं कि समाज में अच्छे लड़के या लड़कियाँ मेरे लायक नही हैं।*
*कारण लडकियाँ आधुनिकता की पराकाष्ठा पार कर गई है।*
*"जब ये लड़के-लड़कियाँ मन से मैरिज करते है तब ये कुंडली मिलान का क्या होता हैं तब तो कुंडली की कोई बात नहीं होती‌"*
*यही माँ बाप सब कुछ मान लेते हैं।*
*तब कोई कुण्डली, स्टेटस, पैसा, इनकम बीच में कुछ भी नही आता।*
*अगर अभी भी माँ-बाप नही जागेंगे तो स्थितियाँ और विस्फोटक हो जाएगी।*
*समाज के लोगो को समझना होगा लड़कियों की शादी 22-23-24 में हो जाये और लड़का 25-26 का हो।*
*"सब में सब गुण नही मिलते।"*
*पीतल घर में मत लाओ।*
*घर, गाड़ी, बंगला से पहले व्यवहार तोलो।*
*माँ बाप भी आर्थिक चकाचोंध में बह रहे है ।*
*पैसे की भागम-भाग में मिलों पीछे छूट गए हैं, रिश्ते-नातेदार।*
*टूट रहे हैं घर परिवार।* *सूख रहा है प्रेम और प्यार।*
*परिवारों का इस पीढ़ी ने ऐसा तमाशा किया है कि आने वाली पीढ़ियां सिर्फ किताबों में पढ़ेंगी "संस्कार"।*
*"समाज को अब जागना जरूरी है"*
*"अन्यथा रिश्ते ढूढते रह जाएंगे।"*
                     *धन्यवाद*
                          🙏🙏

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