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रविवार, 6 फ़रवरी 2022

शीतला माता - माघ शुक्ल षष्ठी/ व्रत

 ****** शीतला माता ******
                     ( माघ शुक्ल षष्ठी/ व्रत)
                     माघ माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी (छठी) तिथि को शीतला षष्ठी का व्रत किया जाता है। माता शीतला का पर्व किसी न किसी रूप में देश के हर कोने में होता है। कोई माघ शुक्ल की षष्ठी को, कोई वैशाख कृष्ण पक्ष की अष्टमी, कोई चैत्र के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को तो कोई श्रावण मास की सप्तमी को शीतला माता का पूजना और व्रत रखता है।
                  शीतला षष्ठी के दिन किया जाने वाला शीतला माता का व्रत संतान सुख की प्राप्ति के लिए होता है। शीताला माता की पूजा आराधना से घर में शान्ति बनी रहती है। इससे दैहिक और मानसिक संताप मिट जाते हैं।
                  शीतला षष्ठी के दिन यदि कोई महिला संतान सुख की कामना कर पूरे विधि-विधान से शीतला माता का व्रत करती है, तो शीतला माता के आशीर्वाद से वह संतान प्राप्त करती है। ऐसी भी मान्यता है कि जब छोटे बच्चों को दाने निकल आते हैं, तो घर के बड़े-बुजुर्ग शीतला माता का प्रकोप मानते हैं। शीतला माता को शान्त और प्रसन्न करने के लिए भी इस व्रत को किया जाता है।  
                  इस व्रत में महिला प्रातः काल उठकर ठंडे पानी से स्नान करके शीतला माता की पूजा करती है। रात का रखा बासी भोजन ही करती है। इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलता है बल्कि चूल्हे की पूजा की जाती है। माता शीतला को शीतल चीजें पसंद हैं इसलिए उन्हें भी ठंडा भोग ही लगाया जाता है। शीतला माता की विधिवत् पूजा करने के पश्चात शीतला षष्ठी की कथा भी अवश्य पढ़नी चाहिए।

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