जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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बुधवार, 18 जुलाई 2012
activities of Marwadi Mahasabha
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
मेरे देश की उन बेटियो की है कहानी ,
जिन्हें किहते हैं हम बेटी रानी ,
ये मेरे देश की उन बेटियो की है कहानी ,
डर और दर्द के साए में बीतता है इनका बचपन और जबानी ,
माँ का पेट ही इन की कबर बन जाता है ,
अपना ही खून कातिल बन जाता है ,
नहीं आता किसी को इन पर रेहम ,
नहीं आता इनके कतल पर किसी आँख में पानी ,
डर और दर्द के साए में बीतता है इनका बचपन और जबानी ,
कुछ इसी वी बदनसीब हैं यो इस दुनिया में आ जाती है ,
कुछ इसी वी बदनसीब हैं यो आपने ही माँ बाप से दर्द पाती हैं ,
बेबी आफरीन और बेबी पलक का खून बता रहा है दुनिया बेटो की है दीवानी ,
डर और दर्द के साए में बीतता है इनका बचपन और जबानी ,
बचपन बिता जबानी की और कदम बडाया ,
हर आँख को भूखे शेर की तरहां देखते पाया ,
मर्दों के इस समाज में हर बार चलती है उन्ही की मनमानी ,
डर और दर्द के साए में बीतता है इनका बचपन और जबानी ,
दहेज के लिए इन्हें साढ़ दिया जाता है ,
खोखले कानून की कमजोरी से कातिल बच जाता है ,
दुनिया बदल रही है मगर मेरे देश की बेटी की दशा वाही पुराणी ,
डर और दर्द के साए में बीतता है इनका बचपन और जबानी ,
जिन्हें किहते हैं हम बेटी रानी ,
ये मेरे देश की उन बेटियो की है कहानी ,
अगर आप 25 जुलाई को अनशन में नहीं आना चाहते या
आना भी चाहते हैं और नहीं भी तो इस पेज को जरुर पड़े शायद
आप का आने का इरादा पका हो जाये , जय हिंद
दोस्तो मेरी कोशिश देश को करप्षन के खिलाफ एक करने की है ताकि करप्षन के खिलाफ अन्ना की लड़ाई को जीता या सके ,
ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिये , अपने मित्रों को टैग कीजिये ,
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना हैइनकम टैक्स रिटर्न भरने की प्रक्रिया :प्रभात गौड़
प्रभात गौड़।।
इनकम टैक्स रिटर्न भरने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए सरकार कई साल
से कोशिश कर रही है, लेकिन इस बार इसे थोड़ा जटिल कर दिया गया है। इस साल
एक आम टैक्स पेयर को ज्यादा डिटेल्स देने होंगे। इस बार फॉर्म देखने में
लगभग वैसा ही है, लेकिन कुछेक बदलाव किए गए हैं। फाइनैंशल इयर 2011-12 के
लिए रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। अंतिम दिनों की भीड़-भाड़ से
बचने के लिए बेहतर है कि यह काम अभी निबटा लिया जाए। सैलरीड क्लास के लिए
इनकम टैक्स रिटर्न भरने के तरीकों के बारे में हमने चार्टर्ड अकाउंटेंट
सत्येंद्र जैन से बातचीत की।
क्या है इनकम टैक्स रिटर्न
फाइनैंशल इयर के खत्म होने के बाद ऐसे हर शख्स को इनकम टैक्स विभाग में एक
फॉर्म भरकर देना पड़ता है, जिसकी सालाना आमदनी टैक्सेबल होती है। इनकम
टैक्स विभाग में जमा किए जाने वाले इस फॉर्म में कोई शख्स बताता है कि
पिछले फाइनैंशल इयर में उसे कुल कितनी आमदनी हुई और उसने उस आमदनी पर कितना
टैक्स भरा। इसे इनकम टैक्स रिटर्न कहा जाता है। फाइनैंशल इयर 31 मार्च को
खत्म होता है। इन दिनों फाइनैंशल इयर 2011-2012 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न
भरे जा रहे हैं। यानी फाइनैंशल इयर 2011-2012 के लिए रिटर्न साल 2012-13
में भरा जा रहा है। ऐसे में इस बार के लिए 2011-12 प्रीवियस इयर कहलाएगा और
2012-13 को असेसमेंट इयर कहेंगे।
किसे भरना है, किसे नहीं
जिन लोगों की सालाना आमदनी सभी डिडक्शन क्लेम करने के बाद 5 लाख रुपये से
कम है, उन्हें रिटर्न भरने से छूट है। वैसे, इस नियम में भी कई पेच हैं। आप
फाइनैंशल इयर 2011-12 के लिए रिटर्न भरने से बच सकते हैं, अगर इन शर्तों
को पूरा करते हैं :
- डिडक्शन के बाद साल की कुल आमदनी 5 लाख रुपये या उससे कम हो।
- इनकम में सैलरी व बैंक सेविंग्स अकाउंट से मिलने वाला ब्याज ही शामिल हो।
- सेविंग्स अकाउंट से मिले ब्याज का ब्योरा फॉर्म 16 में हो।
- सैलरी सिर्फ एक एम्प्लॉयर से मिली हो।
- बैंक में जमा बचत से मिला सालाना ब्याज 10 हजार रुपये से कम हो।
भरना होगा रिटर्न
5 लाख या उससे कम आमदनी के बावजूद भरना होगा रिटर्न अगर...
- सैलरी और सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज के साथ-साथ किसी दूसरी जगह से भी कोई आमदनी हुई हो।
- टैक्स बचाने के लिए एफडी या एनएससी में निवेश किया है। इससे आने वाला
ब्याज इनकम होगी और रिटर्न भरना होगा। एफडी या एनएससी में आपने इस साल
इन्वेस्टमेंट किया हो, तो जाहिर है इसका ब्याज आपको अगले साल मिलेगा, जो
अगले साल की इनकम होगी। इसलिए इस बार आप रिटर्न से बच सकते हैं।
- सेक्शन 80 सीसीएफ में छूट के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड में निवेश कर रखा हो।
- एक महीने के लिए भी अपना मकान किराए पर दिया हो।
- फाइनैंशल इयर के दौरान नौकरी बदली हो।
- नुकसान को कैरी फॉरवर्ड करना चाहते हों या फिर रिफंड क्लेम करना हो।
PAN और रिटर्न
- रिटर्न भरने के लिए PAN होना जरूरी है।
- अगर किसी की सालाना आमदनी टैक्सेबल है तो उसे PAN लेना अनिवार्य है। ऐसे
लोग अगर एम्प्लॉयर को PAN उपलब्ध नहीं कराते हैं तो एम्प्लॉयर उनका स्लैब
रेट या 20 फीसदी में से जो ज्यादा है, उस दर से टीडीएस काट सकता है।
-
इनकम टैक्सेबल नहीं है, तो PAN लेना अनिवार्य नहीं है। फिर भी कई मामलों
में PAN की जरूरत होती है, इसलिए PAN सभी को ले लेना चाहिए।
- इनकम
टैक्सेबल होने पर किसी के पास PAN नहीं है तो PAN न होने के लिए कोई सजा
नहीं है, सजा इसलिए हो सकती है कि आप रिटर्न फाइल नहीं करा पाए।
जमा कहां करें
सैलरीड क्लास के लोग रिटर्न मयूर भवन, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली में अपने
असेसमेंट ऑफिसर के पास जमा करा सकते हैं। असेसमेंट ऑफिसर के बारे में जानने
के लिए http:// www.incometaxindia.gov.in/
पर जाएं और PAN पर क्लिक करें। Know Your Return पर क्लिक करें। नई खुली
वेबसाइट पर PAN मांगा जाएगा। एंटर दबाएं और फिर पेज को लेफ्ट खिसकाएं। अब
अपने आईटीओ वॉर्ड से संबंधित पूरी जानकारी आपके सामने होगी। लेकिन अगर आपने
पिछले एक साल में नौकरी बदली है तो नए एम्प्लॉयर के हिसाब से वॉर्ड होगा।
इस वेबसाइट पर जानकारी पिछले भरे रिटर्न के आधार पर होती है। वेबसाइट से यह
पता लगाने में दिक्कत हो और नौकरी न बदली हो तो पिछले साल भरे गए रिटर्न
की रसीद से भी आप अपना वॉर्ड पता लगा सकते हैं।
रिफंड
अगर
टीडीएस कट जाने के बाद आपने टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट किया है तो ज्यादा
कटे टैक्स को आप इनकम टैक्स विभाग से रिफंड करा सकते हैं। ऐसे में रिटर्न
फाइल करने के कुछ महीने के अंदर आपको रिफंड मिल जाएगा। यह रकम आपके बैंक
अकाउंट में सीधे जमा कर दी जाती है। इसके लिए आपको रिटर्न में बैंक अकाउंट
नंबर और उस बैंक का एमआईसीआर कोड देना होता है। वैसे अगर आप चाहते हैं कि
आपका रिफंड जल्दी मिल जाए तो आपको ऑनलाइन रिटर्न भरना चाहिए। ऐसे रिटर्न की
प्रोसेसिंग तेज होती है और नए सरकारी आदेश के मुताबिक ऐसे रिफंड रिटर्न
भरने के दो महीने के अंदर मिल जाएंगे। रिटर्न भरते वक्त आपको पता चलता है
कि आप पर टीडीएस के अलावा भी टैक्स की देनदारी बन रही है मसलन आपने सेविंग
अकाउंट या एफडी से मिले ब्याज की जानकारी अपनी कंपनी को नहीं दी थी तो उस
टैक्स को आपको सरकारी बैंकों की तय शाखाओं में चालान भरकर जमा करा देना
चाहिए। वर्तमान फाइनैंशल इयर से छह साल पहले तक के मामले टैक्स विभाग खोल
सकता है इसलिए रिटर्न आदि का छह साल तक का रेकॉर्ड आपके पास सुरक्षित होना
चाहिए।
कोई डॉक्युमेंट नहीं लगेगा
रिटर्न भरने के लिए आपको
फॉर्म 16, टीडीएस सटिर्फिकेट और बैंक स्टेटमेंट्स की जरूरत होगी, लेकिन
रिटर्न के साथ कोई भी दस्तावेज नहीं लगाना है। हालांकि इन सभी दस्तावेजों
को अपने पास संभालकर रखना ठीक है क्योंकि अगर कभी आपकी स्क्रूटनी हो गई तो
इन दस्तावेजों की आपको जरूरत पड़ सकती है।
मिला सकते हैं माइनर की इनकम
नाबालिग बच्चे की आमदनी को माता या पिता में से जिसकी आमदनी ज्यादा है,
उसकी आमदनी में जोड़ा जा सकता है। ऐसे मामलों में एक बच्चे की आमदनी के लिए
माता या पिता को (जिसकी आमदनी में बच्चे की आमदनी जोड़ी जा रही है) 1500
रुपये की छूट मिल जाती है। यानी बच्चे को सालाना जो आमदनी होगी, उसमें से
1500 रुपये कम करके उसे माता या पिता की आमदनी में जोड़ा जाएगा।
लास्ट डेट
31 जुलाई - सैलरीड लोगों के लिए। बिजनेस वाले लोगों के लिए, अगर वे अपनी
आमदनी की ऑडिटिंग नहीं कराते। सेल्फ एम्प्लॉइड लोगों के लिए, अगर ऑडिटिंग
नहीं कराते।
30 सितंबर - ऐसे सभी लोगों, फर्मों या कंपनियों के लिए जिनके लिए अपनी आमदनी की ऑडिटिंग कराना अनिवार्य है।
31 मार्च 2013 - जिनका टीडीएस उनकी कंपनी द्वारा काटा जा चुका है या वे
खुद टैक्स का भुगतान कर चुके हैं और उन पर टैक्स की कोई देनदारी नहीं बनती,
वे 31 मार्च 2013 तक भी बिना किसी अतिरिक्त ब्याज/पेनल्टी के अपना रिटर्न
जमा कर सकते हैं। ऐसे लोग अगर 31 मार्च 2013 तक अपना रिटर्न जमा नहीं करा
पाते, तो उन पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लग सकता है। ध्यान रहे, अगर आप
लास्ट डेट के बाद रिटर्न फाइल करते हैं तो इसके बाद आप रिवाइज्ड रिटर्न
फाइल नहीं कर सकेंगे।
कौन-सा फॉर्म किसके लिए
ITR 1 या सहज -
आईटीआर 1 को सहज फॉर्म भी कहा जाता है। यह उन लोगों को भरना है, जिन्हें
सैलरी, पेंशन और ब्याज से आमदनी हुई हो। जिन लोगों के पास एक मकान है और
उन्होंने हाउसिंग लोन लिया हुआ है, उन्हें भी यही फॉर्म भरना है।
ITR 2 - अगर आपको सैलरी, पेंशन और ब्याज से हुई आमदनी के साथ-साथ एक से
ज्यादा प्रॉपर्टी से आने वाले किराए, कैपिटल गेंस, डिविडेंड से भी किसी तरह
की कोई आमदनी हुई है तो आपको आईटीआर 2 भरना होगा। एचयूएफ के लिए भी यही
फॉर्म है।
ITR 3 - अगर आप किसी फर्म में पाटर्नर हैं और आपको कोई बिजनेस या प्रफेशनल इनकम अलग से नहीं हो रही है तो आपको आईटीआर 3 भरना होगा।
ITR 4 - आईटीआर 4 उन लोगों को भरना होता है, जिन्हें किसी बिजनेस, फर्म
आदि से इनकम के साथ प्रफेशनल इनकम भी होती है। इसके अलावा, तमाम प्रफेशनल्स
जैसे वकील, डॉक्टर और चार्टर्ड अकाउंटेंट आदि को भी आईटीआर 4 फॉर्म ही
भरना होता है।
ITR 4S या सुगम - यह फॉर्म उन छोटे व्यापारियों और
प्रफेशनल्स के लिए है, जिनका सालाना टर्नओवर 60 लाख से कम है। ऐसे लोगों को
ऑडिटिंग कराने की जरूरत नहीं होती। ये लोग आईटीआर 4 भी भर सकते हैं।
इनकट टैक्स रिटर्न से संबंधित सारे फॉर्मों को देखने के लिए यहां क्लिक करें।
नियमों में कुछ बदलाव, जो इस साल लागू हैं
- जिन इंडिविजुअल या एचयूएफ की टैक्सेबल इनकम 10 लाख रुपये ज्यादा है,
उनके लिए इस असेसमेंट इयर से रिटर्न की ई-फाइलिंग जरूरी कर दी गई है।
- अगर आप ई रिटर्न भर रहे हैं तो आपको रिफंड दो महीने के भीतर मिल जाएगा,
जबकि मैन्युअली जमा करने से आपको रिफंड मिलने में देरी हो सकती है।
- अगर हाउस प्रॉपर्टी साझा है तो उससे होने वाली आमदनी को दिखाते वक्त
आपको यह भी बताना होगा कि उस पर किस-किस का किस-किस पर्सेंटेज में मालिकाना
हक है। अगर यह प्रॉपर्टी आपके और आपके जीवन साथी के नाम है तो आप दिखा
सकते हैं कि आप इस प्रॉपर्टी के आधे के मालिक हैं। इस तरह इससे मिलने वाले
किराये को भी इसी अनुपात में दिखाया जाएगा।
- सेक्शन 80 जी में
दान किए गए पैसे पर डिडक्शन क्लेम करते वक्त अब तक आपको बस रकम दिखानी होती
थी, लेकिन इस बार से सरकार इस बारे में कुछ और डिटेल चाहती है। अब आपको
दान लेने वाले का नाम, पता और PAN नंबर भी मुहैया कराना होगा।
कैसे भरा जाता है रिटर्न
भरने की तैयारी - रिटर्न भरने से पहले नीचे दिए गए कागजात आपके पास होने
चाहिए। हालांकि इन कागजात को रिटर्न के साथ लगाना नहीं है, लेकिन रिटर्न
भरते वक्त इनकी जरूरत आपको पड़ेगी। इसके अलावा इन दस्तावेजों को अपने पास
संभालकर रखना चाहिए क्योंकि अगर कभी इनकम टैक्स विभाग से आपके पास नोटिस
आता है तो इनकी जरूरत पड़ेगी। ये कागजात आपके पास होने चाहिए:
- फॉर्म 16, जो आपका एम्प्लॉयर आपको देगा।
- सभी सेविंग्स अकाउंट की साल भर (1 अप्रैल 2011 से 31 मार्च 2012 तक ) की
स्टेटमेंट। इसकी मदद से आपको यह पता चलेगा कि बैंक ब्याज के तौर पर आपको
कितनी आमदनी हुई।
- टीडीएस सटिर्फिकेट। अगर आपकी कंपनी के अलावा किसी दूसरे ने भी आपको पेमेंट काटा हो।
भरने का तरीका
इनकम टैक्स रिटर्न दो तरह से भरा जाता है - मैन्युअली और ऑनलाइन। मैन्युली
भरने के लिए फॉर्म या तो किसी स्टेशनरी की दुकान से लें या फिर साइट http:// www.incometaxindia.gov.in/ से डाउनलोड कर लें। याद रखें इस बार आपको फॉर्म का प्रिंटआउट कलर्ड लेना है। ब्लैक ऐंड वाइट फॉर्म नहीं चलेगा।
अब एक ऑप्शन तो यह है कि आप किसी सीए, वकील या इनकम टैक्स विभाग के टीआरपी
(Tax Return Prepares) को फीस देकर अपना फॉर्म भरवा लें। दूसरा तरीका यह
है कि इसे खुद भर लें। खुद भरने का तरीका हम आपको बता रहे हैं। फॉर्म खुद
भरना चाहते हैं तो यहां क्लिक करके नमूना देखें।
अगर आप टीआरपी की मदद से या ऑनलाइन भरना चाहते हैं तो यहां देखें :
1. TRP की मदद से
- वेबसाइट http://www.trpscheme.com/
पर जाएं। continue पर क्लिक करें। अब राइट साइड की बार की मदद से नीचे
जाएं। लेफ्ट साइड में Locate your nearest STRP/TRP पर क्लिक करें। अब नीचे
खुली विंडो में Search Certified Income Tax Return Prepares पर क्लिक
करें। अब Name में कुछ न भरें। State और District के ऑप्शन भरने से आपके
क्षेत्र के टीआरपी के नाम, पते और फोन नंबर आपको मिल जाएंगे। इनसे संपर्क
करें। समय-समय पर इनकम टैक्स विभाग टीआरपी के बारे में अखबारों में भी
सूचना देता रहता है। टोल फ्री नंबर 1800-10-23738 पर कॉल करके भी टीआरपी से
संबंधित सूचनाएं हासिल की जा सकती हैं। यह लाइन सोमवार से शनिवार तक सुबह 9
बजे से शाम 6 बजे तक खुली रहती है।
- कोई भी टीआरपी देश में कहीं भी मौजूद आदमी का रिटर्न भर सकता है। टीआरपी को पहचानने के लिए उनका आईडी कार्ड या सटिर्फिकेट देखें।
- टीआरपी को फॉर्म 16 की फोटोस्टैट दें, ऑरिजनल डॉक्युमेंट न दें। इसकी
मदद से वह रिटर्न भरेगा और जमा करेगा। रिटर्न जमा करने के बाद टीआरपी आपको
उसकी रसीद देगा। रिटर्न भरने में कोई गड़बड़ी होती है तो इसके लिए टीआरपी
जिम्मेदार होगा।
खर्च कितना: रिटर्न भरकर जमा करने के काम के लिए टीआरपी अधिकतम 250 रुपये तक चार्ज कर सकते हैं।
2. ऐसे भरें ऑनलाइन
एक्सपर्ट्स की राय में रिटर्न ऑनलाइन भरना सबसे आसान और सही है। इससे
रिफंड भी जल्दी आता है। ई-रिटर्न भरने के लिए टैक्स से संबंधित कई
वेबसाइट्स हैं, लेकिन ये साइट्स आपसे पैसे चार्ज करती हैं। फ्री में
ई-रिटर्न भरना चाहते हैं तो इनकम टैक्स विभाग की साइट से ई-रिटर्न भरना
चाहिए। इसके लिए नीचे दिए गए स्टेप को फॉलो करें :
- वेबसाइट http://incometaxindia.gov.in/ पर जाएं। Continue पर क्लिक करें। वहां लेफ्ट साइड में ऑप्शन file returns online-income tax return पर क्लिक करें।
- लेफ्ट में डाउनलोड के नीचे e-filing AY 2012-13 मेन्यू में Individual/HUF को दबाएं।
- आईटीआर 1 में Excel Utility क्लिक करें। इस साल के लिए सहज फॉर्म आ
जाएगा। अब डायलॉग बॉक्स में Save File ऑप्शन क्लिक करें। फॉर्म को डेस्कटॉप
पर सेव कर लें।
- अब इस फॉर्म को ऑफलाइन ही भर लें। बीच-बीच में फॉर्म को वैलिडेट करते जाएं। इससे अगर कहीं कुछ गड़बड़ होगी तो पकड़ में आ जाएगी।
- फॉर्म भर लेने के बाद Generate XML file पर क्लिक करके इसका एक्सएएमएल वर्जन तैयार कर लें।
- अब इनकम टैक्स की साइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन कराएं और ई-मेल अकाउंट व पासवर्ड हासिल करें। इसके लिए https:// incometaxindiaefiling.gov.in/ portal/index.do
पर जाएं। यहां register पर क्लिक करें। यहां आपसे PAN मांगा जाएगा। इसके
बाद कुछ बेसिक सूचनाएं मांगकर आपका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा। यह बिल्कुल ऐसे
ही है जैसे किसी भी साइट पर रजिस्ट्रेशन होता है।
- इसकी मदद से लॉग-इन करें और Summit Return क्लिक कर दें।
- रिटर्न की एक्सएमएल फाइल ब्राउज करके उसे अपलोड कर दें।
- फाइल अपलोड हो जाने के बाद अकनॉलेजमेंट फॉर्म आएगा।
- अगर आपके पास डिजिटल साइन हैं, तो डिजिटल साइन दे दीजिए। रिटर्न का प्रॉसेस यहीं पूरा हो गया।
- अगर आपके पास डिजिटल साइन नहीं हैं, तो इस अकनॉलेजमेंट फॉर्म का प्रिंट
लेकर उस पर अपने साइन करें और 120 दिनों के अंदर इसे साधारण पोस्ट या स्पीड
पोस्ट से इस पते पर भेज दें: आईटी विभाग, सीपीसी, पोस्ट बॉक्स नंबर - 1,
इलेक्ट्रॉनिक सिटी पोस्ट ऑफिस, बेंगलुरु-560100
- इसके बाद इनकम
टैक्स विभाग की तरफ से 15-20 दिन में इस बात का अकनॉलेजमेंट आपके पास ई-मेल
से आएगा कि आपका रिटर्न भरने का काम सफलतापूर्वक पूरा हुआ। कई लोगों को
लगता है कि साधारण पोस्ट से अगर फॉर्म बेंगलुरु नहीं पहुंचा तो? ऐसे में
अगर 15 दिनों में रिटर्न का अकनॉलेजमेंट मेल न आए तो दोबारा अकनॉलेजमेंट
भेज दें। आप बेंगलुरु ऑफिस के फोन नंबर 080-43456700 पर कॉल कर सकते हैं।
खर्च कितना
अगर आप इनकम टैक्स की साइट से भर रहे हैं तो कोई खर्च नहीं है। किसी और
साइट से भरते हैं तो 100 से 750 रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं।
कुछ पेड साइट्स: इन वेबसाइट्स की मदद से कुछ पैसे खर्च करके भी आप अपना रिटर्न फाइल कर सकते हैं।
Taxsmile.com
Myitreturn.com
Taxspanner.com
टॉप 5 गलतियां
रिटर्न भरते वक्त लोग आमतौर पर कुछ गलतियां कर जाते हैं। आइए देखें:
1. गलत फॉर्म का चयन - किसे कौन सा फॉर्म भरना है, इसके लिए बाकायदा नियम
हैं। इस बारे में यहां भी विस्तार से बताया गया है। कई बार लोग गलत फॉर्म
का चुनाव कर लेते हैं। अपनी कैटिगरी के हिसाब से सही रिटर्न फॉर्म चुनें और
उसे ही भरें।
2. खाली फॉर्म पर साइन - जो लोग किसी एजेंट के जरिए
रिटर्न भरते हैं, वे अक्सर खाली रिटर्न फॉर्म पर दस्तखत करके एजेंट को दे
देते हैं। एजेंट बाद में उस फॉर्म को भरकर जमा कर देता है। खाली फॉर्म पर
दस्तखत न करें। अगर फॉर्म भरने में एजेंट से जरा भी गलती हो गई तो आपको
दिक्कत होगी। भरे हुए रिटर्न फॉर्म पर एक नजर डाल लेने के बाद ही उस पर
साइन करें।
3. नंबरों पर ध्यान - रिटर्न फॉर्म में PAN, एमआईसीआर
कोड, अकाउंट नंबर, एम्प्लॉयर का टैन जैसी कुछ फिगर्स ऐसी होती है जिन्हें
भरते वक्त गलती होने की आशंका रहती है। इन नंबरों को ध्यान से भरें। फर्ज
कीजिए अगर आपने अपने PAN की कोई एक डिजिट भी गलत भर दी, तो इनकम टैक्स
विभाग आपके ऊपर जुर्माना लगा सकता है।
4. अकनॉलेजमेंट भेजने में
भूल - जो लोग ई फाइलिंग कर रहे हैं, उनके लिए आईटीआर 5 का प्रिंट लेकर उसे
बेंगलुरु भेजना जरूरी है। यह काम ऑनलाइन रिटर्न भरने के 120 दिन के भीतर
किया जा सकता है, लेकिन कई बार लोग इस फॉर्म को भेजना भूल जाते हैं या फिर
ऐसा भी होता है कि उसे कुरियर से इस फॉर्म को भेज देते हैं। नियम यह है कि
इस फॉर्म को साधारण पोस्ट से या स्पीड पोस्ट से ही भेजा जाना चाहिए।
5. फॉर्म 16 न लेना
अगर आपने फाइनैंशल इयर के दौरान नौकरी बदली है तो अपने दोनों एम्प्लॉयर से
फॉर्म 16 जरूर ले लें। अपने पहले एम्प्लॉयर के साथ काम के दौरान की गई
सेविंग को अगर आपने अपने नए एम्प्लॉयर को नहीं बताया है तो हो सकता है आपको
एक्स्ट्रा टैक्स भरना पड़े।
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना हैमाहेश्वरी समाज की उत्पत्ति कैसे हुई……?
आज
माहेश्वरी समाज में बहुत से लोग है जो नहीं जानते की माहेश्वरी समाज की
उत्पत्ति कैसे हुई……? हम सभी को पता होना चाहिए की माहेश्वरी का इतिहास
क्या हैं…..? क्यों माहेश्वरीयों में विवाह परंपरा को बहुत महत्वपूर्ण विधि
माना जाता है? क्यों विवाह की विधि में लड़का मोड़ और कट्यार धारण करता है? क्यों माहेश्वरियों मैं महेश नवमी को विवाह की सर्वश्रेष्ठ तिथि मानते है?
माहेश्वरी वंशउत्पत्ति :
खंडेला नगर में सूर्यवंशी राजाओं में चौव्हान जाती का राजा खड्गल सेन राज्य करता था. इसके राज्य में सारी प्रजा सुख और शांती से रहती थी. राजा धर्मावतार और प्रजाप्रेमी था, परन्तु राजा का कोई पुत्र नहीं था. राजा ने मंत्रियो से परामर्श कर पुत्रेस्ठी यज्ञ कराया. ऋषियों ने आशीवाद दिया और साथ-साथ यह भी कहा की तुम्हारा पुत्र बहुत पराक्रमी और चक्रवर्ती होगा पर उसे 16 साल की उम्र तक उत्तर दिशा की ओर न जाने देना. राजा ने पुत्र जन्म उत्सव बहुत ही हर्ष उल्लास से मनाया. ज्योतिषियों ने उसका नाम सुजानसेन रखा. सुजानसेन बहुत ही प्रखर बुद्धि का व समझदार निकला, थोड़े ही समय में वह विद्या और शस्त्र विद्या में आगे बढ़ने लगा. देवयोग से एक जैन मुनि खड़ेला नगर आए और सुजान कुवर ने जैन धर्म की शिक्षा लेकर उसका प्रचार प्रसार शुरू कर दिया. शिव व वैष्णव मंदिर तुडवा कर जैन मंदिर बनवाए, इससे सारे राज्य में जैन धर्मं का बोलबाला हो गया.
एक दिन राजकुवर 72 उमरावो को लेकर शिकार करने जंगल में उत्तर दिशा की और ही गया. सूर्य कुंड के पास जाकर देखा की वहाँ 6 ऋषि यज्ञ कर रहे थे ,वेद ध्वनि बोल रहे थे ,यह देख वह आग बबुला हो गया और क्रोधित होकर बोला इस दिशा में मुनि यज्ञ करते हे इसलिए पिताजी मुझे इधर आने से रोकते थे. उसी समय उमरावों को आदेश दिया की यज्ञ विध्वंस कर दो और यज्ञ सामग्री नष्ट कर दो.
इससे ऋषि भी क्रोध में आ गए और उन्होंने श्राप दिया की सब पत्थर बन जाओ l श्राप देते ही राजकुवर सहित 72 उमराव पत्थर बन गए. जब यह समाचार राजा खड्गल सेन ने सुना तो अपने प्राण तज दिए. राजा के साथ 16 रानिया सती हुई.
राजकुवर की कुवरानी चन्द्रावती उमरावों की स्त्रियों को साथ लेकर ऋषियो की शरण में गई और श्राप वापस लेने की विनती की तब ऋषियो ने उन्हें बताया की हम श्राप दे चुके हे तुम भगवान गोरीशंकर की आराधना करो. यहाँ निकट ही एक गुफा है जहा जाकर भगवान महेश का अष्टाक्षर मंत्र का जाप करो. भगवान की कृपा से वह पुनः शुद्ध बुद्धि व चेतन्य हो जायेंगे. राजकुवरानी सारी स्त्रियों सहित गुफा में गई और तपस्या में लीन हो गई.
भगवान महेशजी उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर वहा आये, पार्वती जी ने इन जडत्व मूर्तियों के बारे में भगवान से चर्चा आरम्भ की तो राजकुवरानी ने आकर पार्वतीजी के चरणों में प्रणाम किया. पार्वतीजी ने आशीर्वाद दिया की सौभाग्यवती हो, इस पर राजकुवरानी ने कहा हमारे पति तो ऋषियों के श्राप से पत्थरवत हो गए है अतः आप इनका श्राप मोचन करो. पार्वतीजी ने भगवान महेशजी से प्रार्थना की और फिर भगवान महेशजी ने उन्हें चेतन में ला दिया. चेतन अवस्था में आते ही उन्होंने पार्वती-महेश को घेर लिया. इसपर भगवान महेश ने कहा अपनी शक्ति पर गर्व मत करो और छत्रियत्व छोड़ कर वैश्य वर्ण धारण करो. 72 उमरावों ने इसे स्वीकार किया पर उनके हाथो से हथिहार नहीं छुटे. इस पर भगवान महेशजी ने कहा की सूर्यकुंड में स्नान करो ऐसा करते ही उनके हथिहार पानी में गल गए उसी दिन से लोहा गल (लोहागर) हो गया (लोहागर- सीकर के पास, राजस्थान). सभी स्नान कर भगवान महेश की प्रार्थ्रना करने लगे.
फिर भगवान महेशजी ने कहा की आज से तुम्हारे वंशपर (धर्मपर) हमारी छाप रहेगी यानि तुम वंश (धर्म) से “माहेश्वरी’’ और वर्ण से वैश्य कहलाओगे और अब तुम अपने जीवनयापन (उदर निर्वाह) के लिए व्यापार करो तुम इसमें खूब फुलोगे-फलोगे.
अब राजकुवर और उमरावों ने स्त्रियों (पत्नियोंको) को स्वीकार करनेसे मना किया, कहा की हम तो धर्म से “माहेश्वरी’’ और वर्ण से वैश्य बन गए है पर ये अभी क्षत्रानिया (राजपुतनियाँ) है. हमारा पुनर्जन्म हो चूका हे, हम इन्हें कैसे स्वीकार करे. तब माता पार्वती ने कहा तुम सभी स्त्री-पुरुष हमारी चार बार परिक्रमा करो जो जिसकी पत्नी है अपने आप गठबंधन हो जायेगा. इसपर राजकुवरानी ने पार्वति से कहा की पहले तो हमारे पति राजपूत-क्षत्रिय थे, हथियारबन्द थे तो हमारी और हमारे मान की रक्षा करते थे अब हमारी और हमारे मान की रक्षा ये कैसे करेंगे तब पार्वति ने सभी को दिव्य कट्यार दी और कहाँ की अब आपका पेशा युद्ध करना नहीं बल्कि व्यापार करना है लेकिन अपने स्त्रियों की और मान की रक्षा के लिए 'कट्यार' को हमेशा धारण करेंगे. मे शक्ति स्वयं इसमे बिराजमान रहूंगी. तब सब ने महेश-पार्वति की चार बार परिक्रमा की तो जो जिसकी पत्नी है उनका अपने आप गठबंधन हो गया (एक-दो जगह उल्लेख मिलता है की 13 स्त्रियों ने भी कट्यार धारण करके गठबंधन की परिक्रमा की). इस गठबंधन को 'मंगल कारज' कहा गया. [उस दिन से मंगल कारज (विवाह) में बिन्दराजा मोड़ (मान) और कट्यार धारण करके, 'महेश - पार्वती' की तस्बीर को विधिपूर्वक स्थापन करके उनकी चार बार परिक्रमा करता है इसे 'बारला फेरा' (बाहर के फेरे) कहा जाता है.) ये बात याद रहे इसलिए चार फेरे बाहर के लिए जाते है. सगाई में लड़की का पिता लडके को मोड़ और कट्यार भेंट देता है इसलिए की ये बात याद रहे - अब मेरे बेटीकी और उसके मान की रक्षा तुम्हे करनी है. जिस दिन महेश-पार्वति ने वरदान दिया उस दिन युधिष्टिर संवत 9 (विक्रम संवत ८) जेष्ट शुक्ल नवमी थी. तभी से माहेश्वरी समाज आज तक “महेश नवमी ’’ का त्यौहार बहुत धूम धाम से मनाता आ रहा है…..]
ऋषियों ने आकर भगवान से अनुग्रह किया की प्रभु इन्होने हमारे यज्ञ को विध्वंस किया और आपने इन्हें श्राप मोचन (श्राप से मुक्त) कर दिया इस पर भगवान महेशजी ने कहा - आजसे आप इनके (माहेश्वरीयोंके) गुरु है. ये तुम्हे गुरु मानेंगे. तुम्हे 'गुरुमहाराज' के नाम से जाना जायेगा. भगवान महेशजी ने कुवरानी चन्द्रावती को भी गुरु पद दिया. इन सबको दायित्व सौपा गया की, वह माहेश्वरियों को सत्य, प्रेम और न्यायके मार्गपर चलनेका मार्गदर्शन करते रहेंगे [माहेश्वरी स्वयं को भगवान महेश-पार्वती की संतान मानते है. माहेश्वरीयों में 'शिवलिंग' स्वरुप में पूजा का विधान नहीं है; माहेश्वरीयों में 'भगवान महेश-पार्वती-गणेशजी' की एकत्रित प्रतिमा / तसबीर के पूजा का विधान (रिवाज/परंपरा) है. कई शतकों तक गुरु मार्गदर्शित व्यवस्था बनी रही. तथ्य बताते है की प्रारंभ में 'गुरुमहाराज' द्वारा बताई गयी नित्य प्रार्थना, वंदना (महेश वंदना), नित्य अन्नदान, करसेवा, गो-ग्रास आदि नियमोंका समाज कड़ाई से पालन करता था. फिर मध्यकाल में भारत के शासन व्यवस्था में भारी उथल-पुथल तथा बदलाओंका दौर चला. दुर्भाग्यसे जिसका असर माहेश्वरियों की सामाजिक व्यवस्थापर भी पड़ा और जाने-अनजाने में माहेश्वरी अपने गुरूओंको भूलते चले गए. जिससे समाज की बड़ी क्षति हुई है और आज भी हो रही है.].
फिर भगवान महेशजी ने सुजान कुवर को कहा की तुम इनकी वंशावली रखो, ये तुम्हे अपना जागा मानेंगे. तुम इनके वंश की जानकारी रखोंगे, विवाह-संबन्ध जोड़ने में मदत करोगे और ये हर समय, यथा शक्ति द्रव्य देकर तुम्हारी मदत करेंगे.
जो 72 उमराव थे उनके नाम पर एक-एक जाती बनी जो 72 खाप (गोत्र ) कहलाई. फिर एक-एक खाप में कई नख हो गए जो काम के कारण गाव व बुजुर्गो के नाम बन गए है.
कहा जाता है की आज से लगभग 2500-2600 वर्ष पूर्व (इसवीसन पूर्व 600 साल) 72 खापो के माहेश्वरी मारवाड़ (डीडवाना) राजस्थान में निवास करते थे. इन्ही 72 खापो में से 20 खाप के माहेश्वरी परिवार धकगड़ (गुजरात) में जाकर बस गए. वहा का राजा दयालु, प्रजापालक और व्यापारियों के प्रति सम्मान रखने वाला था. इन्ही गुणों से प्रभावित हो कर और 12 खापो के माहेश्वरी भी वहा आकर बस गए. इस प्रकार 32 खापो के माहेश्वरी धकगड़ (गुजरात) में बस गए और व्यापर करने लगे. तो वे धाकड़ माहेश्वरी के नामसे पहचाने जाने लगे. समय व परिस्थिति के वशीभूत होकर धकगड़ के कुछ माहेश्वरियो को धकगड़ भी छोडना पड़ा और मध्य भारत में आष्टा के पास अवन्तिपुर बडोदिया ग्राम में विक्रम संवत 1200 के आस-पास आज से लगभग 810 वर्ष पूर्व, आकर बस गए. वहाँ उनके द्वारा निर्मित भगवान महेशजी का मंदिर जिसका निर्माण संवत 1262 में हुआ जो आज भी विद्यमान है एवं अतीत की यादो को ताज़ा करता है. माहेश्वरियो के 72 गोत्र में से 15 खाप (गोत्र ) के माहेश्वरी परिवार अलग होकर ग्राम काकरोली राजिस्थान में बस गए तो वे काकड़ माहेश्वरी के नामसे पहचाने जाने लगे (इन्होने घर त्याग करने के पहले संकल्प किया की वे हाथी दांत का चुडा व मोतीचूर की चुन्धरी काम में नहीं लावेंगे अतः आज भी काकड़ वाल्या माहेश्वरी मंगल कारज (विवाह) में इन चीजो का व्यवहार नहीं करते है.) इसी कारण माहेश्वरीयों में परस्पर रोटी तथा बेटी व्यवहार है. पुनः माहेश्वरी मध्य भारत और भारत के कई स्थानों पर जाकर व्यवसाय करने लगे.........
जन्म-मरण विहीन एक ईश्वर (महेश) में आस्था और मानव मात्र के कल्याण की कामना माहेश्वरी धर्म के प्रमुख सिद्धान्त हैं. माहेश्वरी समाज सत्य, प्रेम और न्याय के पथ पर चलता है. कर्म करना, बांट कर खाना और प्रभु का नाम जाप करना इसके आधार हैं. माहेश्वरी अपने धर्माचरण का पूरी निष्ठा के साथ पालन करते है तथा वह जिस स्थान / प्रदेश में रहते है वहां की स्थानिक संस्कृति का पूरा आदर-सन्मान करते है, इस बात का ध्यान रखते है; यह माहेश्वरी समाज की विशेष बात है. आज तकरीबन भारत के हर राज्य, हर शहर में माहेश्वरीज बसे हुए है और अपने अच्छे व्यवहार के लिए पहचाने जाते है.
* * * *
*माहेश्वरीयों की उत्पत्ति तथ्य; श्री शिवकरणजी दरक द्वारा लिखित इतिहास कल्पद्रुम माहेश्वरी कुलभूषण नामक ग्रन्थ, जागाजी के पास के कुछ पुराने हस्तलिखित, समाज के इतिहास में रूचि रखनेवाले कुछ जानकार, पुरानी माहेश्वरी समाज की किताबे आदिसे सन्दर्भ लेकर माहेश्वरी वंशउत्पत्ति को उद्धृत किया है. यदि किसी समाज बंधू को इसमें त्रुटी दिखाई पड़ती है तो मैं क्षमा चाहता हूँ. और हाँ उसमे और जानकारी लिख दे.....जिससे हम इसमे सुधार कर सकें….
माहेश्वरी वंशउत्पत्ति :
खंडेला नगर में सूर्यवंशी राजाओं में चौव्हान जाती का राजा खड्गल सेन राज्य करता था. इसके राज्य में सारी प्रजा सुख और शांती से रहती थी. राजा धर्मावतार और प्रजाप्रेमी था, परन्तु राजा का कोई पुत्र नहीं था. राजा ने मंत्रियो से परामर्श कर पुत्रेस्ठी यज्ञ कराया. ऋषियों ने आशीवाद दिया और साथ-साथ यह भी कहा की तुम्हारा पुत्र बहुत पराक्रमी और चक्रवर्ती होगा पर उसे 16 साल की उम्र तक उत्तर दिशा की ओर न जाने देना. राजा ने पुत्र जन्म उत्सव बहुत ही हर्ष उल्लास से मनाया. ज्योतिषियों ने उसका नाम सुजानसेन रखा. सुजानसेन बहुत ही प्रखर बुद्धि का व समझदार निकला, थोड़े ही समय में वह विद्या और शस्त्र विद्या में आगे बढ़ने लगा. देवयोग से एक जैन मुनि खड़ेला नगर आए और सुजान कुवर ने जैन धर्म की शिक्षा लेकर उसका प्रचार प्रसार शुरू कर दिया. शिव व वैष्णव मंदिर तुडवा कर जैन मंदिर बनवाए, इससे सारे राज्य में जैन धर्मं का बोलबाला हो गया.
एक दिन राजकुवर 72 उमरावो को लेकर शिकार करने जंगल में उत्तर दिशा की और ही गया. सूर्य कुंड के पास जाकर देखा की वहाँ 6 ऋषि यज्ञ कर रहे थे ,वेद ध्वनि बोल रहे थे ,यह देख वह आग बबुला हो गया और क्रोधित होकर बोला इस दिशा में मुनि यज्ञ करते हे इसलिए पिताजी मुझे इधर आने से रोकते थे. उसी समय उमरावों को आदेश दिया की यज्ञ विध्वंस कर दो और यज्ञ सामग्री नष्ट कर दो.
इससे ऋषि भी क्रोध में आ गए और उन्होंने श्राप दिया की सब पत्थर बन जाओ l श्राप देते ही राजकुवर सहित 72 उमराव पत्थर बन गए. जब यह समाचार राजा खड्गल सेन ने सुना तो अपने प्राण तज दिए. राजा के साथ 16 रानिया सती हुई.
राजकुवर की कुवरानी चन्द्रावती उमरावों की स्त्रियों को साथ लेकर ऋषियो की शरण में गई और श्राप वापस लेने की विनती की तब ऋषियो ने उन्हें बताया की हम श्राप दे चुके हे तुम भगवान गोरीशंकर की आराधना करो. यहाँ निकट ही एक गुफा है जहा जाकर भगवान महेश का अष्टाक्षर मंत्र का जाप करो. भगवान की कृपा से वह पुनः शुद्ध बुद्धि व चेतन्य हो जायेंगे. राजकुवरानी सारी स्त्रियों सहित गुफा में गई और तपस्या में लीन हो गई.
भगवान महेशजी उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर वहा आये, पार्वती जी ने इन जडत्व मूर्तियों के बारे में भगवान से चर्चा आरम्भ की तो राजकुवरानी ने आकर पार्वतीजी के चरणों में प्रणाम किया. पार्वतीजी ने आशीर्वाद दिया की सौभाग्यवती हो, इस पर राजकुवरानी ने कहा हमारे पति तो ऋषियों के श्राप से पत्थरवत हो गए है अतः आप इनका श्राप मोचन करो. पार्वतीजी ने भगवान महेशजी से प्रार्थना की और फिर भगवान महेशजी ने उन्हें चेतन में ला दिया. चेतन अवस्था में आते ही उन्होंने पार्वती-महेश को घेर लिया. इसपर भगवान महेश ने कहा अपनी शक्ति पर गर्व मत करो और छत्रियत्व छोड़ कर वैश्य वर्ण धारण करो. 72 उमरावों ने इसे स्वीकार किया पर उनके हाथो से हथिहार नहीं छुटे. इस पर भगवान महेशजी ने कहा की सूर्यकुंड में स्नान करो ऐसा करते ही उनके हथिहार पानी में गल गए उसी दिन से लोहा गल (लोहागर) हो गया (लोहागर- सीकर के पास, राजस्थान). सभी स्नान कर भगवान महेश की प्रार्थ्रना करने लगे.
फिर भगवान महेशजी ने कहा की आज से तुम्हारे वंशपर (धर्मपर) हमारी छाप रहेगी यानि तुम वंश (धर्म) से “माहेश्वरी’’ और वर्ण से वैश्य कहलाओगे और अब तुम अपने जीवनयापन (उदर निर्वाह) के लिए व्यापार करो तुम इसमें खूब फुलोगे-फलोगे.
अब राजकुवर और उमरावों ने स्त्रियों (पत्नियोंको) को स्वीकार करनेसे मना किया, कहा की हम तो धर्म से “माहेश्वरी’’ और वर्ण से वैश्य बन गए है पर ये अभी क्षत्रानिया (राजपुतनियाँ) है. हमारा पुनर्जन्म हो चूका हे, हम इन्हें कैसे स्वीकार करे. तब माता पार्वती ने कहा तुम सभी स्त्री-पुरुष हमारी चार बार परिक्रमा करो जो जिसकी पत्नी है अपने आप गठबंधन हो जायेगा. इसपर राजकुवरानी ने पार्वति से कहा की पहले तो हमारे पति राजपूत-क्षत्रिय थे, हथियारबन्द थे तो हमारी और हमारे मान की रक्षा करते थे अब हमारी और हमारे मान की रक्षा ये कैसे करेंगे तब पार्वति ने सभी को दिव्य कट्यार दी और कहाँ की अब आपका पेशा युद्ध करना नहीं बल्कि व्यापार करना है लेकिन अपने स्त्रियों की और मान की रक्षा के लिए 'कट्यार' को हमेशा धारण करेंगे. मे शक्ति स्वयं इसमे बिराजमान रहूंगी. तब सब ने महेश-पार्वति की चार बार परिक्रमा की तो जो जिसकी पत्नी है उनका अपने आप गठबंधन हो गया (एक-दो जगह उल्लेख मिलता है की 13 स्त्रियों ने भी कट्यार धारण करके गठबंधन की परिक्रमा की). इस गठबंधन को 'मंगल कारज' कहा गया. [उस दिन से मंगल कारज (विवाह) में बिन्दराजा मोड़ (मान) और कट्यार धारण करके, 'महेश - पार्वती' की तस्बीर को विधिपूर्वक स्थापन करके उनकी चार बार परिक्रमा करता है इसे 'बारला फेरा' (बाहर के फेरे) कहा जाता है.) ये बात याद रहे इसलिए चार फेरे बाहर के लिए जाते है. सगाई में लड़की का पिता लडके को मोड़ और कट्यार भेंट देता है इसलिए की ये बात याद रहे - अब मेरे बेटीकी और उसके मान की रक्षा तुम्हे करनी है. जिस दिन महेश-पार्वति ने वरदान दिया उस दिन युधिष्टिर संवत 9 (विक्रम संवत ८) जेष्ट शुक्ल नवमी थी. तभी से माहेश्वरी समाज आज तक “महेश नवमी ’’ का त्यौहार बहुत धूम धाम से मनाता आ रहा है…..]
ऋषियों ने आकर भगवान से अनुग्रह किया की प्रभु इन्होने हमारे यज्ञ को विध्वंस किया और आपने इन्हें श्राप मोचन (श्राप से मुक्त) कर दिया इस पर भगवान महेशजी ने कहा - आजसे आप इनके (माहेश्वरीयोंके) गुरु है. ये तुम्हे गुरु मानेंगे. तुम्हे 'गुरुमहाराज' के नाम से जाना जायेगा. भगवान महेशजी ने कुवरानी चन्द्रावती को भी गुरु पद दिया. इन सबको दायित्व सौपा गया की, वह माहेश्वरियों को सत्य, प्रेम और न्यायके मार्गपर चलनेका मार्गदर्शन करते रहेंगे [माहेश्वरी स्वयं को भगवान महेश-पार्वती की संतान मानते है. माहेश्वरीयों में 'शिवलिंग' स्वरुप में पूजा का विधान नहीं है; माहेश्वरीयों में 'भगवान महेश-पार्वती-गणेशजी' की एकत्रित प्रतिमा / तसबीर के पूजा का विधान (रिवाज/परंपरा) है. कई शतकों तक गुरु मार्गदर्शित व्यवस्था बनी रही. तथ्य बताते है की प्रारंभ में 'गुरुमहाराज' द्वारा बताई गयी नित्य प्रार्थना, वंदना (महेश वंदना), नित्य अन्नदान, करसेवा, गो-ग्रास आदि नियमोंका समाज कड़ाई से पालन करता था. फिर मध्यकाल में भारत के शासन व्यवस्था में भारी उथल-पुथल तथा बदलाओंका दौर चला. दुर्भाग्यसे जिसका असर माहेश्वरियों की सामाजिक व्यवस्थापर भी पड़ा और जाने-अनजाने में माहेश्वरी अपने गुरूओंको भूलते चले गए. जिससे समाज की बड़ी क्षति हुई है और आज भी हो रही है.].
फिर भगवान महेशजी ने सुजान कुवर को कहा की तुम इनकी वंशावली रखो, ये तुम्हे अपना जागा मानेंगे. तुम इनके वंश की जानकारी रखोंगे, विवाह-संबन्ध जोड़ने में मदत करोगे और ये हर समय, यथा शक्ति द्रव्य देकर तुम्हारी मदत करेंगे.
जो 72 उमराव थे उनके नाम पर एक-एक जाती बनी जो 72 खाप (गोत्र ) कहलाई. फिर एक-एक खाप में कई नख हो गए जो काम के कारण गाव व बुजुर्गो के नाम बन गए है.
कहा जाता है की आज से लगभग 2500-2600 वर्ष पूर्व (इसवीसन पूर्व 600 साल) 72 खापो के माहेश्वरी मारवाड़ (डीडवाना) राजस्थान में निवास करते थे. इन्ही 72 खापो में से 20 खाप के माहेश्वरी परिवार धकगड़ (गुजरात) में जाकर बस गए. वहा का राजा दयालु, प्रजापालक और व्यापारियों के प्रति सम्मान रखने वाला था. इन्ही गुणों से प्रभावित हो कर और 12 खापो के माहेश्वरी भी वहा आकर बस गए. इस प्रकार 32 खापो के माहेश्वरी धकगड़ (गुजरात) में बस गए और व्यापर करने लगे. तो वे धाकड़ माहेश्वरी के नामसे पहचाने जाने लगे. समय व परिस्थिति के वशीभूत होकर धकगड़ के कुछ माहेश्वरियो को धकगड़ भी छोडना पड़ा और मध्य भारत में आष्टा के पास अवन्तिपुर बडोदिया ग्राम में विक्रम संवत 1200 के आस-पास आज से लगभग 810 वर्ष पूर्व, आकर बस गए. वहाँ उनके द्वारा निर्मित भगवान महेशजी का मंदिर जिसका निर्माण संवत 1262 में हुआ जो आज भी विद्यमान है एवं अतीत की यादो को ताज़ा करता है. माहेश्वरियो के 72 गोत्र में से 15 खाप (गोत्र ) के माहेश्वरी परिवार अलग होकर ग्राम काकरोली राजिस्थान में बस गए तो वे काकड़ माहेश्वरी के नामसे पहचाने जाने लगे (इन्होने घर त्याग करने के पहले संकल्प किया की वे हाथी दांत का चुडा व मोतीचूर की चुन्धरी काम में नहीं लावेंगे अतः आज भी काकड़ वाल्या माहेश्वरी मंगल कारज (विवाह) में इन चीजो का व्यवहार नहीं करते है.) इसी कारण माहेश्वरीयों में परस्पर रोटी तथा बेटी व्यवहार है. पुनः माहेश्वरी मध्य भारत और भारत के कई स्थानों पर जाकर व्यवसाय करने लगे.........
जन्म-मरण विहीन एक ईश्वर (महेश) में आस्था और मानव मात्र के कल्याण की कामना माहेश्वरी धर्म के प्रमुख सिद्धान्त हैं. माहेश्वरी समाज सत्य, प्रेम और न्याय के पथ पर चलता है. कर्म करना, बांट कर खाना और प्रभु का नाम जाप करना इसके आधार हैं. माहेश्वरी अपने धर्माचरण का पूरी निष्ठा के साथ पालन करते है तथा वह जिस स्थान / प्रदेश में रहते है वहां की स्थानिक संस्कृति का पूरा आदर-सन्मान करते है, इस बात का ध्यान रखते है; यह माहेश्वरी समाज की विशेष बात है. आज तकरीबन भारत के हर राज्य, हर शहर में माहेश्वरीज बसे हुए है और अपने अच्छे व्यवहार के लिए पहचाने जाते है.
* * * *
*माहेश्वरीयों की उत्पत्ति तथ्य; श्री शिवकरणजी दरक द्वारा लिखित इतिहास कल्पद्रुम माहेश्वरी कुलभूषण नामक ग्रन्थ, जागाजी के पास के कुछ पुराने हस्तलिखित, समाज के इतिहास में रूचि रखनेवाले कुछ जानकार, पुरानी माहेश्वरी समाज की किताबे आदिसे सन्दर्भ लेकर माहेश्वरी वंशउत्पत्ति को उद्धृत किया है. यदि किसी समाज बंधू को इसमें त्रुटी दिखाई पड़ती है तो मैं क्षमा चाहता हूँ. और हाँ उसमे और जानकारी लिख दे.....जिससे हम इसमे सुधार कर सकें….
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
बेटी है तो ही कल है,
बेटी है तो ही कल है, बेटी से संसार सुनहरा, बिन बेटी क्या पाओगे ??
शांति-क्रांति-समृद्धि-वृद्धि-श्री सिद्धि सभी कुछ है उनसे,उनसे नजर चुराओगे तो किसका मान बढ़ाओगे ?? अब भी जागो, सुर में रागो, भारत मां की संतानों !!
बिन बेटी के, बेटे वालों, किससे ब्याह रचाओगे ??
बहन न होगी, तिलक न होगा, किसके वीर कहलाओगे ???????????
शांति-क्रांति-समृद्धि-वृद्धि-श्री सिद्धि सभी कुछ है उनसे,उनसे नजर चुराओगे तो किसका मान बढ़ाओगे ?? अब भी जागो, सुर में रागो, भारत मां की संतानों !!
बिन बेटी के, बेटे वालों, किससे ब्याह रचाओगे ??
बहन न होगी, तिलक न होगा, किसके वीर कहलाओगे ???????????
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व्यवस्था बदलनी है तो
आज़ादी
के 65 सालों के बाद भी खाप पंचायतों की पहचान और प्रचलन उसी तरह से चलता
आया है जैसे कभी यह अस्तित्व में आयी होंगी...राजनीति,राजनीतिक पार्टियां
और खाप पंचायतों का घनिष्ठ रिश्ता पहले भी था और आज भी है...अपने तुगलकी
फरमानों से यह खाप पंचायतें अक्सर हैरान परेशान करती रहीं हैं और आज भी कर
रही हैं जबकि ग्राम पंचायतों को सत्ता में पूरी तरह से भागीदार बनाने की
ज़रूरत है और खाप पंचायतों को ध्यान न देते हुये
उनके प्रचलन को समाप्त कर दिया जाना चाहिए था ....खाप पंचायतें कोई विकास
कार्यक्रम न चलाती हैं और न ही चला सकती हैं क्योंकि इनका आधार सामुदायिक
एवं जातीय होता है और यह खाप पंचायतें राजनीति,राजनीतिक पार्टियों और
राजनीतिक लोगों के लिए वरदान साबित होती रही हैं और आज भी हो रही हैं...यही
खाप पंचायतें राजनीति के लिए वोट बैंक होती हैं...!!
राजनीति,पार्टियां और राजनीतिक लोग अक्सर इन्हीं खाप पंचायतों के आगे
नतमस्तक रहते हैं और सरंक्षण भी प्रदान करते हैं...इन खाप पंचायतों के
फैसले भी शायद राजनीति के इशारों पर ही होते हैं क्योंकि राजनीति तो लोगों
को बांटने में विश्वास करती है और यह खाप पंचायतें उसी दिशा में विशेषज्ञ
साबित होती हैं....चाहे वो किसी भी धर्म,समुदाय,जाति का प्रतिनिधित्व करती
हों लेकिन धंधा उनका वही होता है...वोट बैंक बनकर चलना...किसी भी पार्टी या
नेता के साथ समय देखकर पाला बदलने में भी महारत रहती है इन खाप पंचायतों
के पास...!!
हम आप देख रहे हैं कि राजनीतिक लोग और पार्टियां इतनी
जनता के सड़कों पर उतरने के बाद भी किस घमंड में चूर हैं और आम लोगों के
लिए किसी भी पार्टी में कोई संवेदना है ही नहीं इन्हीं खाप पंचायतों के
बूते पर राजनीति,पार्टियां और राजनीतिक लोग फलफूल रहे हैं और आम आदमी आजतक
पिस रहा है...राजनीति,पार्टियां और राजनीतिक लोग इन्हीं खाप पंचायतों के दम
पर आम आदमी को नज़रअंदाज़ करती आयी हैं...क्योंकि राजनीति वाले समझते हैं कि
उनका वोट बैंक तो है ही उनके साथ...और आम आदमी को इस खाप पंचायत संस्कृति
के पीछे के खेल की समझ नहीं है...!!
व्यवस्था बदलनी है तो ग्राम
स्वराज का रास्ता ग्राम पंचायत से होकर निकलता है...खाप पंचायत से
नहीं...खाप पंचायत के प्रचलन को अपने समाज से कैसे हटाना है...सोचना चाहिए
हमको...!!
आजकल खाप पंचायत याने जात पंचायत पर काफी बहस होती दिखाई दे रही है. एक समय
में माहेश्वरी समाज के प्रबंधन में माहेश्वरी पंचायत की महत्वपूर्ण भूमिका
होती थी, समस्याओं को पंचायत में ही सुलझाया जाता था. फिर धीरे-धीरे
माहेश्वरी पंचायते बंद होती गयी. कुछ
समाजशास्त्री कहते है की जात पंचायते समाज को जोड़े रखने में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाती है समाज की समस्याओं को भी सुलझाती है. यह एक ऐसी व्यवस्था
है जहाँ समाज के लोग अपना समय देकर, बिनाशुल्क समस्या सुलझाते है. जात
पंचायतों के विरोधियों का कहना होता है की, पंचायतों के फैसले/ निर्णय कई
बार गलत होते है. पंचायतों के समर्थक कहते है की पुलिस भी कई बार गलत काम
कर जाती है; कोर्ट के फैसले भी कई बार गलत साबित हुए है तो क्या उन
व्यवस्थाओं को बंद करने की बाते होती है? नहीं! तो जात पंचायतों के बारेमें
ही ऐसा क्यों सोचा जाता है. हर एक व्यवस्था में समय के अनुसार सुधार होते
रहते है; जात पंचायतों में भी उचित सुधार करते हुए इस व्यवस्था का लाभ लिया
जाना चाहिए.
शायद आज माहेश्वरी पंचायत कार्यरत होती तो कहीं पर भी बूढ़े माँ-बाप को उनके बच्चे घरसे बाहर ना निकाल पाते, शायद लड़कियाँ अन्य जातिमे शादियाँ नही करती, अन्य लोगोंसे समाज के भाई- बहनों को, बेपारियों को कही कोई तकलीफ नही होती. समाज के संगठन भी एक तरह से जात पंचायतों का ही आधुनिक स्वरुप है लेकिन यह संगठन जात पंचायतों की तरह काम में कारगर या असरदार नही दिखाई देते है, जात पंचायतों की तरह विश्वसनीयता पाने में भी सफल नही हुए है.
शायद आज माहेश्वरी पंचायत कार्यरत होती तो कहीं पर भी बूढ़े माँ-बाप को उनके बच्चे घरसे बाहर ना निकाल पाते, शायद लड़कियाँ अन्य जातिमे शादियाँ नही करती, अन्य लोगोंसे समाज के भाई- बहनों को, बेपारियों को कही कोई तकलीफ नही होती. समाज के संगठन भी एक तरह से जात पंचायतों का ही आधुनिक स्वरुप है लेकिन यह संगठन जात पंचायतों की तरह काम में कारगर या असरदार नही दिखाई देते है, जात पंचायतों की तरह विश्वसनीयता पाने में भी सफल नही हुए है.
जितने भी लोग महाभारत को काल्पनिक बताते हैं...उनके मुंह पर पर एक जोरदार तमाचा है
जितने भी लोग महाभारत को काल्पनिक बताते हैं...उनके मुंह पर पर एक जोरदार तमाचा है
महाभारत के बाद से आधुनिक काल तक के सभी राजाओं का विवरण क्रमवार तरीके से नीचे प्रस्तुत किया जा रहा है...!
आपको
यह जानकर एक बहुत ही आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी होगी कि महाभारत युद्ध के
पश्चात् राजा युधिष्ठिर की 30 पीढ़ियों ने 1770 वर्ष 11 माह 10 दिन तक
राज्य किया था..... जिसका पूरा विवरण इस प्रकार है :...
क्र................... शासक का नाम.......... वर्ष....माह.. दिन
1 राजा युधिष्ठिर (Raja Yudhisthir)..... 36.... 08.... 25
2 राजा परीक्षित (Raja Parikshit)........ 60.... 00..... 00
3 राजा जनमेजय (Raja Janmejay).... 84.... 07...... 23
4 अश्वमेध (Ashwamedh )................. 82.....08..... 22
5 द्वैतीयरम (Dwateeyram )............... 88.... 02......08
6 क्षत्रमाल (Kshatramal)................... 81.... 11..... 27
7 चित्ररथ (Chitrarath)...................... 75......03.....18
8 दुष्टशैल्य (Dushtashailya)............... 75.....10.......24
9 राजा उग्रसेन (Raja Ugrasain)......... 78.....07.......21
10 राजा शूरसेन (Raja Shoorsain).......78....07........21
11 भुवनपति (Bhuwanpati)................69....05.......05
12 रणजीत (Ranjeet).........................65....10......04
13 श्रक्षक (Shrakshak).......................64.....07......04
14 सुखदेव (Sukhdev)........................62....00.......24
15 नरहरिदेव (Narharidev).................51.....10.......02
16 शुचिरथ (Suchirath).....................42......11.......02
17 शूरसेन द्वितीय (Shoorsain II)........58.....10.......08
18 पर्वतसेन (Parvatsain )..................55.....08.......10
19 मेधावी (Medhawi)........................52.....10......10
20 सोनचीर (Soncheer).....................50.....08.......21
21 भीमदेव (Bheemdev)....................47......09.......20
22 नरहिरदेव द्वितीय (Nraharidev II)...45.....11.......23
23 पूरनमाल (Pooranmal)..................44.....08.......07
24 कर्दवी (Kardavi)...........................44.....10........08
25 अलामामिक (Alamamik)...............50....11........08
26 उदयपाल (Udaipal).......................38....09........00
27 दुवानमल (Duwanmal)..................40....10.......26
28 दामात (Damaat)..........................32....00.......00
29 भीमपाल (Bheempal)...................58....05........08
30 क्षेमक (Kshemak)........................48....11........21
इसके
बाद ....क्षेमक के प्रधानमन्त्री विश्व ने क्षेमक का वध करके राज्य को
अपने अधिकार में कर लिया और उसकी 14 पीढ़ियों ने 500 वर्ष 3 माह 17 दिन तक
राज्य किया जिसका विरवरण नीचे दिया जा रहा है।
क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन
1 विश्व (Vishwa)......................... 17 3 29
2 पुरसेनी (Purseni)..................... 42 8 21
3 वीरसेनी (Veerseni).................. 52 10 07
4 अंगशायी (Anangshayi)........... 47 08 23
5 हरिजित (Harijit).................... 35 09 17
6 परमसेनी (Paramseni)............. 44 02 23
7 सुखपाताल (Sukhpatal)......... 30 02 21
8 काद्रुत (Kadrut)................... 42 09 24
9 सज्ज (Sajj)........................ 32 02 14
10 आम्रचूड़ (Amarchud)......... 27 03 16
11 अमिपाल (Amipal) .............22 11 25
12 दशरथ (Dashrath)............... 25 04 12
13 वीरसाल (Veersaal)...............31 08 11
14 वीरसालसेन (Veersaalsen).......47 0 14
इसके
उपरांत...राजा वीरसालसेन के प्रधानमन्त्री वीरमाह ने वीरसालसेन का वध करके
राज्य को अपने अधिकार में कर लिया और उसकी 16 पीढ़ियों ने 445 वर्ष 5 माह 3
दिन तक राज्य किया जिसका विरवरण नीचे दिया जा रहा है।
क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन
1 राजा वीरमाह (Raja Veermaha)......... 35 10 8
2 अजितसिंह (Ajitsingh)...................... 27 7 19
3 सर्वदत्त (Sarvadatta)..........................28 3 10
4 भुवनपति (Bhuwanpati)...................15 4 10
5 वीरसेन (Veersen)............................21 2 13
6 महिपाल (Mahipal)............................40 8 7
7 शत्रुशाल (Shatrushaal).....................26 4 3
8 संघराज (Sanghraj)........................17 2 10
9 तेजपाल (Tejpal).........................28 11 10
10 मानिकचंद (Manikchand)............37 7 21
11 कामसेनी (Kamseni)..................42 5 10
12 शत्रुमर्दन (Shatrumardan)..........8 11 13
13 जीवनलोक (Jeevanlok).............28 9 17
14 हरिराव (Harirao)......................26 10 29
15 वीरसेन द्वितीय (Veersen II)........35 2 20
16 आदित्यकेतु (Adityaketu)..........23 11 13
ततपश्चात्
प्रयाग के राजा धनधर ने आदित्यकेतु का वध करके उसके राज्य को अपने अधिकार
में कर लिया और उसकी 9 पीढ़ी ने 374 वर्ष 11 माह 26 दिन तक राज्य किया
जिसका विवरण इस प्रकार है ..
क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन
1 राजा धनधर (Raja Dhandhar)...........23 11 13
2 महर्षि (Maharshi)...............................41 2 29
3 संरछि (Sanrachhi)............................50 10 19
4 महायुध (Mahayudha).........................30 3 8
5 दुर्नाथ (Durnath)...............................28 5 25
6 जीवनराज (Jeevanraj).......................45 2 5
7 रुद्रसेन (Rudrasen)..........................47 4 28
8 आरिलक (Aarilak)..........................52 10 8
9 राजपाल (Rajpal)..............................36 0 0
उसके
बाद ...सामन्त महानपाल ने राजपाल का वध करके 14 वर्ष तक राज्य किया।
अवन्तिका (वर्तमान उज्जैन) के विक्रमादित्य ने महानपाल का वध करके 93 वर्ष
तक राज्य किया। विक्रमादित्य का वध समुद्रपाल ने किया और उसकी 16 पीढ़ियों
ने 372 वर्ष 4 माह 27 दिन तक राज्य किया !जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।
क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन
1 समुद्रपाल (Samudrapal).............54 2 20
2 चन्द्रपाल (Chandrapal)................36 5 4
3 सहपाल (Sahaypal)...................11 4 11
4 देवपाल (Devpal).....................27 1 28
5 नरसिंहपाल (Narsighpal).........18 0 20
6 सामपाल (Sampal)...............27 1 17
7 रघुपाल (Raghupal)...........22 3 25
8 गोविन्दपाल (Govindpal)........27 1 17
9 अमृतपाल (Amratpal).........36 10 13
10 बालिपाल (Balipal).........12 5 27
11 महिपाल (Mahipal)...........13 8 4
12 हरिपाल (Haripal)..........14 8 4
13 सीसपाल (Seespal).......11 10 13
14 मदनपाल (Madanpal)......17 10 19
15 कर्मपाल (Karmpal)........16 2 2
16 विक्रमपाल (Vikrampal).....24 11 13
टिप : कुछ ग्रंथों में सीसपाल के स्थान पर भीमपाल का उल्लेख मिलता है, सम्भव है कि उसके दो नाम रहे हों।
इसके
उपरांत .....विक्रमपाल ने पश्चिम में स्थित राजा मालकचन्द बोहरा के राज्य
पर आक्रमण कर दिया जिसमे मालकचन्द बोहरा की विजय हुई और विक्रमपाल मारा
गया। मालकचन्द बोहरा की 10 पीढ़ियों ने 191 वर्ष 1 माह 16 दिन तक राज्य
किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।
क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन
1 मालकचन्द (Malukhchand) 54 2 10
2 विक्रमचन्द (Vikramchand) 12 7 12
3 मानकचन्द (Manakchand) 10 0 5
4 रामचन्द (Ramchand) 13 11 8
5 हरिचंद (Harichand) 14 9 24
6 कल्याणचन्द (Kalyanchand) 10 5 4
7 भीमचन्द (Bhimchand) 16 2 9
8 लोवचन्द (Lovchand) 26 3 22
9 गोविन्दचन्द (Govindchand) 31 7 12
10 रानी पद्मावती (Rani Padmavati) 1 0 0
रानी
पद्मावती गोविन्दचन्द की पत्नी थीं। कोई सन्तान न होने के कारण पद्मावती
ने हरिप्रेम वैरागी को सिंहासनारूढ़ किया जिसकी पीढ़ियों ने 50 वर्ष 0 माह
12 दिन तक राज्य किया !जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।
क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन
1 हरिप्रेम (Hariprem) 7 5 16
2 गोविन्दप्रेम (Govindprem) 20 2 8
3 गोपालप्रेम (Gopalprem) 15 7 28
4 महाबाहु (Mahabahu) 6 8 29
इसके
बाद.......राजा महाबाहु ने सन्यास ले लिया । इस पर बंगाल के अधिसेन ने
उसके राज्य पर आक्रमण कर अधिकार जमा लिया। अधिसेन की 12 पीढ़ियों ने 152
वर्ष 11 माह 2 दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।
क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन
1 अधिसेन (Adhisen) 18 5 21
2 विल्वसेन (Vilavalsen) 12 4 2
3 केशवसेन (Keshavsen) 15 7 12
4 माधवसेन (Madhavsen) 12 4 2
5 मयूरसेन (Mayursen) 20 11 27
6 भीमसेन (Bhimsen) 5 10 9
7 कल्याणसेन (Kalyansen) 4 8 21
8 हरिसेन (Harisen) 12 0 25
9 क्षेमसेन (Kshemsen) 8 11 15
10 नारायणसेन (Narayansen) 2 2 29
11 लक्ष्मीसेन (Lakshmisen) 26 10 0
12 दामोदरसेन (Damodarsen) 11 5 19
लेकिन
जब ....दामोदरसेन ने उमराव दीपसिंह को प्रताड़ित किया तो दीपसिंह ने सेना
की सहायता से दामोदरसेन का वध करके राज्य पर अधिकार कर लिया तथा उसकी 6
पीढ़ियों ने 107 वर्ष 6 माह 22 दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा
रहा है।
क्र. शासक का नाम वर्ष माह दिन
1 दीपसिंह (Deepsingh) 17 1 26
2 राजसिंह (Rajsingh) 14 5 0
3 रणसिंह (Ransingh) 9 8 11
4 नरसिंह (Narsingh) 45 0 15
5 हरिसिंह (Harisingh) 13 2 29
6 जीवनसिंह (Jeevansingh) 8 0 1
पृथ्वीराज
चौहान ने जीवनसिंह पर आक्रमण करके तथा उसका वध करके राज्य पर अधिकार
प्राप्त कर लिया। पृथ्वीराज चौहान की 5 पीढ़ियों ने 86 वर्ष 0 माह 20 दिन
तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।क्र. शासक का नाम वर्ष माह
दिन
1 पृथ्वीराज (Prathviraj) 12 2 19
2 अभयपाल (Abhayapal) 14 5 17
3 दुर्जनपाल (Durjanpal) 11 4 14
4 उदयपाल (Udayapal) 11 7 3
5 यशपाल (Yashpal) 36 4 27
विक्रम
संवत 1249 (1193 AD) में मोहम्मद गोरी ने यशपाल पर आक्रमण कर उसे प्रयाग
के कारागार में डाल दिया और उसके राज्य को अधिकार में ले लिया।
इस
जानकारी का स्रोत स्वामी दयानन्द सरस्वती के सत्यार्थ प्रकाश ग्रंथ,
चित्तौड़गढ़ राजस्थान से प्रकाशित पत्रिका हरिशचन्द्रिका और मोहनचन्द्रिका
के विक्रम संवत1939 के अंक और कुछ अन्य संस्कृत ग्रंथ है।
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नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
सोमवार, 16 जुलाई 2012
Prenatal Yoga with Lara Dutta - Routine
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सोमवार, 11 जून 2012
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