100 पारंपरिक जानकारियाँ जिनका ज्ञान सबको होना चाहिये....
1.योग, भोग और रोग ये तीन अवस्थाएँ है।
2. लकवा - सोडियम की कमी के कारण होता है ।
3. हाई वी पी में - स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी में डालकर स्नान करें।
4. लो बी पी - सेंधा नमक डालकर पानी पियें ।
5. कूबड़ निकलना- फास्फोरस की कमी से होता है।
6. कफ - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है ।
फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड़ व शहद खायें।
7. दमा, अस्थमा - सल्फर की कमी से होता है।
8. सिजेरियन आपरेशन - आयरन , कैल्शियम की कमी से करना पड़ता है ।
9. सभी क्षारीय वस्तुएँ दिन डूबने के बाद खायें ।
10. अम्लीय वस्तुएँ व फल दिन डूबने से पहले खायें ।
11. जम्भाई- शरीर में आक्सीजन की कमी बताती है।
12. जुकाम - प्रातः काल जूस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।
13. ताम्बे का पानी - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी नहीं पियें ।
14. किडनी - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी नहीं पिये ।
15. गिलास एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्शन अधिक होता है ।गिलास अंग्रेजों ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है। अतः लोटे का पानी पियें। लोटे का कम सर्फेसटेन्शन होता है ।
16. अस्थमा , मधुमेह , कैंसर से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।
17. वास्तु के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।
18. परम्परायें वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।
19. पथरी - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें नहीं होती हैं ।
20. RO का पानी कभी नहीं पियें। यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता ।
कुएँ का पानी पियें । बारिश का पानी सबसे अच्छा है।
पानी की सफाई के लिये सहिजन की फली सबसे बेहतर है ।
21. सोकर उठते समय हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का स्वर चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।
22. पेट के बल सोने से हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है ।
23. भोजन के लिये पूर्व दिशा , पढाई के लिये उत्तर दिशा बेहतर है ।
24. HDL बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।
25. गैस की समस्या होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।
26. चीनी के अन्दर सल्फर होता है जो कि पटाखों में प्रयोग होता है ।
यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से पित्त बढ़ता है ।
27. शुक्रोज हजम नहीं होता है । फ्रक्टोज हजम होता है और हर प्राकृतिक मीठी चीज में फ्रक्टोज है ।
28. वात के असर में नींद कम आती है ।
29. कफ के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।
30. कफ के असर में पढ़ाई कम होती है ।
31. पित्त के असर में पढ़ाई अधिक होती है ।
33. आँखों के रोग - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।
34. शाम को वात-नाशक चीजें खानी चाहिये ।
35. प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिये ।
36. सोते समय रक्त दबाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।
37. व्यायाम -
वात रोगियों के लिये मालिश के बाद व्यायाम ,
पित्त वालों को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिये ।
कफ के लोगों को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिये ।
38. भारत की जलवायु वात प्रकृति की है । दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिये ।
39. जो माताएँ घरेलू कार्य करती हैं उनके लिये व्यायाम जरूरी नहीं है।
40. निद्रा से पित्त शांत होता है। मालिश से वायु शांति होती है । उल्टी से कफ शांत होता है तथा उपवास ( लंघन ) से बुखार शांत होता है ।
41. भारी वस्तुएँ शरीर का रक्तदाब बढ़ाती हैं , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।
42. दुनिया के महान वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइंस्टीन हों।
43. माँस खाने वालों के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।
44. तेल हमेशा गाढ़ा खाना चाहिये, सिर्फ लकडी वाली घाणी का। दूध हमेशा पतला पीना चाहिये ।
45. छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।
46. कोलेस्ट्रोल की बढ़ी हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है ।
ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।
47. मिर्गी दौरे में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिये ।
48. सिरदर्द में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुँघायें ।
49. भोजन के पहले मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं बढ़ता है ।
50. भोजन के आधे घंटे पहले सलाद खायें उसके बाद भोजन करें ।
51. अवसाद में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है ।
फास्फोरस गुड़ और अमरूद में अधिक है ।
52. पीले केले में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है ।
हरे केले में कैल्शियम थोड़ा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम, आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है। वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमें कैल्शियम अधिक होता है ।
53. छोटे केले में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है ।
54. रसौली की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं ।
55. हेपेटाइटिस A से E तक के लिये चूना बेहतर है ।
56. एंटी टिटनेस के लिये हाईपेरिकम 200 की दो-दो बूँद 10-10 मिनट पर तीन बार दें ।
57. ऐसी चोट जिसमें खून जम गया हो उसके लिये नैट्रमसल्फ दो-दो बूँद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चों को एक बूँद पानी में डालकर दें ।
58. मोटे लोगों में कैल्शियम की कमी होती है। अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।
59. अस्थमा में नारियल दें । नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है । दालचीनी + गुड़ + नारियल दें ।
60. चूना बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढ़ाता है ।
61. दूध का सर्फेसटेंशन कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।
62. गाय का घी सबसे अधिक पित्तनाशक, फिर कफ व वायुनाशक है ।
63. जिस भोजन में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श न हो उसे नहीं खाना चाहिये ।
64. गौ-मूत्र अर्क आँखों में नहीं डालें ।
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65. गाय के दूध में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है ।
66. मासिक के दौरान वायु बढ़ जाता है। 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिये इससे गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थिति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।
67. रात में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।
68. भोजन के बाद वज्रासन में बैठने से वात नियंत्रित होता है ।
69. भोजन के बाद कंघी करें। कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दाँत चुभने चाहिये । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होंगे ।
70. अजवाईन अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है ।
71. अगर पेट में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें ।
72. कब्ज होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एड़ियों के बल चलना चाहिये ।
73. रास्ता चलने, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिये।
74. जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।
75. बिना कैल्शियम की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते हैं ।
76. स्वस्थ व्यक्ति सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।
77. भोजन करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
78. सुबह के नाश्ते में फल , दोपहर को दही व रात्रि को दूध का सेवन करना चाहिये ।
79. रात्रि को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिये जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि ।
80. शौच और भोजन के समय मुँह बंद रखें । भोजन के समय टी वी न देखें www.sanwariyaa.blogspot.com
81. मासिक चक्र के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान व आग से दूर रहना चाहिये ।
82. जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।
83. जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिये ।
84. एलोपैथी ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी, लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं ।एलोपैथी एक बीमारी खत्म करती है लेकिन दस अन्य बीमारियाँ देकर भी जाती है ।
85. खाने की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिये । ब्लड-प्रेशर बढ़ता है ।
86 . रंगों द्वारा चिकित्सा करने के लिये इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग ।
87 . छोटे बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिये , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिये।
88. जो सूर्य निकलने के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियाँ होती हैं क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है ।
89. बिना शरीर की गंदगी निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है ।
मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं ।
90. चिंता , क्रोध , ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।
91. गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मुसली , सोंठ का प्रयोग करें ।
92. प्रसव के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती है ।
93. रात को सोते समय सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें । त्वचा में निखार आयेगा ।
94. दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं हे। हमें उपयोग करना आना चाहिये।
95. जो अपने दुःखों को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है ।
96. सोने से आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।
97. स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है।
98 . तेज धूप में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है ।
99. त्रिफला अमृत है जिससे वात, पित्त , कफ तीनों शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना ।
100. इस विश्व की सबसे मँहगी दवा लार है , जो प्रकृति ने दी है । इसे न थूकें।
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